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आज भारत बंद, बिहार में ट्रेनें रोकीं,राजस्थान के भरतपुर में नेट बंद, स्कूलों-कॉलेजों में छुट्टी; SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर का विरोध
आज भारत बंद का आयोजन किया गया है, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। बिहार में बंद का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जहां प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनों को रोका है। इसके अलावा, राजस्थान के भरतपुर में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है और स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी घोषित की गई है।
यह भारत बंद मुख्य रूप से सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC-ST) आरक्षण में क्रीमी लेयर की अवधारणा को लागू करने के विरोध में आयोजित किया गया है। क्रीमी लेयर का विरोध इस आधार पर किया जा रहा है कि इससे आरक्षित वर्ग के उन लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, जबकि संपन्न लोगों को इसका लाभ मिल सकता है।
बिहार और राजस्थान के अलावा, अन्य राज्यों में भी बंद का असर देखा जा रहा है, जहां लोग सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बंद के दौरान कहीं-कहीं हिंसक घटनाएं भी देखने को मिली हैं, और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन को सतर्क रहना पड़ रहा है।
इस बंद के कारण सामान्य जनजीवन प्रभावित हो रहा है, और लोग अपने-अपने क्षेत्रों में इससे निपटने के लिए तैयारियों में जुटे हुए हैं। सरकारी और निजी संस्थानों पर भी इसका असर देखा जा रहा है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां विरोध अधिक तीव्र है।
सुप्रीम कोर्ट के SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने के सुझाव के विरोध में बुधवार को दलित-आदिवासी संगठनों ने 14 घंटे का भारत बंद बुलाया है। इस बंद का असर देश के कई हिस्सों में देखने को मिल रहा है, खासकर बिहार में, जहां प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं और उन्होंने विभिन्न स्थानों पर अवरोध उत्पन्न किए हैं।
बिहार के दरभंगा और आरा में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनों को रोक दिया है, जिससे रेल यातायात बाधित हुआ है। इसके अलावा, जहानाबाद, सहरसा, और पूर्णिया में प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाईवे जाम कर दिया है, जिससे वाहनों की आवाजाही पर असर पड़ा है।
बंद का मुख्य उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के उस सुझाव का विरोध करना है, जिसमें SC-ST आरक्षण के अंतर्गत क्रीमी लेयर की अवधारणा को लागू करने की बात कही गई है। दलित-आदिवासी संगठनों का मानना है कि इस सुझाव से आरक्षण का मूल उद्देश्य प्रभावित हो सकता है, और कमजोर वर्गों को इससे न्याय नहीं मिल पाएगा।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है, और प्रशासन स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव को वापस लिया जाए और आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था को यथावत रखा जाए।
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