धार्मिक ज्ञान/विज्ञान
दीवाली पर गणेश-लक्ष्मी की पूजा की सही विधि और मुहूर्त
दीवाली का महत्व
दीवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन विशेष रूप से धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी और बुद्धि, समृद्धि के देवता भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि दीवाली पर विधिपूर्वक गणेश-लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
दीवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का महत्व
दीवाली पर माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का खास महत्व है क्योंकि लक्ष्मी जी धन, वैभव और समृद्धि की देवी हैं, और गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है। पूजा के दौरान, भक्त मां लक्ष्मी से धन, सुख-समृद्धि की कामना करते हैं और भगवान गणेश से सभी विघ्नों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। यह पूजा न केवल आर्थिक समृद्धि के लिए होती है, बल्कि जीवन में आंतरिक शांति और सफलता के लिए भी की जाती है।
दीवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा की सही विधि
1. पूजा स्थान की तैयारी:
- साफ-सफाई: सबसे पहले पूजा स्थल को साफ-सुथरा और पवित्र बनाएं। दीवाली की पूजा से पहले घर के सभी कोनों की सफाई कर लें।
- मंदिर सजाएं: घर के मंदिर या पूजा स्थल को फूलों, दीयों और रंगीन रौशनी से सजाएं।
- पवित्र स्थान का चयन: लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियों को पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करें।
2. पूजा सामग्री की व्यवस्था:
- लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियाँ
- कलश, पानी, सुपारी
- दूध, दही, घी, शहद और चीनी (पंचामृत)
- मौली, कपूर, धूप, दीपक
- चावल, हल्दी, कुमकुम, फूल और पान के पत्ते
- मिष्ठान, फल, मेवे और नारियल
- गंगाजल, सिक्के, सिन्दूर, काजल और रौली
3. गणेश-लक्ष्मी स्थापना:
- कलश स्थापना करें: सबसे पहले पूजा स्थल पर कलश की स्थापना करें। इसे जल, सुपारी, सिक्का और चावल से भरें और उस पर आम के पत्ते रखकर नारियल रखें।
- गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों की स्थापना: लक्ष्मी जी को बीच में, गणेश जी को उनके दाहिनी ओर और सरस्वती जी को बाईं ओर स्थापित करें। मूर्तियों को फूलों से सजाएं।
4. पूजन की विधि:
- आचमन और ध्यान: सबसे पहले भगवान गणेश और मां लक्ष्मी का ध्यान करें। फिर जल और अक्षत (चावल) लेकर हाथ में संकल्प लें कि आप इस पूजा को विधिपूर्वक संपन्न करेंगे।
- गणेश जी की पूजा: भगवान गणेश को सबसे पहले पूजा में शामिल करें। उन्हें फूल, अक्षत, धूप, दीपक, फल और मिष्ठान अर्पित करें। उनके सामने धूप-दीप जलाएं और उनकी आरती गाएं।
- लक्ष्मी जी की पूजा: इसके बाद मां लक्ष्मी की पूजा करें। उन्हें लाल वस्त्र, चावल, धूप, दीपक, मिष्ठान, फल और सिक्के अर्पित करें। पंचामृत से अभिषेक करें और फिर मां लक्ष्मी की आरती गाएं।
- संपत्ति और व्यापार की पूजा: पूजा के दौरान अपनी व्यापारिक पुस्तकें, आभूषण या धन रखें। इसे देवी लक्ष्मी को अर्पित करें और उनसे समृद्धि की कामना करें।
5. आरती और भोग:
पूजन के अंत में गणेश जी और लक्ष्मी जी की आरती करें। इसके बाद उन्हें मिष्ठान, फल और नारियल का भोग अर्पित करें। पूजा समाप्त होने के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें और दीप जलाएं।
दीवाली पूजा का शुभ मुहूर्त
दीवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा के लिए विशेष मुहूर्त का ध्यान रखना जरूरी होता है। दीपावली की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, जब सूरज अस्त हो चुका होता है और रात का पहला प्रहर शुरू होता है। दीपावली 2024 का लक्ष्मी पूजन मुहूर्त इस प्रकार है:
- प्रदोष काल मुहूर्त: 06:15 PM से 08:10 PM (समय स्थान के अनुसार बदल सकता है)
- अमावस्या तिथि: 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 3:52 बजे से शुरू होकर 1 नवंबर 2024 की शाम 6:16 बजे तक।
इस समय मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
पूजन के समय ध्यान रखने योग्य बातें:
- पूजा के दौरान मन को शुद्ध रखें और पूरे ध्यान से मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करें।
- पूजा स्थल पर जितना संभव हो सके, रौशनी बनाए रखें और अधिक से अधिक दीप जलाएं।
- पूजा के बाद घर में मिठाई, फल और दीये बांटना शुभ माना जाता है।
- माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली और दीपक सजाएं।
निष्कर्ष:
दीवाली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा से घर में धन, सुख और समृद्धि का वास होता है। इस पूजा को विधिपूर्वक करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में कोई विघ्न नहीं आता। शुभ मुहूर्त में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है और इससे घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है।
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