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बंटवारा नहीं होता तो कैसा होता भारत,चीन 29 साल पहले आबादी में पिछड़ जाता, पाकिस्तान से 4 जंग में 9 हजार जवान शहीद नहीं होते
अगर 1947 में भारत का बंटवारा नहीं हुआ होता, तो देश का स्वरूप, जनसंख्या, और राजनीतिक-सामाजिक ढांचा काफी अलग हो सकता था। इस पर कई ऐतिहासिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में विचार किया जा सकता है:
1. जनसंख्या और क्षेत्रफल
अगर भारत का बंटवारा नहीं होता, तो भारत का क्षेत्रफल और जनसंख्या वर्तमान के मुकाबले कहीं अधिक होती। भारत, पाकिस्तान, और बांग्लादेश एक ही देश होते, जिसकी जनसंख्या आज 1.7 बिलियन से अधिक हो सकती थी।
- चीन से तुलना: अगर यह एकीकृत भारत होता, तो चीन की तुलना में भारत की जनसंख्या पहले ही बहुत बढ़ जाती और संभवतः चीन 29 साल पहले ही जनसंख्या में पीछे छूट जाता।
2. सांप्रदायिक सौहार्द
बंटवारे के कारण हुए सांप्रदायिक दंगों और लाखों लोगों के विस्थापन से बचा जा सकता था। हालांकि, धार्मिक और सांप्रदायिक तनाव आज भी बना रहता, लेकिन एक राष्ट्र के रूप में इसे प्रबंधित करने की कोशिशें एक ही संवैधानिक और राजनीतिक ढांचे के तहत की जातीं।
3. पाकिस्तान के साथ युद्ध
भारत और पाकिस्तान के बीच चार बड़े युद्ध हुए हैं (1947-48, 1965, 1971, और 1999), जिनमें करीब 9 हजार भारतीय जवान शहीद हुए। अगर बंटवारा नहीं होता, तो ये युद्ध और इससे जुड़ी क्षति भी नहीं होती। इससे दोनों देशों के आर्थिक और सामाजिक विकास पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता।
4. सुरक्षा और आर्थिक विकास
एकीकृत भारत का रक्षा बजट और सुरक्षा आवश्यकताएं वर्तमान से काफी अलग होतीं। सीमा विवाद और आतंकी गतिविधियों में भी कमी आ सकती थी। इसके परिणामस्वरूप, आर्थिक विकास पर अधिक ध्यान दिया जा सकता था और दक्षिण एशिया में स्थिरता और शांति का माहौल बना रह सकता था।
5. अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव
अगर भारत का बंटवारा नहीं हुआ होता, तो दक्षिण एशिया का भू-राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह से अलग होता। एक विशाल और एकीकृत भारत का प्रभाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी मजबूत होता, और यह एशिया की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता था।
6. सांस्कृतिक एकता
बंटवारा के बाद से पाकिस्तान और बांग्लादेश की संस्कृतियों में अलगाव आया, लेकिन अगर ये देश एक ही राष्ट्र का हिस्सा होते, तो साझा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का संरक्षण और प्रचार-प्रसार एक बड़े पैमाने पर हो सकता था।
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