देश

असद का एनकाउंटर करने वाली STF की कहानी..

Published

on

13 अप्रैल की दोपहर करीब 1 बजे खबर आई कि झांसी में अतीक अहमद के बेटे असद और उसके साथी गुलाम को एनकाउंटर में मार गिराया गया। प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के बाद से असद वांटेड था। इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया UP STF ने।

एनकाउंटर के बाद CM योगी आदित्यनाथ ने कानून-व्यवस्था को लेकर बैठक की। इस मीटिंग में योगी ने UP STF की तारीफ की।

श्रीप्रकाश शुक्ला का आतंक और STF का जन्म…
साल 1993 की बात है। गोरखपुर में एक छात्रा कॉलेज से अपने घर लौट रही थी। उसे देखकर राकेश तिवारी नाम का शख्स सीटी बजा रहा था। लड़की के भाई को इसका पता चला तो उसने गुस्से में राकेश को गोली मार दी। भाई का नाम था- श्रीप्रकाश शुक्ला।

1993 में महज 20 साल की उम्र में पहला मर्डर करने के बाद श्रीप्रकाश शुक्ला बैंकॉक चला गया। कुछ समय बाद भारत लौटा तो बिहार का रुख किया। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जाता है कि यहां उसे बाहुबली नेता सूरजभान सिंह ने पनाह दी।

शुक्ला देखते-ही-देखते अपराध की दुनिया का एक बड़ा नाम हो गया। श्रीप्रकाश शुक्ला उस वक्त इकलौता ऐसा अपराधी था, जिसने मॉडर्न एके-47 का इस्तेमाल करके सनसनी फैला दी थी। शुक्ला अब UP की राजधानी लखनऊ से ही फिरौती और हत्या की सुपारी लेने का काम लेने लगा।

Advertisement

श्रीप्रकाश शुक्ला ने जनवरी 1997 में लखनऊ के सबसे बड़े लॉटरी व्यवसायी विवेक श्रीवास्तव की लाटूश रोड पर 25 से 30 गोलियां मारकर हत्या कर दी।

10 दिन बाद आलमबाग में टेढ़ी पुलिया के पास शुक्ला ने ट्रिपल मर्डर को अंजाम दिया। 31 मार्च सुबह 10:30 बजे लखनऊ में एक स्कूल के सामने UP के बाहुबली नेता वीरेंद्र शाही को भी गोली से उड़ा दिया।

रिजल्ट का दिन था। लिहाजा उस दिन वहां करीब 400 बच्चे और उनके पेरेंट्स मौजूद थे। पहले शुक्ला ने वीरेंद्र शाही के मुंह और सीने पर गोलियां मारीं। इसके बाद हार्ट किधर है, इस पर कन्फ्यूजन था तो पहले दाईं तरफ 5 गोली मारी, फिर बाईं तरफ 5 गोली मारीं। इससे पूरे UP में उसका खौफ फैल गया।

फिर मई में उसने लखनऊ के सबसे बड़े बिल्डर मूलराज अरोड़ा को हजरतगंज में उनके ऑफिस से गन पॉइंट पर किडनैप कर लिया और 2 करोड़ रुपए की फिरौती वसूल की।

1 अगस्त 1997 को श्रीप्रकाश शुक्ला ने अपने 3-4 साथियों के साथ विधानसभा से 200 मीटर दूर दिलीप होटल में 3 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी। यहां पर एके 47 से 100 से ज्यादा राउंड फायरिंग की। उस वक्त विधानसभा चल रही थी। गोलियों की तड़तड़ाहट विधानसभा में भी सुनाई दी।

Advertisement

प्रदेश की राजधानी में इन ताबड़तोड़ घटनाओं से खौफ का महौल था। इसके बाद उसने उस वक्त UP के CM कल्याण सिंह की हत्या के लिए 5 करोड़ की सुपारी ले ली।

UP के पूर्व पुलिस अफसर अजय राज शर्मा ने अपनी किताब ‘बाइटिंग द बुलेट : मेमोरी ऑफ ए पुलिस ऑफिसर’ और कुछ मीडिया इंटरव्यू में ये पूरा किस्सा शेयर किया है।

अजय राज शर्मा बताते हैं- मैं उस वक्त सीतापुर में था। मेरे पास फोन आता है कि मुख्यमंत्री आज शाम को आपसे मिलना चाहते हैं। जब मैं गया तो वे अपने कमरे में टहल रहे थे। काफी घबराए से लग रहे थे, तब मैंने पूछा सर क्या बात है?

