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छत्तीसगढ़ में किसानों को करोड़पति बना रहा है कोदो..

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छत्तीसगढ़ में मोटे अनाज के उत्पादन और लाभ की संभावना बढ़ रही है। इससे किसानों को फायदा भी होता दिख रहा है। कृषि विभाग का कहना है कि प्रदेश में इन मोटे अनाजों-मिलेट का उत्पादन तेजी से बढ़ा है। केवल कोदो के प्रमाणिक बीज का उत्पादन ही एक साल में पांच गुना बढ़ गया है।

राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था के अपर संचालक ए.बी.आसना ने बताया, वर्ष 2019-20 में प्रदेश में मात्र 103 क्विंटल प्रमाणित बीज उत्पादन हुआ था। वर्ष 2020-21 में सात जिलों के 36 किसानों ने केवल 716 क्विंटल प्रमाणित बीज का उत्पादन किया। छत्तीसगढ़ बीज एवं कृषि विकास निगम ने इसको 32 लाख 88 हजार रुपए में खरीदा। वहीं वर्ष 2021-22 में कोदो बीज उत्पादक किसानों की संख्या और बीज विक्रय से होने वाला लाभ कई गुना बढ़ गया। राज्य के 11 जिलों के 171 किसानों ने पिछले साल तीन हजार 89 क्विंटल प्रमाणित बीज का उत्पादन किया। इसे बीज निगम ने चार हजार 150 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा।

यानी किसानों को इसके एवज में एक करोड़ 28 लाख 18 हजार रुपए से अधिक का भुगतान किया गया। बीते तीन वर्षो में कोदो के प्रमाणित बीज उत्पादक किसानों ने एक करोड़ 65 लाख 18 हजार 633 रुपए का बीज बेचा है। बीज विकास निगम में खरीदा गया यह बीज सहकारी समितियों के माध्यम से बोआई के लिए किसानों को दिया जा रहा है। अपर संचालक ने बताया, छत्तीसगढ़ में मिलेट्स मिशन लागू होने के बाद से राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था ने अन्य सरकारी संस्थानों से समन्वय कर बीज उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास तेज किया है। इसकी वजह से बीज उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है।

समर्थन मूल्य पर 10 कराेड़ से अधिक का मिलेट बेचा

कुछ साल पहले तक तक कोदो, कुटकी, रागी को बाजार में खरीददार नहीं मिलते थे। किसानों को आैने-पौने दाम में उन्हें बेचना पड़ता था। पिछले साल सरकार ने इसको न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की। कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल तय हुआ। वहीं रागी का समर्थन मूल्य तीन हजार 337 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है। बीते सीजन में किसानों ने समर्थन मूल्य पर 34 हजार 298 क्विंटल मिलेट्स बेचा है। इससे उन्हें 10 करोड़ 45 लाख रुपए मिले हैं।

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कम लागत में हो सकता है मिलेट का उत्पादन

अपर संचालक ए.बी. आसना ने बताया कि ऐसी कृषि भूमि जहां धान का उत्पादन नाममात्र उत्पादन होता है, वहां कोदो की खेती ज्यादा लाभकारी है। कोदो की खेती में कम पानी और कम खाद की जरूरत पड़ती है। इसकी वजह से कोदो की खेती में लागत बेहद कम आती है और फायदा बढ़ जाता है। राज्य में मिलेट्स उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इसे राजीव गांधी किसान न्याय योजना में भी शामिल किया गया है। यानी कोदो-कुटकी-रागी उगाने वाले किसानों को भी 9 हजार रुपए प्रति एकड़ के मान से अनपुट सहायता दी जा रही है।

मिलेट्स की खेती का रकबा भी बढ़ा है

बताया जा रहा है छत्तीसगढ़ में कोदो, कुटकी, रागी की खेती का रकबा 69 हजार हेक्टेयर से बढ़कर एक लाख 88 हजार हेक्टेयर हो गया है। मिलेट की खेती को प्रोत्साहन, किसानों को प्रशिक्षण, उच्च गुणवत्ता के बीज की उपलब्धता तथा उत्पादकता में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए राज्य में मिलेट मिशन संचालित है। 14 जिलों ने आईआईएमआर हैदराबाद के साथ छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्रयास से मिलेट मिशन के तहत त्रिपक्षीय समझौता हुआ है। अब मिलेट की उत्पादकता को प्रति एकड़ 4.5 क्विंटल से बढ़ाकर 9 क्विंटल करने की तैयारी है।

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