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मणिपुर में ताजा हिंसा के बाद 11 अफसरों का तबादला..

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मणिपुर में 3 मई से कूकी और मैतेई समुदाय के बीच जातिगत हिंसा जारी है। इस बीच शनिवार को राज्य के 11 अफसरों का तबादला किया गया है। इनमें IAS और IPS अफसर शामिल हैं।

इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह इस महीने की शुरुआत में 4 दिन के दौरे पर यहां आए थे। इस दौरान राज्य के DGP पी. डोंगल को हटा दिया गया। उनकी जगह राजीव सिंह को कमान सौंपी गई।

मणिपुर में 39 दिन से जारी हिंसा में अब तक अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 310 घायल हैं और 37 हजार से ज्यादा लोग 272 राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं।

इस बीच असम के CM हिमंत सरमा शनिवार सुबह मणिपुर पहुंचे। वे राज्य के CM एन. बीरेन सिंह से मिले। इस दौरान दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच मणिपुर में जारी हिंसा पर भी हुई।

गृह मंत्रालय ने गवर्नर की अध्यक्षता में शांति समिति बनाई
गृह मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि केंद्र सरकार ने मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए राज्यपाल की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है। कमेटी के सदस्यों में मुख्यमंत्री, राज्य सरकार के कुछ मंत्री, सांसद, विधायक और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं। समिति में पूर्व सिविल सेवक, शिक्षाविद्, साहित्यकार, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न जातीय समूहों के प्रतिनिधि भी शामिल किए गए हैं।

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9 जून को फिर हिंसा हुई, 3 लोग मारे गए
9 जून को राजधानी इंफाल के पास कुकी बहुल खोकेन गांव में अलग-अलग घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो गई। शुक्रवार को मणिपुर पुलिस ने बताया कि बीते 24 घंटों में मणिपुर के इंफाल ईस्ट, काकचिंग, टेंग्नौपाल और बिष्णुपुर जिलों में 57 हथियार, 1,588 गोला-बारूद और 23 बम बरामद किए हुए हैं। हिंसा के बाद से अब तक राज्य में कुल 953 हथियार, 13,351 गोला बारूद और 223 बम बरामद किए गए हैं।

CBI ने 6 केस दर्ज किए, जांच के लिए SIT बनाई
उधर, 9 जून को ही CBI ने मणिपुर हिंसा के संबंध में 6 केस दर्ज किए। जांच के लिए SIT बनाई है, इसमें 10 सदस्य हैं। इसी दिन सुप्रीम कोर्ट की वैकेशनल बेंच ने राज्य में 3 मई से लगे इंटरनेट बैन पर फौरन सुनवाई से इनकार कर दिया। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने कहा कि मामला पहले से हाईकोर्ट में है। इस पर सुनवाई होने दें। याचिका एडवोकेट चोंगथम विक्टर सिंह और बिजनेसमैन मायेंगबाम जेम्स ने दायर की थी।

4 पॉइंट्स में जानिए, पूरा विवाद…

1. मणिपुर में आधी आबादी मैतेई समुदाय की
मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं। मणिपुर के लगभग 10% क्षेत्रफल में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। हाल ही में मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने पर विचार करने के आदेश जारी किए हैं।

2. मैतेई समुदाय आरक्षण क्यों मांग रहा है
मैतेई समुदाय के लोगों का तर्क है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पूर्व उन्हें रियासतकाल में जनजाति का दर्जा प्राप्त था। पिछले 70 साल में मैतेई आबादी 62 फीसदी से घटकर लगभग 50 फीसदी के आसपास रह गई है। अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए मैतेई समुदाय आरक्षण मांग रहा है।

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3. नगा-कुकी जनजाति आरक्षण के विरोध में
मणिपुर की नगा और कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। राज्य के 90% क्षेत्र में रहने वाला नगा और कुकी राज्य की आबादी का 34% हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। राजनीतिक रूप से मैतेई समुदाय का पहले से ही मणिपुर में दबदबा है।

नगा और कुकी जनजातियों को आशंका है कि ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा होगा। मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है।

4. हालिया हिंसा का कारण आरक्षण मुद्दा
मणिपुर में हालिया हिंसा का कारण मैतेई आरक्षण को माना जा सकता है। पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार ने चूराचांदपुर के वनक्षेत्र में बसे नगा और कुकी जनजाति को घुसपैठिए बताते हुए वहां से निकालने के आदेश दिए थे। इससे नगा-कुकी नाराज चल रहे थे। मैतेई हिंदू धर्मावलंबी हैं, जबकि ST वर्ग के अधिकांश नगा और कुकी ईसाई धर्म को मानने वाले हैं।

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