छत्तिश्गढ़
राज्यपाल अनुसुईया उइके बोलीं-विशेष सत्र बुलाने को मैंने कहा था,पहले से थी मेरी सहमति…
विधानसभा में संशोधित आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया। राज्यपाल ने भी अपनी स्वीकृति दे दी है। दैनिक भास्कर से स्पेशल इंटरव्यू में राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि नया आरक्षण विधेयक को मेरा समर्थन है। लेकिन स्थानीय आरक्षण पर समीक्षा करनी होगी। जिन जिलों में जाे जाति बाहुल्य हैं, स्थानीय भर्तियों में उन्हें प्राथमिकता दी जाए। संविधान का पालन हो, मेरा इस पर पूरा ध्यान रहेगा।
संशोधित आरक्षण विधेयक को मेरे सहमति रहेगी। मैंने ही सीएम को पत्र लिख विधेयक या अध्यादेश पारित करने को कहा था। जैसे ही सत्र के लिए स्वीकृति मांगी गई, मैंने तुरंत दे दी। हालांकि सरकार चाहती तो अध्यादेश भी ला सकती थी।
अभी सरकार को बहुत कुछ स्पष्ट करना होगा। जैसे जिले और संभाग की भर्तियों में कितना आरक्षण होगा। संविधान में कई क्षेत्रों के लिए अति पिछड़ी जनजातियों को शत प्रतिशत आरक्षण है। ऐसे में संवैधानिक हनन नहीं होना चाहिए। अभी मैं इसकी सरकार के साथ समीक्षा भी करूंगी।
राज्य सरकार से जो भी प्रस्ताव आते हैं, उन्हें पास कर दिया जाता है। अगर कोई प्रस्ताव केंद्र या संविधान के अनुरूप नहीं होता है, तो उन्हें मैं केंद्र या राष्ट्रपति को मार्गदर्शन के लिए भेज देती हूं। राज्य सरकार जब सकारात्मकता की उम्मीद करता है, तो उसे भी सकारात्मक होना चाहिए। राजभवन में कई पद खाली हैं, पत्र लिखे जा रहे हैं लेकिन अभी तक भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।
नई शिक्षा नीति का सिलेबस जल्द से जल्द लागू हो, इसके लिए सभी को निर्देशित किया है। दो-तीन महीने पहले सभी कुलपतियों, सचिव की बैठक भी इस संबंध में ली गई थी। अभी 3-4 विवि में प्रैक्टिकल करके देख लें। तब प्रदेश में लागू करेंगे।
1400 से अधिक भर्तियों पर कोर्ट में स्टे लगा था, लेकिन अब नई वैकेंसी निकाली जा रही है। मैंने उच्च शिक्षा विभाग को जल्दी नियुक्ति करने के लिए लिखा भी है। संविदा में भर्ती करने के लिए भी कहा, जिससे शिक्षण व्यवस्था प्रभावित न हो।
योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, इसके लिए मैंने कई प्रयास किए हैं। जिसका अंतर भी नजर आ रहा है। मुझे छत्तीसगढ़ से बहुत प्रेम मिल रहा है। यही वजह है कि मुझसे लोग बेझिझक मिलने आते हैं।
संविधान में 50 प्रतिशत का बंधन नहीं है। लेकिन इससे अधिक आरक्षण व्यवस्था लाने के लिए राज्य के पास आधार और आंकड़े होने चाहिए। तमिलनाडु में 69 प्रतिशत आरक्षण है। संविधान अनुच्छेद 9 में यह प्रावधान है कि संसद में ऐसे प्रस्ताव को राज्यों के परिपेक्ष्य में शामिल किया जा सकता है। झारखंड में भी ऐसा किया जा रहा है।
Source: Dainik Bhaskar
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