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लीबिया में तूफान-बाढ़ से 5 हजार लोगों की मौत,15 हजार लापता,2 डैम टूटने से डेर्ना शहर तबाह..

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अफ्रीकी देश लीबिया में डेनियल तूफान और बाढ़ ने भयंकर तबाही मचा दी है। तूफान के बाद 10 हजार आबादी वाले डेर्ना शहर के पास दो डैम टूट गए। इससे पूरा शहर तबाह हो गया है।

देश में अब तक 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 15 हजार से ज्यादा लोग लापता हैं। सिर्फ 700 शव ऐसे हैं, जिनकी शिनाख्त हो सकी है।

रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे 123 सैनिकों के बारे में भी पता नहीं चल रहा है। यही वजह है कि अब फौज भी बेबस नजर आ रही है। देश में मौजूद चुनिंदा एयरपोर्ट्स इस लायक नहीं बचे हैं कि वहां कोई हैवी या कार्गो एयरक्राफ्ट लैंड कर सके। यही वजह है कि यहां मदद पहुंचाना भी मुश्किल हो रहा है।

पूरे डेर्ना शहर में बाढ़, लाशों की शिनाख्त नहीं हो पा रही
अल जजीरा के मुताबिक, पोर्ट सिटी डेर्ना के पास दो डैम थे, तूफान और बाढ़ से ये टूट गए। इनमें से एक डैम की हाइट 230 फीट थी। सबसे पहले यही डैम तबाह हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन डैम्स की 2002 से देखरेख नहीं हुई थी।
पूरे शहर में बाढ़ का पानी आ गया है। 10 हजार आबादी वाले इस शहर में अब तक 700 लोगों की मौत हुई है। हालात इस कदर खराब हैं कि मरने वालों को दफनाने तक की जगह नहीं बची। लाशें सड़कों पर देखी जा सकती हैं।

आखिर इस तबाही की वजह क्या है

  • ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक लीबिया में सरकार का होना या न होना बराबर है। पश्चिमी हिस्से के त्रिपोली में एक सरकार है। मुल्क के पूर्वी हिस्से में 80% तबाही हुई है। यहां दर्जनों कबीले हैं और हर कबीले का किसी न किसी हिस्से पर शासन है। जाहिर है, 2011 के बाद से ही लीबिया में कोई प्रॉपर एडमिनिस्ट्रेशन, सरकार या कोई एक शासक नहीं है।
  • अमेरिका, स्पेन और तुर्किये साथ ही UN और रेडक्रॉस भी यहां मदद भेज रहे हैं। सवाल ये है कि क्या ये जरूरतमंदों तक पहुंचेगी? और अगर पहुंचेगी भी तो कैसे? क्योंकि, इन्फ्रास्ट्रक्चर नाम की तो चीज ही नहीं है और जो थी, वो भी बाढ़ में तबाह हो गई।
  • इसी डेनियल तूफान ने पिछले हफ्ते ग्रीस, तुर्किये और बल्गारिया में तबाही मचाई थी। वहां 12 लोगों की मौत हुई थी। यह तय था कि तूफान अब लीबिया की तरफ बढ़ रहा है। पांच दिन में यहां कोई कदम उठाए ही नहीं गए। सबसे ज्यादा तबाही दो डैम फूटने से हुई। अब तीसरा भी फटने की कगार पर है। दूसरी बात, लीबिया की ज्यादातर आबादी और शहर समुद्री किनारों पर हैं। इसलिए जब डेनियल तूफान यहां के कोस्टल इलाकों से टकराया तो बर्बादी ज्यादा हुई।

हेल्थ मिनिस्टर ने कहा- पानी में तैर रहीं हैं लाशें
हेल्थ मिनिस्टर ने कहा, ‘डेर्ना इलाके में हालात इस कदर खराब हैं कि कई जगहों पर तो पहुंचा भी नहीं जा सकता। यही वजह है कि हम सिर्फ अनुमान लगा सकते हैं कि जमीनी हालात क्या होंगे। कई इलाकों में पानी में लाशें तैरती नजर आ रही हैं। कई घरों में शव सड़ चुके हैं और इनकी वजह से बीमारियां फैलने का खतरा है। मुझे लगता है कि डेर्ना शहर का 25% हिस्सा खत्म हो चुका है।

