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भाद्रपद पूर्णिमा और प्रतिपदा श्राद्ध आज,पितृ पक्ष शुरू, जानिए पितृ कौन होते हैं और घर पर ही श्राद्ध करने की विधि
आज भाद्रपद पूर्णिमा और प्रतिपदा के दिन से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, जो 15 दिन तक चलता है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों (पितरों) की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं। श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार को मिलता है।
पितृ कौन होते हैं?
पितृ वे पूर्वज होते हैं जो हमें जन्म देकर हमारी जीवन यात्रा का हिस्सा रहे हैं। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि जब हमारे पूर्वज मृत्यु के बाद स्वर्ग या पितृलोक में जाते हैं, तो वे हमारे पितृ कहलाते हैं। पितृ पक्ष के दौरान उन्हें याद किया जाता है और उनके लिए तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितरों के आशीर्वाद से जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है।
घर पर श्राद्ध करने की विधि:
अगर आप घर पर ही श्राद्ध करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित विधि अपना सकते हैं:
1. स्नान और शुद्धि:
- सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- श्राद्ध के स्थान को शुद्ध करें। इसे शुद्ध गंगा जल या गोमूत्र से शुद्ध किया जा सकता है।
2. पितृों का ध्यान और आह्वान:
- पितरों का ध्यान करें और उनसे आशीर्वाद मांगें।
- पितरों के नाम और गोत्र का उच्चारण करें, उन्हें प्रणाम करें और पितृ तर्पण करने का संकल्प लें।
3. श्राद्ध तर्पण विधि:
- तर्पण के लिए तांबे या पीतल के पात्र में जल भरें।
- इसमें तिल, कुशा और पुष्प डालें।
- पूर्वजों का नाम लेते हुए तर्पण करें। “पितृणां तर्पणम समर्पयामि” का उच्चारण करें।
- जल अर्पण करते समय पितरों के नाम और गोत्र का उच्चारण करें।
4. भोजन अर्पण (पिंडदान):
- श्राद्ध में पितरों को भोजन अर्पण करने की विशेष परंपरा होती है। घर में सात्विक भोजन बनाएं, जिसमें दाल, चावल, रोटी, सब्जी, खीर, और पान शामिल हो।
- भोजन को पत्ते पर रखकर पितरों के नाम पर अर्पण करें।
- पिंड (आटे या चावल के गोले) बनाकर उन्हें पितरों को अर्पित किया जाता है।
- भोजन के लिए ब्राह्मण को आमंत्रित करना शुभ माना जाता है, लेकिन घर के किसी बड़े सदस्य या छोटे बच्चों को भी भोजन कराना पुण्यकारी होता है।
5. पक्षी या गाय को भोजन देना:
- पितरों के आशीर्वाद के लिए श्राद्ध का भोजन पक्षियों, गाय या कुत्तों को खिलाना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह अनुष्ठान पूर्ण होने पर पितरों को संतोष प्राप्त होता है।
6. दान और दक्षिणा:
- श्राद्ध के बाद ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
- इसके साथ दक्षिणा (धन) देने का भी महत्व है। यह पितरों की आत्मा की शांति के लिए शुभ माना जाता है।
श्राद्ध का महत्व:
श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे तृप्त होते हैं। इससे पितृदोष का निवारण होता है, और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में पितर अपने वंशजों के घर आते हैं और उनके द्वारा किए गए तर्पण और श्राद्ध को स्वीकार करते हैं।
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