देश

मणिपुर हिंसा में अब तक 54 लोगों की मौत,1100 लोगों ने असम में शरण ली, हालात स्थिर..

Published

on

मणिपुर में मैतेई आरक्षण विवाद को लेकर बुधवार से भड़की हिंसा में अब तक 54 लोगों की मौत हो चुकी है। 100 से ज्यादा लोग घायल हैं, जिनका इलाज RIMS इंफाल और जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में चल रहा है। राज्य के 11 सौ लोग असम में शरण लिए हुए हैं। वहीं, भारत-म्यांमार सीमा पर हवाई निगरानी भी की जा रही है।

राज्य के हालात को देखते हुए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने राज्य में NEET-PG के एग्जाम पोस्टपोन कर दिए हैं। जिन स्टूडेंट्स को मणिपुर सेंटर मिला है उनके एक्जाम बाद में होंगे। इधर, दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस में कूकी समुदाय के छात्रों ने दावा किया कि मैतेई समुदाय के छात्रों ने उन पर गुरुवार रात को हमला किया।

उन्होंने शुक्रवार को FIR दर्ज कराने की कोशिश की। पुलिस ने इससे इनकार कर दिया, जिसके बाद छात्रों ने प्रदर्शन किया। बाद में हमला करने के आरोपी कुछ छात्रों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

8 जिलों में कर्फ्यू, मोबाइल इंटरनेट बंद
शुक्रवार को मोबाइल इंटरनेट बेमियादी बंद कर दिया गया था। दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए, साथ ही मणिपुर जाने वाली ट्रेनों को रोक दिया गया। हिंसा को देखते हुए राज्य के 16 में से 8 जिलों में कर्फ्यू लगाया गया था।

सेना और असम राइफल्स के 10 हजार जवान तैनात
हालांकि अब इसमें ढील दी जा रही है। जन-जीवन सामान्य हो रहा है। यहां शनिवार सुबह दुकानें खुलीं और सड़कों पर कारें दौड़ती नजर आईं। इलाके में सेना और असम राइफल्स के करीब 10 हजार जवान तैनात किए गए हैं।

Advertisement

डर की वजह से 1100 लोग असम पहुंचे
अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि मणिपुर के जिरीबाम जिले और आसपास के इलाकों से 1100 से ज्यादा लोग इंटर-स्टेट बॉर्डर पार करके असम के कछार जिले में दाखिल हुए हैं। शुक्रवार तक यह आंकड़ा 600 था। इनमें से ज्यादातर लोग कुकी समुदाय के हैं और उन्हें डर है कि जिन प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को उन पर हमला किया था, उन्होंने उनके घरों को भी तहस-नहस कर दिया होगा। इसलिए वे लोग अपनी सुरक्षा के लिए कछार भाग आए।

CRPF ने कहा- मणिपुर में छुट्‌टी मनाने गए सभी सैनिक तुरंत नजदीकी बेस पहुंचें
CRPF ने छुट्‌टी पर गए मणिपुर के सभी जवानों को नजदीकी बेस पर रिपोर्ट करने को कहा है। दरअसल, CRPF की कोबरा बटालियन के एक कमांडो की शुक्रवार दोपहर उग्रवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। वे चूराचांदपुर में अपने गांव में छुट्‌टी पर गए हुए थे। इस घटना के बाद ही CRPF ने मणिपुर में अपने गांव में छुट्‌टी मनाने गए सभी कर्मचारियों के नाम संदेश भेजा है कि अगर वे वहां असुरक्षित महसूस कर रहे हैं तो, अपने परिवार के साथ तुरंत नजदीकी बेस पर पहुंचे।

शुक्रवार रात सैन्यबलों के साथ एनकाउंटर में पांच उग्रवादी मारे गए
पुलिस ने बताया कि शुक्रवार रात चूराचांदपुर जिले में दो एनकाउंर हुए। पहला एनकाउंटर साइतोन में हुआ, जहां चार उग्रवादी मारे गए। दूसरा एनकाउंटर तोरबंग में हुआ, जहां पर उग्रवादियों ने सुरक्षाबलों पर फायरिंग की। जवाबी कार्रवाई में एक उग्रवादी मारा गया, जबकि रिजर्व बल के दो जवान घायल हो गए।

मणिपुर के हिंसाग्रस्त इलाके से 13 हजार लोगों को रेस्क्यू किया गया
सुरक्षाबलों के प्रवक्ता ने कहा कि जैसे ही सेना ने चूराचांदपुर, मोरे, काकचिंग और कांगपोकपी जिलों को अपने नियंत्रण मे लिया, उसके बाद से इन इलाकों से 13 हजार से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले 12 घंटों में इंफाल पूर्व और पश्चिम जिलों में उपद्रवियों ने आगजनी करने की और माहौल बिगाड़ने की कोशिश की, लेकिन उन्हें मजबूत जवाब देकर रोका गया।

मणिपुर में अतिरिक्त फ्लाइट ऑपरेट करेगी इंडिगो एयरलाइन
इंडिगो एयरलाइन ने शनिवार को बताया कि मणिपुर में इन दिनों जो हालात हैं, उन्हें देखते हुए हम 6 मई को इंफाल से कोलकाता के लिए दो अतिरिक्त फ्लाइट ऑपरेट करेगी। इसके साथ ही इंडिगो ने 4 मई से 7 मई के बीच फ्लाइट को रिशेड्यूल और कैंसिल करने पर लगने वाला चार्ज हटा दिया है।

Advertisement

4 प्वाइंट्स में जानिए, पूरा विवाद

  • मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं। मणिपुर के लगभग 10% क्षेत्रफल में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। हाल ही में मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने के लिए आदेश जारी किए हैं।
  • मैतेई क्यों आरक्षण मांग रहे: मैतेई समुदाय के लोगों का तर्क है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पूर्व उन्हें रियासतकाल में जनजाति का दर्जा प्राप्त था। पिछले 70 साल में मैतेई आबादी 62 फीसदी से घटकर लगभग 50 फीसदी के आसपास रह गई है। अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए मैतेई समुदाय आरक्षण मांग रहा है।
  • कौन हैं विरोध में: मणिपुर की नगा और कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। राज्य के 90% क्षेत्र में रहने वाला नगा और कुकी राज्य की आबादी का 34% हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। राजनीतिक रूप से मैतेई समुदाय का पहले से ही मणिपुर में दबदबा है। नगा और कुकी जनजातियों को आशंका है कि एसटी वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा होगा। मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है।
  • हालिया हिंसा का कारण आरक्षण का ही मुद्दा: मणिपुर में हालिया हिंसा का कारण मैतेई आरक्षण को माना जा सकता है, लेकिन पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार ने चूराचांदपुर के वनक्षेत्र में बसे नगा और कुकी जनजाति को घुसपैठिए बताते हुए वहां से निकालने के आदेश दिए थे। इससे नगा-कुकी नाराज चल रहे थे। मैतेई हिंदू धर्मावलंबी हैं, जबकि एसटी वर्ग के अधिकांश नगा और कुकी ईसाई धर्म को मानने वाले हैं।

You must be logged in to post a comment Login

Leave a Reply

Cancel reply

Trending

Exit mobile version