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भोपाल में किराए से मिलेंगी निगम के भवनों की छतें,नगर निगम की मीटिंग में बहुमत से प्रस्ताव पास; मल्टी लेवल पार्किंग पर हंगामा

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भोपाल नगर निगम की हालिया बैठक में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पास किया गया है, जिसके तहत अब निगम के भवनों की छतें किराए पर दी जाएंगी। इस प्रस्ताव को बहुमत से मंजूरी मिली है और इसका उद्देश्य निगम की आय बढ़ाना है। इन छतों का उपयोग विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जा सकेगा, जैसे मोबाइल टावर स्थापित करना, सोलर पैनल लगाना, और अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए।

हालांकि, इस बैठक के दौरान मल्टी लेवल पार्किंग के मुद्दे पर भी हंगामा हुआ। यह मुद्दा विवाद का कारण बना, और कुछ पार्षदों ने इस पर विरोध जताया। उनका कहना था कि शहर में पार्किंग की समस्या पहले से ही गंभीर है, और इस प्रकार के प्रोजेक्ट्स में पारदर्शिता और उचित योजना की आवश्यकता है।

इस बैठक में मल्टी लेवल पार्किंग को लेकर चर्चा गरम रही, लेकिन छतों को किराए पर देने का प्रस्ताव बिना किसी बड़ी बाधा के पारित हो गया। अब यह देखना होगा कि नगर निगम इस प्रस्ताव को किस प्रकार से लागू करता है और इससे शहर में किस तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं।

भोपाल नगर निगम की बुधवार को आयोजित बैठक में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है, जिसके तहत नगर निगम के भवनों की छतें अब किराए पर दी जा सकेंगी। इस निर्णय के पीछे तर्क यह है कि इससे नगर निगम की आय बढ़ाई जा सकेगी। हालांकि, इस प्रस्ताव को कांग्रेस पार्षदों के विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर भी इसे बहुमत से मंजूरी मिल गई।

प्रस्ताव के अनुसार, निगम की छतों का उपयोग विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जा सकता है, जैसे मोबाइल टावर लगाना, सोलर पैनल स्थापित करना, और अन्य उपयोग। इससे निगम को एक स्थिर आय का स्रोत मिलेगा, जिससे शहर के विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे।

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हालांकि, प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले अगली बैठक में इसकी पूरी नियमावली पटल पर रखी जाएगी। इस नियमावली में छतों के किराए पर दिए जाने के तरीके, शर्तें, और अन्य आवश्यक विवरण शामिल होंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो।

यह कदम नगर निगम की आय में वृद्धि के लिए एक नई दिशा हो सकता है, लेकिन इसके सफल क्रियान्वयन के लिए स्पष्ट और सटीक नियमावली का होना आवश्यक है। कांग्रेस पार्षदों ने इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और जनता के हितों को प्राथमिकता देने की मांग की है।

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