छत्तिश्गढ़

भानुप्रतापपुर से ग्राउंड रिपोर्ट,गुस्से में है वोटर, आदिवासी आरक्षण कटौती तो व्यापारी जिला नहीं बनने से नाराज…

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भानुप्रतापपुर उपचुनाव में हर सियासी दल अपनी जीत के वादे में मस्त है। मगर ग्राउंड जीराे पर मामला कुछ अलग ही है। भानुप्रतापुपर का वोटर गुस्से में हैं। किसी को जिला न बनने की नाराजगी है, किसी के मन में आदिवासी आरक्षण की कटौती का गुस्सा है। खास बात ये है कि यहां किसी दल या पार्टी से हटकर आम लोगों ने अपने गुस्से को आंदोलन और अभियान की शक्ल दे दी है। बावजूद इसके कई वोटर्स के मन में यह भावना तो दिखी, कि सरकार वाली पार्टी का MLA ठीक है। क्यों नाराज है भानुप्रतापपुर का वोटर और कैसा है माहौल ये जानने ग्राउंड रिपोर्ट करने पहुंची दैनिक भास्कर की टीम।

कांकेर जिले से करीब 50 किलोमीटर दूर भानुप्रतापपुर कस्बे में पहुंचते ही मुख्य चौराहे पर भाजपा और कांग्रेस के चुनावी कार्यालय दिखे। दोनों ही पार्टियां अपने-अपने वोटरों को लुभाने जी तोड़ कोशिशें कर रही हैं। इन्हीं चुनावी दफ्तरों से लगी है भानुप्रतापपुर की मुख्य सड़क। यहां सैकड़ों दुकानें हैं। इन दुकानों के बाहर पोस्टर लगा है, जिसमें लिखा है- जिला नहीं तो वोट नहीं।

आस-पास की तहसीलें जिला बनीं ये इलाका रह गया
इसके बारे में पूछे जाने पर कारोबारी रोशन ज्ञानचंदानी ने बताया कि हम अपने बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं कि अविभाजित बस्तर जिले में 80 के दशक में मात्र 8 तहसीलें थी। कांकेर, भानुप्रतापपुर, कोंडागांव, नारायणपुर, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कोंटा व बीजापुर जो समय के साथ-साथ तहसीलों से जिलों में तब्दील हो चुकी हैं। मगर भानुप्रतापपुर को अभी तक जिले का दर्जा नहीं मिल पाया है। इसे जिला बनाने की मांग लगातार जारी है। हर बार राजनीतिक पार्टियों ने ठगा है, इसलिए यहां आम जनता ने इस चुनाव में तय कर लिया है जिला नहीं तो वोट नहीं।

क्यों जिला बनना चाहिए भानुप्रतापपुर
इस इलाके में रहने वाले नागरिक संतोष साहू ने कहा- हमें हर काम के लिए कांकेर जाना पड़ता है। कोई प्रमाण पत्र बनवाना हो, जमीन की रजिस्ट्री हो इस तरह के मामूली कामों के लिए 50 किलोमीटर का सफर मतलब पूरी दिन खराब, ऐसा भी नहीं है कि सरकारी दफ्तरों में काम भी झट से हो जाए। इस तरह के काम तो प्रदेश के अन्य जिलों में कुछ घंटों में हो जाया करते हैं हमें कई दिन लग जाते हैं। इस वजह से ये हिस्सा जिला बनना चाहिए। जिला बनेगा तो विकास भी काफी होगा इस हिस्से का।

खनिज से भरा इलाका
भानुप्रतापपुर में के तेंदूपत्ता की गुणवत्ता प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में सबसे अच्छी है। जो संग्रहण में पहला स्थान रखता है। क्षेत्र के चार, चिरौंजी और आमचूर की देश भर में काफी मांग है। सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। वही यहां लौह अयस्क की भी प्रचुरता है, जहां क्षेत्र में लौह अयस्क के लिए ग्राम कच्चे में गोदावरी माइंस, भैंसाकन्हार में सीएमडीसी, हाहालद्दी, चेमल, मेटाबोदली माइंस संचालित है। स्थानीय लोगों का मनना है कि जिला न होने की वजह से यहां के खनिज से होने वाई कमाई का इस्तेमाल यहां के विकास में नहीं हो पाता।

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खनिज से भरा इलाका
भानुप्रतापपुर में के तेंदूपत्ता की गुणवत्ता प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में सबसे अच्छी है। जो संग्रहण में पहला स्थान रखता है। क्षेत्र के चार, चिरौंजी और आमचूर की देश भर में काफी मांग है। सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। वही यहां लौह अयस्क की भी प्रचुरता है, जहां क्षेत्र में लौह अयस्क के लिए ग्राम कच्चे में गोदावरी माइंस, भैंसाकन्हार में सीएमडीसी, हाहालद्दी, चेमल, मेटाबोदली माइंस संचालित है। स्थानीय लोगों का मनना है कि जिला न होने की वजह से यहां के खनिज से होने वाई कमाई का इस्तेमाल यहां के विकास में नहीं हो पाता।

इन इलाकों में पेसा कानून को शिथिल किया गया है ग्राम सभाओं को जिला प्रशासन की बात जबरन मानने पर मजबूर किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव या आस-पास के मसलों पर ग्राम सभाओं में ही फैसले होते हैं ये प्राचीन आदिवासी संस्कृति का हिस्सा है। इसके साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। गांव में प्रचार करने आ रहे भाजपा कांग्रेस के लाेगों को भगाया जा रहा है।

ग्रामीण भरत दर्रो ने बताया कि स्थानीय नौकरियों में यहां के आदिवासियों को मौका नहीं दिया जा रहा। आरक्षण की मांग पर आंदोलन हुए तो किसी बड़ी पार्टी के आदिवासी नेता साथ देने नहीं आए, इसलिए गांव के लोगों ने तय किया है भाजपा कांग्रेस का साथ नहीं देंगे। सर्व आदिवासी समाज ने अपना निर्दलीय प्रत्याशी अकराम राम कोर्राम को चुनावी मैदान में उतारा है, हम उन्हीं को समर्थन दे रहे हैं। आदिवासियों की शपथ कितनी गंभीर है इसका इस बात से अंदाजा लगाइए कि किसी दूसरी पार्टी को समर्थन करते पाए जाने पर ग्रामीणों पर सामाजिक कार्रवाई तक की बात ग्राम सभाओं में तय हो चुकी है।

8 दिसंबर को आएंगे नतीजे
शहारी हिस्से के लोगों और आदिवासियों की नाराजगी का असर क्या होगा इसका पता 8 दिसंबर को चलेगा। 5 दिसंबर को भानुप्रतापपुर में वोटिंग होगी। आदिवासी गांव-गांव जाकर समाज के बड़े बुजुर्गों की बैठकें लेकर बात-चीत कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए 256 मतदान केंद्र बनाये गये हैं। जहां 1 लाख 97 हजार 535 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। यहां 69 केंद्र नक्सल प्रभावित इलाकों में हैं।

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