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अब सिर्फ 15 दिन के लिए मिलेगी स्टडी लीव,विदेश जाने वाले आईएएस, आईपीएस अफसरों के लिए डीओपीटी ने तय की टाइम लिमिट

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केंद्र सरकार ने विदेश में पढ़ाई या शोध करने के लिए आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को मिलने वाली स्टडी लीव की अवधि में बदलाव किया है। अब विदेश जाने वाले अधिकारियों को अधिकतम 15 दिन की स्टडी लीव मिलेगी। यह समय सीमा कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) द्वारा निर्धारित की गई है।

इस नए नियम के अनुसार, जिन अधिकारियों को विदेश में किसी शैक्षणिक कार्यक्रम, सम्मेलन, या कार्यशाला में शामिल होना है, उन्हें अपनी पढ़ाई या प्रशिक्षण का काम 15 दिनों के भीतर पूरा करना होगा। इससे पहले, स्टडी लीव की अवधि अधिक लंबी हुआ करती थी, लेकिन अब इस समय सीमा को छोटा कर दिया गया है ताकि अधिकारियों की अनुपस्थिति को नियंत्रित किया जा सके और उनके कार्यक्षेत्र में निरंतरता बनी रहे।

यह निर्णय अधिकारियों के विदेश में लंबे समय तक रहने से सरकारी कार्यों पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

स्टडी लीव को लेकर भारत सरकार ने हाल ही में एक नया निर्देश जारी किया है, जिसके तहत आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) और आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) के अधिकारियों को विदेश में पढ़ाई, प्रशिक्षण, या शैक्षणिक गतिविधियों के लिए अधिकतम 15 दिनों की स्टडी लीव (अध्ययन अवकाश) दी जाएगी। यह निर्णय भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) द्वारा लिया गया है, जो देश के सिविल सेवकों के लिए नियम और नीतियों को निर्धारित करने वाली संस्था है।

पहले क्या था नियम:

पहले, सिविल सेवकों को विदेश में उच्च शिक्षा, शोध, प्रशिक्षण, या किसी अन्य शैक्षणिक गतिविधि के लिए एक लंबी अवधि तक की स्टडी लीव मिलती थी, जो कई बार महीनों तक भी हो सकती थी। इस स्टडी लीव के दौरान अधिकारी अपने देश के बाहर किसी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय, थिंक टैंक, या प्रशिक्षण संस्थान में विशेष अध्ययन या शोध कार्य कर सकते थे।

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नए निर्देश की आवश्यकता क्यों पड़ी:

सरकार ने इस नई समय सीमा को लागू करने का निर्णय इसलिए लिया, क्योंकि लंबे समय तक अधिकारियों की अनुपस्थिति से प्रशासनिक कार्यों पर प्रभाव पड़ता था। आईएएस और आईपीएस अधिकारी विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत होते हैं, और उनकी गैर-मौजूदगी से कार्यों में देरी या अस्थिरता आ सकती थी।

इसके अलावा, सरकार ने महसूस किया कि 15 दिनों की अवधि, विदेश में किसी भी छोटे और विशिष्ट कोर्स, कार्यशाला, या सम्मेलन में भाग लेने के लिए पर्याप्त हो सकती है। इस तरह अधिकारियों को समय पर वापस लौटकर अपने कार्यक्षेत्र में लौटने का प्रावधान बनाया गया है, ताकि प्रशासनिक कार्यों में निरंतरता बनी रहे।

नए नियम की प्रमुख बातें:

  1. अधिकतम 15 दिन की स्टडी लीव: आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को विदेश में किसी भी शैक्षणिक या शोध कार्य के लिए 15 दिनों से अधिक का समय नहीं मिलेगा। इस अवधि के दौरान, अधिकारी किसी भी अकादमिक गतिविधि, कार्यशाला, सम्मेलन, या प्रशिक्षण में भाग ले सकते हैं।
  2. सख्त अनुपालन: इस समय सीमा का पालन करना अनिवार्य है, और इससे ज्यादा समय लेने पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है। अधिकारियों को तय समय के अंदर ही अपने अध्ययन या प्रशिक्षण को पूरा करना होगा।
  3. कार्य प्रभाव: सरकार का मानना है कि इस समय सीमा से अधिकारी अपने कार्यक्षेत्र में तेजी से वापस लौट सकेंगे और प्रशासनिक कामों में देरी या रुकावट से बचा जा सकेगा। खासकर महत्वपूर्ण पदों पर बैठे अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जा सकेगी।
  4. विशेष मामलों में छूट: अगर कोई बहुत ही महत्वपूर्ण और अनिवार्य कारण हो, तो DoPT विशेष मामलों में अधिक समय की अनुमति दे सकता है, लेकिन इसके लिए विशेष मंजूरी की आवश्यकता होगी।
  5. प्रतिष्ठित कार्यक्रम: केवल प्रतिष्ठित और मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और कार्यक्रमों में ही हिस्सा लेने की अनुमति दी जाएगी। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि अधिकारी ऐसे कार्यक्रमों में भाग लें जो उनके कौशल को बढ़ाने और देश के प्रशासन में योगदान देने के लिए महत्वपूर्ण हों।

इस फैसले का प्रभाव:

  • प्रशासनिक कार्यों में निरंतरता: नए निर्देश से यह सुनिश्चित होगा कि अधिकारियों की अनुपस्थिति सीमित रहे और प्रशासनिक कार्यों में कोई लंबा व्यवधान न आए।
  • अधिकारियों पर दबाव: कुछ अधिकारी इसे एक दबाव के रूप में भी देख सकते हैं, क्योंकि 15 दिनों में विदेश में शैक्षणिक गतिविधियां या उच्च स्तरीय प्रशिक्षण पूरा करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • तेज प्रशिक्षण: सरकार चाहती है कि अधिकारी विदेशी कार्यक्रमों और प्रशिक्षणों को जल्द से जल्द निपटाएं और अपनी जिम्मेदारियों पर वापस लौटें।
  • अधिक सक्षम प्रशासन: लंबे समय तक किसी अधिकारी की गैरहाजिरी से बचने के लिए, यह नियम प्रशासनिक क्षमता को बेहतर बनाएगा और सुचारु कामकाज सुनिश्चित करेगा।

निष्कर्ष:

भारत सरकार के इस कदम का उद्देश्य प्रशासनिक सेवाओं में सुधार लाना और अधिकारियों की लंबी अनुपस्थिति से उत्पन्न समस्याओं को दूर करना है। स्टडी लीव की नई समय सीमा सिविल सेवकों को विदेश में शिक्षण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने का मौका तो देती है, लेकिन साथ ही उनकी अनुपस्थिति को नियंत्रित करने के लिए एक स्पष्ट दिशा भी प्रदान करती है।

यह नियम आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की कार्यशैली पर सीधा असर डालेगा और प्रशासनिक सुधारों के साथ इसे जोड़ने की कोशिश करेगा।

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