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पुंछ में ड्रोन-स्निफर डॉग कर रहे आतंकियों की तलाश..
कश्मीर में सेना के जवानों पर आतंकी हमले की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और 8 सदस्यीय फोरेंसिक टीम पुंछ रवाना हो गई है। दोपहर तक घटनास्थल भीमबेर गली इलाके में पहुंचेगी। बम डिसपोजल स्कॉड और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) टीम ने सुबह जाकर पूरे इलाके में जांच की। घटनास्थल पुंछ से 90 किलोमीटर दूर है।
उधर, पूरे इलाके में सुरक्षा बलों ने ड्रोन-स्निफर डॉग से सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। गुरुवार को इस हमले में राष्ट्रीय रायफल्स यूनिट के 5 जवान शहीद हो गए थे। हमले की जिम्मेदारी पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (PAFF) ने ली है। कल दोपहर में सेना ने इसे हादसा बताया था, लेकिन शाम 6:33 बजे पुष्टि की कि यह आतंकी हमला है।
हमला दोपहर 3 बजे राजौरी सेक्टर में तब हुआ, जब सेना के तीन वाहन जवानों को लेकर राजौरी-पुंछ नेशनल हाइवे पर भीमबेर गली से पुंछ की तरफ जा रहे थे। तेज बारिश और कम दृश्यता का फायदा उठाकर आतंकियों ने घात लगाकर एक वाहन को घेरा। इसके बाद ग्रेनेड फेंके और करीब 50 राउंड फायर किए। इससे वाहन में आग लग गई।
कौन है PAFF… अनुच्छेद 370 हटाने के बाद नाम सामने आया था
पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद समर्थित समूह है। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही PAFF का नाम सामने आने लगा था। यह संगठन अंसार गजवत-उल-हिंद के मारे गए कमांडर जाकिर मूसा से प्रेरित है, जो आतंकी संगठन अल-कायदा का वफादार माना जाता है।
ओडिशा और पंजाब के रहने वाले थे शहीद जवान
शहीदों की पहचान लांस नायक देबाशीष बसवाल, लांस नायक कुलवंत सिंह, सिपाही हरकिशन सिंह, सिपाही सेवक सिंह और हवलदार मनदीप सिंह के रूप में हुई है। इनमें से लांस नायक देबाशीष बसवाल ओडिशा के रहने वाले हैं, अन्य चार शहीद पंजाब के निवासी हैं।
डिफेंस एक्सपर्ट बोले- G-20 की टूरिज्म मीट की वजह से पाकिस्तान ने कराया हमला
डिफेंस एक्सपर्ट मेजर जनरल (रिटायर्ड) पीके सहगल ने इस हमले की वजह सतर्कता की कमी बताई। उन्होंने कहा, ‘ये स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर है कि जब खराब मौसम होता है, बारिश हो, फॉग हो उस समय इस तरह के हमले हो सकते हैं। राष्ट्रीय रायफल्स के जवान हाईलेवल ट्रेंड होते हैं। ऐसे समय जब हमला हो सकता था, तब उनकी कंपनी को सतर्क रहना चाहिए था। सतर्कता में खामी का फायदा पाकिस्तान ने उठाया और ये हमला हुआ।’
इस साल दूसरा हमला, मंशा जी-20 की बैठक में खलल डालना
श्रीनगर में 22 से 24 मई के बीच जी-20 समूह के टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक होने जा रही है। आशंका जताई जा रही है कि आतंकियों की मंशा इसकी तैयारियों में खलल डालना तो नहीं है। जम्मू-कश्मीर में इससे पहले बड़ा आतंकी हमला इसी साल 1 जनवरी को हुआ था। तब राजौरी के डांगरी गांव में हमले में सात नागरिकों की मौत हो गई थी।
कुलवंत सिंह के शहीद होने की सूचना जैसे ही उसके घर पहुंची तो घर में मातम छा गया। पत्नी संदीप कौर का बुरा हाल है। शहीद की डेढ़ साल की बेटी और 3 महीने का बेटा है। शहीद के पिता बलदेव सिंह कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे। शहीद कुलवंत सिंह एक महीना पहले ही छुट्टी काटकर वापस लौटे थे
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