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मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया: दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात के बाद बड़ा फैसला
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह फैसला उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद लिया। राज्य में पिछले 21 महीनों से जातीय हिंसा जारी थी, जिसके कारण राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था। भाजपा के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि राज्य में पार्टी की सरकार होने के बावजूद हिंसा को रोकने में प्रशासन नाकाम रहा था।
इस्तीफे के पीछे की प्रमुख वजहें
1. जातीय हिंसा और प्रशासनिक असफलता
मणिपुर में मई 2023 से जातीय संघर्ष भड़का हुआ था। कुकी और मैतेई समुदायों के बीच बढ़ते तनाव ने राज्य को हिंसा की चपेट में ले लिया। राज्य सरकार पर सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहने के आरोप लगे। विपक्षी दलों और जनता ने बीरेन सिंह सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए, जिससे उनका इस्तीफा लगभग तय माना जा रहा था।
2. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का हस्तक्षेप
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कई मौकों पर बीरेन सिंह सरकार को हिंसा रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की सलाह दी थी, लेकिन हालात नहीं सुधरे। दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात के बाद यह स्पष्ट हो गया कि भाजपा आलाकमान राज्य में नई लीडरशिप चाहता था।
3. विपक्ष और स्थानीय संगठनों का बढ़ता दबाव
राज्य की हिंसा के चलते विपक्षी दलों, स्थानीय संगठनों और मानवाधिकार समूहों ने सरकार को घेर लिया था। विधानसभा में भी मुख्यमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग हो रही थी। इसी राजनीतिक दबाव के कारण बीरेन सिंह ने इस्तीफा देने का फैसला किया।
4. शांति और स्थिरता की जरूरत
21 महीनों से मणिपुर में सामाजिक अस्थिरता बनी हुई थी। लाखों लोग घरेलू विस्थापन झेल रहे थे, और व्यापार व अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा था। केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य में शांति प्रक्रिया को मजबूत किया जाए, जिसके लिए नेतृत्व परिवर्तन जरूरी था।
मणिपुर में 21 महीने से जारी हिंसा: पूरा मामला क्या है?
कैसे शुरू हुआ जातीय संघर्ष?
मणिपुर में 3 मई 2023 को हिंसा भड़की थी, जब ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (ATSU) ने एक प्रदर्शन आयोजित किया था। प्रदर्शन का उद्देश्य मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने के विरोध में था।
हिंसा में कितने लोग प्रभावित हुए?
- 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
- 60,000 से अधिक लोग बेघर हो चुके हैं।
- हजारों घर और धार्मिक स्थल जलाए गए हैं।
मुख्य कारण क्या हैं?
- आरक्षण नीति को लेकर विवाद – मैतेई समुदाय के लोग खुद को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने की मांग कर रहे थे, जिसका कुकी समुदाय विरोध कर रहा था।
- भूमि अधिकारों पर टकराव – मैतेई समुदाय राज्य की भूमि नीति में बदलाव चाहता था, जिससे आदिवासी क्षेत्रों में अतिक्रमण का डर बढ़ गया।
- अवैध ड्रग कारोबार – सरकार द्वारा अवैध अफीम खेती और ड्रग माफियाओं पर की गई कार्रवाई भी हिंसा भड़काने का एक कारण मानी जा रही है।
भाजपा और मणिपुर सरकार पर असर
मणिपुर में भाजपा सरकार के नेतृत्व में लगातार हिंसा जारी रहने से पार्टी की छवि को नुकसान हुआ है। विपक्षी दल कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय पार्टियां भाजपा पर कानून व्यवस्था बहाल करने में असफल रहने का आरोप लगा रही हैं।
भाजपा के लिए मणिपुर में यह संकट एक चुनावी मुद्दा भी बन सकता है। पार्टी को अब नए मुख्यमंत्री का चयन करते समय इस अस्थिरता को दूर करने पर ध्यान देना होगा।
अब आगे क्या होगा?
1. नया मुख्यमंत्री कौन बनेगा?
भाजपा जल्द ही मणिपुर के नए मुख्यमंत्री का नाम घोषित कर सकती है। कुछ संभावित नाम इस प्रकार हैं:
- थोंगाम बिस्वजीत सिंह (मणिपुर सरकार में मंत्री)
- एल. सुशींद्र मेइतेई (वरिष्ठ भाजपा नेता)
2. शांति बहाली के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?
- केंद्रीय बलों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
- कुकी और मैतेई समुदायों के बीच संवाद स्थापित करने के प्रयास होंगे।
- नई नीतियां और योजनाएं लागू की जाएंगी ताकि हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का पुनर्निर्माण हो सके।
3. भाजपा की रणनीति क्या होगी?
भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए मणिपुर में राजनीतिक अस्थिरता को जल्द से जल्द खत्म करना चाहती है। इसलिए पार्टी नए नेतृत्व के जरिए शांति और विकास पर जोर देगी।
निष्कर्ष
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का इस्तीफा राज्य की राजनीतिक अस्थिरता और जातीय हिंसा के कारण हुआ। पिछले 21 महीनों से मणिपुर हिंसा की चपेट में है, जिससे जनता का सरकार पर विश्वास कम हो गया था। भाजपा अब नए नेतृत्व के साथ मणिपुर में शांति बहाल करने की कोशिश करेगी।
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मणिपुर में सत्ता परिवर्तन के इस बड़े घटनाक्रम पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। अब देखना होगा कि भाजपा नए मुख्यमंत्री के रूप में किसे चुनती है और राज्य में शांति की दिशा में क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।
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