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पश्चिम बंगाल के 4 जिलों में स्वतंत्रता दिवस आज,पहले पूर्वी पाकिस्तान में शामिल किए गए थे..

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देशभर में स्वतंत्रता दिवस का जश्न 15 अगस्त को मनाया जा चुका है। पर पश्चिम बंगाल के नदिया, मालदा, जलपाईगुड़ी और दिनाजपुर जिले में बांग्लादेश की सीमा से सटे कुछ इलाकों में यह 18 अगस्त को मनेगा।

अलग तारीख को स्वतंत्रता दिवस मनाने की वजह भी है। दरअसल, अगस्त 1947 की एक शाम को आल इंडिया रेडियो की एक खबर ने इस इलाके के लोगों के जीवन में भूचाल ला दिया था। देश के विभाजन के समय सीमा तय करने के लिए गठित सीमा आयोग के प्रमुख रेडक्लिफ ने पूरे नदिया जिले के अलावा उत्तर 24 परगना, मालदा और दिनाजपुर के कुछ हिस्सों को पूर्वी पाकिस्तान में शामिल करने का फैसला किया था।

इस खबर के प्रसारण के बाद इलाके के लोग भड़क गए और वे सड़कों पर उतर आए थे। इस फैसले के खिलाफ हड़ताल भी बुलाई गई। हालात बिगड़ते देखकर कोलकाता स्थित सेना मुख्यालय फोर्ट विलियम से इलाके में सेना भेजी थी।

माउंटबेटन के आदेश पर दोबारा खींची गई थी रेडक्लिफ लाइन
हालात तेजी से बेकाबू होते देख तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने आखिर दो दिनों के बाद नक्शे में बदलाव करते हुए रेडक्लिफ लाइन नए सिरे से खींचने का आदेश दिया। इस नए निर्देश में कहा गया था कि नदिया जिले के तीन मुस्लिम बहुल सब-डिवीजनों के अलावा मालदा, दिनाजपुर और जलपाईगुड़ी के कुछ हिस्से ही पूर्वी पाकिस्तान में शामिल किए जाएंगे, बाकी हिस्से भारत में ही रहेंगे।

इसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली। नदिया जिले के शिवनिवास में 14 अगस्त, 1947 की रात से ही पाकिस्तानी झंडा फहरा रहा था। 18 अगस्त को उसे उतार कर उसकी जगह भारतीय झंडा फहराया गया।

कई साल तक इस घटना को लगभग भुला दिया था। काफी कोशिशों के बाद 1991 में शिवनिवास निवासी अंजन सुकुल ने केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय से इलाके में 18 अगस्त को स्वाधीनता दिवस मनाने और तिरंगा फहराने की मंजूरी मिल गई।

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सीमा सुरक्षा बल द्वारा भी किए जाते हैं डाॅग शो, भांगड़ा जैसे कार्यक्रम
शांतिपुर के रहने वाले अमिताभ मित्र बताते हैं सीमावर्ती इलाका होने से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की ओर से भी डॉग शो और भांगड़ा जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

रानाघाट नगर पालिका के पूर्व आयुक्त तापस बनर्जी बताते हैं कि 14 से 17 अगस्त 1947 के बीच 72 घंटे का समय कठिन था। मुस्लिम लीग के सदस्यों ने इलाके में पाकिस्तानी झंडे लगा दिए थे। 17 अगस्त की शाम खबर आई कि यह क्षेत्र भारत में ही रहेगा।

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