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गांधीजी को मारने के लिए गोडसे ने ₹10 हजार लोन लिया था? जानें आखिरी 10 दिनों की पूरी कहानी
महात्मा गांधी की हत्या भारतीय इतिहास की सबसे दुखद घटनाओं में से एक है। 30 जनवरी 1948 को जब गांधीजी को नाथूराम गोडसे ने गोली मारी, तब तक वह हत्या की पूरी योजना बना चुका था। हाल ही में सामने आई जानकारी के अनुसार, इस हत्या को अंजाम देने के लिए गोडसे ने ₹10,000 का लोन लिया था और हवाई जहाज से दिल्ली पहुंचा था। आइए जानते हैं, गांधीजी की हत्या से पहले के आखिरी 10 दिनों की पूरी कहानी।
हत्या की साजिश: कैसे बना पूरा प्लान?
नाथूराम गोडसे और उसके साथी पहले भी गांधीजी पर हमले की योजना बना चुके थे, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए थे। जनवरी 1948 में उन्होंने एक बार फिर से उनकी हत्या की योजना बनाई।
- गोडसे ने ₹10,000 का लोन लिया, जिससे उसने हथियार खरीदे और दिल्ली की यात्रा की।
- वह पुणे से मुंबई आया और वहां से फ्लाइट के जरिए दिल्ली पहुंचा।
- दिल्ली पहुंचकर उसने पहले पूरी स्थिति का विश्लेषण किया और गांधीजी के प्रार्थना स्थल का दौरा किया।
- 30 जनवरी 1948 को जब गांधीजी प्रार्थना सभा में थे, तब गोडसे ने उनके पास जाकर गोली मार दी।
गांधीजी के आखिरी 10 दिन: शांति और संघर्ष का मिश्रण
गांधीजी अपनी हत्या से पहले भी देश की एकता और शांति के लिए प्रयासरत थे। उन्होंने विभाजन के बाद की हिंसा को रोकने और हिंदू-मुस्लिम एकता बनाए रखने की पूरी कोशिश की।
- 20 जनवरी: गांधीजी दिल्ली में शरणार्थियों के शिविरों में गए और वहां के हालात देखे।
- 22 जनवरी: प्रार्थना सभा में उनके खिलाफ एक बम विस्फोट की कोशिश की गई, लेकिन वे बच गए।
- 25 जनवरी: उन्होंने देश में सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए व्रत रखा।
- 28 जनवरी: सरदार पटेल और नेहरू से बातचीत की, जिसमें उन्होंने शांति बनाए रखने की अपील की।
- 30 जनवरी: शाम 5:17 बजे, गोडसे ने उन्हें गोली मार दी और महात्मा गांधी का निधन हो गया।
नाथूराम गोडसे: हत्यारे की मानसिकता और विचारधारा
नाथूराम गोडसे गांधीजी की नीतियों से असहमत था। वह मानता था कि गांधीजी की अहिंसा की विचारधारा और पाकिस्तान को वित्तीय सहायता देने का समर्थन हिंदुओं के खिलाफ था। इसी सोच ने उसे हत्या के लिए प्रेरित किया।
निष्कर्ष:
गांधीजी की हत्या भारतीय इतिहास की सबसे दुखद घटनाओं में से एक है। गोडसे की साजिश और हत्या के पीछे की पूरी कहानी यह दर्शाती है कि चरमपंथी विचारधारा किस तरह से किसी व्यक्ति को इतनी घातक कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
गांधीजी का जीवन और उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं, और हमें उनसे सीख लेनी चाहिए कि नफरत के बजाय प्रेम और अहिंसा को अपनाना ही सबसे बड़ा समाधान है।
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