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तो क्या ममता की पूरी कैबिनेट अब CBI की हिरासत में होगी? जांच के आदेश जारी; कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला..

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Mamata Banerjee कोर्ट ने कहा कि नौकरी पाने वालों को 12 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज भी देना होगा। एसएससी मामले में हाई कोर्ट का यह फैसला लोकसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका है। इस बीच स्कूल सर्विस कमीशन ने जानकारी दी है कि वे इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाई कोर्ट के फैसले को अवैध बताया।

 स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) में अवैध भर्ती करने के लिए कई अतिरिक्त पद सृजित किया गया था। इस अतिरिक्त पद सृजित करने की मंजूरी राज्य सरकार ने ही दी थी। कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सीबीआई राज्य सरकार से जुड़े उन लोगों की भी जांच करेगी जिन्होंने अतिरिक्त पदों के सृजन को मंजूरी दी और आवश्यक निर्णय लिए। कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरी हुआ तो केंद्रीय एजेंसी उन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर सकती है। बताते चलें कि किसी भी विभाग में नए या अतिरिक्त पद सृजित करने के लिए राज्य कैबिनेट से मंजूर करना होता है।

एसएससी मामले में कोर्ट ने कहा कि इस भ्रष्टाचार की प्रकृति और सीमा जानने के लिए, इसमें कौन शामिल है, यह समझने के लिए सीबीआइ जांच जरूरी है। अतिरिक्त पदों के सृजन को लेकर भी आगे की जांच सीबीआइ को करनी होगी। इस संदर्भ में हाई कोर्ट ने टिप्पणी की राज्य सरकार की कैबिनेट ने भी एसएससी में अवैध नौकरियों को बचाने के हित में कई फैसले लिए हैं, जो आश्चर्यजनक है। सरकार से जुड़े लोग यह जानते हुए भी नौकरियां बचाना चाहते थे कि ये नियुक्तियां पैनल के बाहर और पैनल का कार्यकाल खत्म होने के बाद की गई हैं।

कथित तौर पर पैसे के बदले अवैध तरीके से नौकरी पाने वालों को भर्ती करने के लिए एसएससी में पर्याप्त रिक्तियां नहीं थीं। इसलिए कई अतिरिक्त रिक्तियां सृजित की गईं। इन्हें अधिसंख्यात्मक पद कहा जाता है। आरोप है कि उन पदों पर बड़ी संख्या में अयोग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गई है। इस प्रकार अभिलेखों में दर्शाया गया है कि उनकी नियुक्ति वास्तव में वैध है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार से जुड़े व्यक्तियों द्वारा इन अतिरिक्त पदों को सृजित करके अवैध नियुक्तियों को मान्यता देने के लिए कई निर्णय भी लिए गए। उन फैसलों को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट से मंजूरी भी दी गई थी।

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