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धार्मिक ज्ञान/विज्ञान

गोवर्धन पूजा का महत्व और पूजा विधि

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गोवर्धन पूजा का महत्व और पूजा विधि February 6, 2025

गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है, दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है। इस पूजा का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है और यह मुख्य रूप से भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा करने की कथा से जुड़ी हुई है। यह त्योहार भारतीय धार्मिक परंपराओं में प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और उसकी पूजा का प्रतीक है।

गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व गहरा है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि ईश्वर की भक्ति और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता दिखाना कितना आवश्यक है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र देव की घमंड भरी बारिश से गोकुलवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। उन्होंने सभी लोगों को संदेश दिया कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करना चाहिए और उनकी सुरक्षा करनी चाहिए।

इस पूजा का उद्देश्य कृषि, पशुधन और प्रकृति की समृद्धि का सम्मान करना है, क्योंकि यह सब जीवन की नींव हैं। ग्रामीण इलाकों में, विशेषकर किसानों के लिए, यह पर्व खास तौर पर महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन प्रकृति और खेतों की रक्षा के लिए भगवान से आशीर्वाद मांगा जाता है।

गोवर्धन पूजा विधि

गोवर्धन पूजा करने की एक विशिष्ट विधि होती है, जो इस प्रकार है:

  1. पूजा की तैयारी:
    पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें और वहां गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं। इस आकृति में गायों, बैलों, और अन्य कृषि संबंधित उपकरणों को भी दर्शाया जाता है। इसे रंग-बिरंगे फूलों और पत्तियों से सजाएं। गोवर्धन पूजा की जगह को रंगोली से सजाना भी शुभ माना जाता है।
  2. भगवान कृष्ण की पूजा:
    घर के मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर रखें। उनके सामने दीपक जलाएं और फूल चढ़ाएं। गोवर्धन पूजा में दूध, दही, घी, माखन और गुड़ का भोग विशेष रूप से अर्पित किया जाता है।
  3. अन्नकूट भोग:
    इस दिन अन्नकूट का भोग बनता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के अनाज, दाल, सब्जियां और मिठाइयां भगवान को अर्पित की जाती हैं। यह भोग विशेषकर इस पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
  4. परिक्रमा:
    गोवर्धन पर्वत की आकृति की परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा के दौरान भगवान कृष्ण की जय-जयकार और भजन-कीर्तन किए जाते हैं। गोवर्धन की परिक्रमा करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  5. गायों की पूजा:
    इस दिन विशेष रूप से गायों की पूजा की जाती है। गायों को स्नान कराकर, उन्हें सजाया जाता है और तिलक लगाकर उनकी आरती की जाती है। गोवर्धन पूजा में गायों को घास, गुड़ और रोटी का भोग भी दिया जाता है। गाय को माता का दर्जा देकर उसकी सेवा करना इस पर्व का मुख्य संदेश है।

गोवर्धन पूजा का प्रसाद

गोवर्धन पूजा का प्रसाद खास होता है, जिसमें अन्नकूट और अन्य मिठाइयां भगवान को अर्पित करने के बाद घर के सभी सदस्यों और आस-पास के लोगों में वितरित की जाती हैं। यह प्रसाद समृद्धि, सौभाग्य और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।

गोवर्धन पूजा का संदेश

गोवर्धन पूजा हमें सिखाती है कि हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों की कदर करनी चाहिए और पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक होना चाहिए। यह पर्व हमें भगवान श्रीकृष्ण की करुणा और प्रबंधन के गुणों की याद दिलाता है।

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निष्कर्ष

गोवर्धन पूजा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह न केवल भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और प्रेम को दर्शाता है, बल्कि हमें यह सिखाता है कि हमें प्रकृति और पशुधन का आदर करना चाहिए। गोवर्धन पूजा का पालन करने से हमें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हम सभी की समृद्धि और खुशहाली की कामना कर सकते हैं।

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