छत्तिश्गढ़

CM हाउस में देसी स्वाद: भूपेश बघेल ने साझा की लाई छांटती पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल की तस्वीर..

Published

on

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घर में देसी स्वाद का तड़का लगता रहता है। रविवार को उन्होंने छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लाई बड़ी के लिए लाई छांटती पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल की तस्वीर साझा की। लिखा, घर मा लाइ बरी बनाए के तइयारी चलत हे। यानी घर में लाई बड़ी बनाने की तैयारी चल रही है।

मुख्यमंत्री ने अपने घर की जानकारी देते हुए दूसरों से भी उनकी तैयारी पूछ ली है। उन्होंने लिखा आपके घर में भी कोंहड़ा बड़ी, रखिया बड़ी और अदौरी बड़ी बन रही होगी। उसके साथ बिजौरी भी बन रहा होगा। लाई बड़ी छत्तीसगढ़ की बहुत लोकप्रिय स्नैक्स है। इसे धान को रेत में भूनकर बनाई गई लाई से बनाया जाता है। इसकी रेसिपी भी काफी आसान है। लाई को कुछ देर के लिए पानी में भिगोकर नर्म किया जाता है। उसके बाद उसमें तिल, अदरक, मिर्च, लहसून और कभी-कभी दरदरी पिसी लाल मिर्च का पेस्ट और स्वाद के मुताबिक नमक मिलाकर बड़ी बना दी जाती है। सूख जाने पर इस बड़ी को स्टोर कर रख लिया जाता है। यह काफी दिनों तक सुरक्षित रखी जा सकती है।

मुख्यमंत्री के घर बनते रहते हैं ये पकवान

यह पहली बार नहीं है जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोई देसी व्यंजन बनाते हुए पत्नी की तस्वीर सोशल मीडिया पर डाली हो। वे अक्सर ऐसी तस्वीरें और सूचनाएं डालते रहते हैं। 26 अगस्त को उन्होंने तीजा-पोला की तैयारियों की तस्वीर डाली थी। इसमें उनकी पत्नी ठेठरी बनाती दिख रही हैं।

लिखा था, हर तीज-त्योहार पर ऐसे ही पकवान बनाती हैं

Advertisement

मुख्यमंत्री ने तीजा-पोला पर लिखा था, श्रीमती जी ने ठेठरी, खुरमी और चूरमा जैसे पारंपरिक पकवान तैयार कर दिए हैं। शादी के बाद से ही मैंने उन्हें हर तीज त्योहार पर इतनी ही लगन से पकवान अपने हाथों से बनाते देखा है।

छत्तीसगढ़ में मौसम के अनुसार बनते हैं पकवान

अभी अगहन माह चल रहा है। इस महीने में चीला, फरा, खीर-पूरी और पूरन-पूरी के भोग से घर आंगन महक उठता है। यह पकवान मां लक्ष्मी का पसंदीदा भोग है। इसलिए श्रद्धालु हर गुरुवार को अलग-अलग भोग तैयार करते हैं। पहले दिन खीर-पूरी बनाई जाती है। इसके पीछे मान्यता है की इस भोग के जरिए मां का अभिवादन किया जाता है।अभी मां लक्ष्मी की आराधना का पर्व अगहन माह चल रहा है। श्रद्धालुओं द्वारा मां को पकवानों का भोग लगाया जाता है। पर यह बात नहीं पता होगा कि पहले से लेकर अंतिम गुरुवार तक कौन-कौन से भोग लगाकर मां को प्रसन्न् किया जाता है। पहले गुरुवार को श्रद्धालु चावल आटे का चीला बनाते हैं तो कई खीर-पूरी बनाकर भोग लगाते हैं। दूधफरा का भोग दूसरे गुरुवार को लगता है। तीसरे गुरुवार को चीला या खीर-पूरी बनाई जाती है। अंतिम गुरुवार को पूरन-पूरी का भोग लगाते हैं।

इसे लेकर भी मान्यता है कि इस भोग के जरिए धन-धान्य का आशीर्वाद मांगा है। पूरन पूरी गेंहू के आटे से बनी मोटी रोटी है। इस रोटी के अंदर पीसे हुए चने के दाल व गुड़ को डाला जाता हैं। इसके बाद घी लगाकर तवे में सेंकते हैं। कुछ घरों में गुझिया बनाई जाती है। अंतिम गुरुवार यह भोग लगाने से घर में आर्थिक संपन्न्ता बनी रहता है। कहते हैं कि इस विशेष रोटी के अंदर दाल, गुड़ व घी भरकर मां लक्ष्मी को भोग लगाते हैं, उससे वे प्रसन्न होती हैं और भोग की तरह घरों में धन, सुख-शांति देती हैं।

Advertisement

You must be logged in to post a comment Login

Leave a Reply

Cancel reply

Trending

Exit mobile version