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शहीद मेजर आशीष का पार्थिव शरीर पैतृक गांव बिंझौल पहुंचा,अंतिम संस्कार थोड़ी देर में..

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कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद मेजर आशीष धौंचक (36) का पार्थिव शरीर पानीपत से उनके पैतृक गांव बिंझौल पहुंच गया है। पानीपत से बिंझौल श्मशान घाट पहुंचने तक अंतिम यात्रा ने 14 किमी का सफर तय किया। मेजर आशीष का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार थोड़ी देर में किया जाएगा।

अंतिम यात्रा के साथ करीब एक किलोमीटर लंबा काफिला था, जिसमें करीब 10 हजार लोग शामिल हैं। शहीद को विदाई देने के लिए सड़क के दोनों तरफ लोगों की भारी भीड़ थी। दोनों तरफ खड़े लोगों ने फूल बरसाकर आशीष को विदा किया।

अंतिम यात्रा के दौरान शहीद मेजर आशीष की बहनें और मां भी बिंझौल आईं। मां पूरे रास्ते हाथ जोड़े रहीं, जबकि बहन भाई को सैल्यूट करती रही। जब भास्कर ने उनसे बात की तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि मेरा भाई हमारा और देश का गर्व है।

आशीष के पार्थिव शरीर को पहले पानीपत लाया गया
शहीद मेजर आशीष के पार्थिव शरीर को शुक्रवार (15 सितबंर) की सुबह पानीपत के TDI सिटी स्थित उनके नए मकान में लाया गया। जिसे आशीष दो साल से बनवा रहे थे। अक्टूबर में अपने जन्मदिन पर जागरण के साथ गृह प्रवेश करना था। आज उस मकान में उसके पार्थिव शरीर को लाया गया। आशीष के पिता लालचंद NFL से रिटायरमेंट के बाद सेक्टर-7 में किराए के मकान में रहते हैं।

मेजर आशीष भी 19 राष्ट्रीय राइफल्स की सिख लाइट इन्फैंट्री में तैनात थे
मेजर आशीष भी 19 राष्ट्रीय राइफल्स की सिख लाइट इन्फैंट्री में तैनात थे। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 15 अगस्त को सेना मेडल दिया था। मेजर आशीष की 2 साल की एक बेटी है, उनकी पत्नी ज्योति गृहिणी हैं। उनका परिवार अभी सेक्टर 7 में किराए के मकान में रहता है। मेजर का सपना था कि अपने खुद के घर में रहें, इसलिए उन्होंने TDI सिटी में नया घर बनवाया था।

4 महीने पहले परिवार से मिलकर गए थे
मेजर आशीष की शादी 15 नवंबर 2015 को जींद की रहने वाली ज्योति से हुई थी। 4 महीने पहले 2 मई को आशीष अर्बन एस्टेट में रहने वाले साले विपुल की शादी में छुट्टी लेकर घर आए थे। यहां वे 10 दिन रहे और इसके बाद वह ड्यूटी पर लौट गए। उनका परिवार पहले पैतृक गांव बिंझौल में ही रहता था। हालांकि 2 साल पहले वह शहर में शिफ्ट हो गए थे।

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3 बहनों के इकलौते भाई थे मेजर, चचेरा भाई भी मेजर
मेजर आशीष 3 बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी तीनों बहनें अंजू, सुमन और ममता शादीशुदा हैं। उनकी मां कमला गृहिणी और पिता लालचंद NFL से सेवामुक्त हुए हैं। उनके चाचा का बेटा विकास भी भारतीय सेना में मेजर हैं। उनकी पोस्टिंग झांसी में है लेकिन आजकल वह पूना में ट्रेनिंग पर हैं।

लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे, प्रमोट होकर मेजर बने
आशीष ने केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई की। 12वीं के बाद उन्होंने बरवाला के कॉलेज से बीटेक इलेक्ट्रॉनिक किया। जिसके बाद वह एमटेक कर रहे थे। इसका एक साल पूरा हुआ था कि 25 साल की उम्र में 2012 में भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे।

इसके बाद वह बठिंडा, बारामूला और मेरठ में तैनात रहे। 2018 में प्रमोट होकर मेजर बन गए। ढाई साल पहले उन्हें मेरठ से राजौरी में पोस्टिंग मिली। जिसके बाद वह परिवार को साथ नहीं ले गए। उन्होंने पानीपत के सेक्टर 7 में मकान लिया और उन्हें यहां छोड़ दिया।

अनंतनाग में बुधवार को शहीद हुए न्यू चंडीगढ़ के कर्नल मनप्रीत सिंह का आज उनके पैतृक गांव भड़ोजिया में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। चंडी मंदिर आर्मी कैंट से थोड़ी देर में उनका पार्थिव शरीर अंतिम सफाई पर गांव के लिए रवाना होगा।

शहीद की पार्थिव देह चंडी मंदिर कैंट से चंडीगढ़ के मध्य मार्ग से होते हुए PGI के जरिए न्यू चंडीगढ़ में दाखिल होगी। शहीद की अंतिम यात्रा के रास्ते पर लोग सफाई कर रहे हैं।

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