सरकार ने बताया कि आखिरी आंकड़ा आएगा तो शायद दुनिया हैरान रह जाए। इतने खराब हालात सिर्फ 1959 में हुए थे। दुनिया के कई देशों ने मदद की पेशकश की है, लेकिन अभी वो कैसे मदद कर पाएंगे, ये भी देखना होगा। न एयरपोर्ट सलामत हैं और न सड़कें बची हैं।

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अफ्रीकन देश लीबिया के बारे में जानिए…
लीबिया देश अफ्रीका कॉन्टिनेंट के उत्तरी भाग में 17.6 लाख किमी स्क्वायर में फैला हुआ है। इसकी राजधानी त्रिपोली है। लीबिया की सीमा भूमध्यसागर, ट्यूनीशिया, अल्जीरिया, नाइजर, चाड, सूडान और मिस्र से मिलती हैं।

लीबिया की कुल आबादी 67.4 लाख है। 2021 के मुताबिक लीबिया की GDP 23 हजार करोड़ हैं। लीबिया का 95% रेवेन्यू पेट्रोलियम सेक्टर से आता हैं जो देश के GDP का 60% हैं। कम आबादी और पेट्रोलियम सेक्टर में ज्यादा मुनाफा होने की वजह से लीबिया की पर-कैपिटा इनकम 5 लाख के ऊपर हैं। इसी वजह से लीबिया प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की सूची में 91वें नंबर पर है।

सिर्फ नाम की सरकार

  • 1911-12 के बीच इटली ने यहां ओटोमन एम्पायर को खत्म किया और लीबिया पर कब्जा कर लिया। 1920 के दौरान इटली के शासन के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ। बहरहाल, इस आंदोलन से आजादी मिलने में करीब 20 साल लगे। 1942 में इटली और उसके सहयोगी जर्मनी ने यह देश छोड़ने का फैसला किया। इसके बावजूद लीबिया में कबीलाई संघर्ष चलता रहा और 1951 में किंग इदरीस ने इसे बतौर मुल्क आजाद घोषित किया।
  • 1956 के आसपास यहां ऑयल प्रोडक्शन पर फोकस किया जाना शुरू हुआ। 1969 में तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी ने किंग इदरीस का तख्तापलट दिया और खुद को शासक घोषित कर दिया।
  • 2011 में देश के बड़े शहर बेनगाजी में गद्दाफी के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए और फिर देश के कोने-कोने में फैल गए। इसी दौरान वो मारे भी गए। 2016 तक यह सिलसिला चला और इसी दौरान UN के दखल से यहां एक कमेटी बनी। इसे आप केयरटेकर सरकार भी कह सकते हैं।
  • 2021 में इसी सरकार को बेहतर रूप दिया गया और अब्दुल हमीद इसके प्रधानमंत्री बने। 2023 में ऑयल रेवेन्यू शेयरिंग के लिए एक कमेटी बनी। हालांकि, इसका फायदा नहीं हुआ। यहां आज भी अलग-अलग कबीलों के बीच जंग जारी है। देश के बहुत कम हिस्से पर सरकार का नियंत्रण है।
  • ‘अल अरब’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक- लीबिया में 2011 के बाद से कोई सड़क तक नहीं बनी है। बेनगाजी शहर में फिलहाल, तुर्की ने 84 लोगों की मेडिकल टीम और कुछ दवाइयां भेजी हैं।
  • UN के मुताबिक- लीबिया के हालात पर नजर रखी जा रही है और कुछ इमरजेंसी प्लान भी बनाए गए हैं। हालांकि, वहां मदद पहुंचाने के लिए दूसरे देशों की मदद लेनी होगी। एक अफसर के मुताबिक- कुछ महीने पहले तुर्किये और सीरिया में भूकंप के बाद जो हालात बने थे, कुछ वही स्थिति लीबिया में भी है। सबसे पहले तो जमीनी हालात समझने होंगे।

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