उन्होंने कहा कि श्रीप्रकाश शुक्ला ने इतना उधम मचाया है कि मेरी सरकार के लिए यह नासूर बन गया है। हर रोज ये क्राइम करता है। क्राइम भी ऐसे कि हर अखबार में छपता है। विधानसभा में हर रोज मुझे इसका जवाब देना पड़ता है। मैंने कहा कि आप इतने परेशान सिर्फ इस बात से तो नहीं हैं। ये तो आपके लिए रोज की समस्या है।

उन्होंने कहा कि सही कह रहे हो, मैं दूसरे कारण से ज्यादा परेशान हूं। मैंने कहा कि बताइए। इस पर उन्होंने कहा कि मेरी जान को खतरा है और इसकी वजह भी श्रीप्रकाश शुक्ला है। इसने मुझे मारने के लिए 5 करोड़ रुपए की सुपारी ले ली है। मुझे मालूम है कि इस गैंग के अंदर ये काबिलियत है कि ये सारी सिक्योरिटी तोड़कर मुझे मार सकते हैं। तब मैंने कहा कि ये मामला तो काफी सीरियस है।

Advertisement

इस पर उन्होंने कहा कि इसीलिए आपको बुलाया है। कल से आप ADG लॉ एंड आर्डर का चार्ज ले लीजिए। मैंने कहा कि मुझे मंजूर है। मैं कल चार्ज ले लूंगा, लेकिन मेरी एक गुजारिश है। वे बोले क्या? मैंने कहा कि मुझे एक छोटी सी नई यूनिट चाहिए। वो भी अभी क्योंकि कल मुझे चार्ज लेना है। इसी यूनिट को स्पेशल टास्क फोर्स यानी STF का नाम दिया गया।

इसका प्रमुख अजय राज शर्मा को बनाया गया। इसमें उस समय लखनऊ के SSP अरुण कुमार और CO हजरतगंज राजेश पांडेय को शामिल किया गया। इस यूनिट में UP पुलिस के 50 बेहतरीन जवानों को छांटकर शामिल किया गया। इन सभी सदस्यों की उम्र 35 साल से कम थी। इस फोर्स को पहला टास्क श्रीप्रकाश शुक्ला को जिंदा या मुर्दा पकड़ने का मिला।

प्रेमिका और मोबाइल की वजह से मारा गया श्रीप्रकाश शुक्ला
सितंबर 1998 की एक रात STF महानिदेशक अजय राज शर्मा अपने आवास में डिनर कर रहे थे। तभी उनके पास एक दोस्त का फोन आया। उन्होंने कहा कि मुझे अभी आपसे मिलना है। इसके बाद उनके दोस्त के साथ एक होटल का मालिक भी अजय राज शर्मा के पास पहुंचा।

होटल मालिक ने कहा- ‘उसने मुझे फोन किया और मां-बहन की गाली देने लगा। जब मैंने पूछा कि तुम कौन हो तो उसने कहा कि मेरा नाम नहीं सुना आकर बताना होगा कि मैं कौन हूं। इसके बाद उसने कहा कि मैं श्रीप्रकाश शुक्ला बोल रहा हूं। तुमने जितना कमाया है, उसका 10% हिस्सा मेरे पास भेज देना नहीं तो अंजाम सोच लो। मैं कल फिर फोन करूंगा।’

इतना सुनते ही अजय राज शर्मा ने होटल मालिक को अगले दिन श्रीप्रकाश की कॉल आने पर उससे एक मिनट तक बात करने की बात कही। अगले दिन STF ने फोन कंपनी से बात करके उसकी कॉल को रिकॉर्ड करने का फैसला किया।

Advertisement

कॉल रिकॉर्ड करने पर पता चला कि ये श्रीप्रकाश शुक्ला का पर्सनल नंबर है और वह इस समय दिल्ली के वसंतकुंज इलाके में रह रहा है। यह पहला मौका था, जब फोन के जरिए किसी अपराधी को पकड़ने की कोशिश की गई थी।

फोन कॉल की हिस्ट्री को खंगालने पर पता चला कि श्रीप्रकाश शुक्ला की एक गर्लफ्रेंड है। गोरखपुर की रहने वाली गर्लफ्रेंड से अक्सर वह मिलने जाया करता था। इसके बाद अजय राज शर्मा ने पुलिस अधिकारी अरुण कुमार के नेतृत्व में STF की एक टीम को टाटा सूमो से दिल्ली भेज दिया।

STF की इस टीम ने दिल्ली क्राइम ब्रांच से मदद ली और शुक्ला के फोन कॉल को रिकॉर्ड किया जाने लगा। तब फोन टेप करने की टेक्नोलॉजी काफी नई थी, ऐसे में सबसे बड़ी समस्या ये थी कि श्रीप्रकाश शुक्ला का फोन टेप कैसे किया जाए। इसके लिए STF ने IIT कानपुर से पढ़े एक लड़के की मदद ली थी।

इसके बाद फोन टेप के जरिए 23 अक्टूबर 1998 को STF के प्रभारी अरुण कुमार को सूचना मिली कि श्रीप्रकाश दिल्ली से गाजियाबाद की तरफ आ रहा है। इसके बाद उसकी नीली कार का पीछा किया जाने लगा। इस कार का नंबर HR 26 G73 था, जो फर्जी था।

खुद श्रीप्रकाश कार को ड्राइव कर रहा था, जबकि उसके साथी अनुज प्रताप सिंह और सुधीर त्रिपाठी बैठे हुए थे। जैसे ही उसकी कार इंदिरापुरम के सुनसान इलाके में दाखिल हुई, STF ने उसे घेर लिया। श्रीप्रकाश शुक्ला को सरेंडर करने को कहा गया, लेकिन वह नहीं माना और फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस की जवाबी फायरिंग में श्रीप्रकाश मारा गया।

Advertisement

You must be logged in to post a comment Login

Leave a Reply

Cancel reply

Trending

Exit mobile version