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मौसम विभाग का अनुमान- मानसून सामान्य से बेहतर रहेगा:स्काईमेट ने भी सामान्य बारिश की संभावना जताई है

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मौसम विभाग और स्काईमेट दोनों ही मौसम की विस्तृत विश्लेषण करते हैं और आगामी मौसम के बारे में अपडेट प्रदान करते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए, वे विभिन्न मौसमी पैरामीटर्स की जांच करते हैं जैसे कि वर्षा की मात्रा, हवा की गति, और आबादी के अधिकतम तापमान और न्यूनतम तापमान के रेंज। ये जानकारी बाद में लोगों को आगामी मौसम की संभावनाओं के बारे में सटीकता से सूचित करने में मदद करती है।

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने रविवार को बताया कि इस बार जून से सितंबर तक मानसून सामान्य से बेहतर रहेगा। मौसम विभाग (IMD) 104 से 110 फीसदी के बीच बारिश को सामान्य से बेहतर मानता है। यह फसलों के लिए अच्छा संकेत है।

IMD ने बताया कि 2024 में 106% यानी 87 सेंटीमीटर बारिश हो सकती है। 4 महीने के मानसून सीजन के लिए लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) 868.6 मिलीमीटर यानी 86.86 सेंटीमीटर होती है। यानी मानसून सीजन में कुल इतनी बारिश होनी चाहिए।

इससे पहले 9 मार्च को प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट ने अपना अनुमान जारी किया था। एजेंसी ने बताया था कि इस बार मानसून सामान्य रहेगा। यानी जून से सितंबर तक 4 महीने में 96 से 104% के बीच बारिश हो सकती।

पिछले साल IMD ने 96% बारिश का अनुमान जताया था। हालांकि, उस दौरान अनुमान से 2% कम यानी 94% ही बारिश दर्ज की गई थी। भारत में आमतौर पर मानसून 1 जून के आसपास केरल के रास्ते आता है। 4 महीने की बरसात के बाद यानी सितंबर के अंत में राजस्थान के रास्ते इसकी वापसी होती है।

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केंद्र सरकार के अर्थ साइंस मंत्रालय ने देश में सामान्य बारिश के लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) को साल 2022 में अपडेट किया। इससे अनुसार 87 सेंटीमीटर बारिश को सामान्य माना जाता है। 2018 में यह 88 सेंटीमीटर था। LPA में 4 फीसदी के उतार-चढ़ाव को घट-बढ़ को सामान्य माना जाता है।

पिछले साल यानी 2023 में मानसून की विदाई 25 सितंबर से शुरू हुई और 30 सितंबर तक पूरे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली के साथ जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान से विदा हो गया।

IMD के मुताबिक, 2023 में 820 मिमी बारिश हुई। सामान्य रूप से 868.6 मिमी बारिश होती है यानी पिछले साल 48 मिमी कम बारिश हुई। इससे पहले 4 साल लगातार सामान्य या अधिक बारिश वाला मानसून रहा था।

देश में सालभर में होने वाली कुल बारिश का 70% पानी मानसून के दौरान ही बरसता है। देश में 70% से 80% किसान फसलों की सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर हैं। यानी मानसून के अच्छे या खराब रहने से पैदावार पर सीधा असर पड़ता है। अगर मानसून खराब हो तो फसल कम पैदा होती है, जिससे महंगाई बढ़ सकती है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में एग्रीकल्चर सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 20% है। वहीं, देश की आधी आबादी को कृषि क्षेत्र ही रोजगार देता है। अच्छी बारिश का मतलब है कि खेती से जुड़ी आबादी को फेस्टिव सीजन से पहले अच्छी आमदनी हो सकती है। इससे उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ती है, जो इकोनॉमी को मजबूती देती है।

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