खेल/कूद
अंग्रेज ने दिलाया था भारत को पहला ओलिंपिक मेडल,हॉकी टीम उतारी तो डर गया इंग्लैंड,भारत के पहले मेडल की 9 कहानियां
5 फुट 5 इंच के केडी जाधव ने स्पोर्टस टीचर से कहा कि उन्हें कॉलेज के लिए रेसलिंग करनी है। टीचर ने उनकी हाइट देखते ही उन्हें भगा दिया। जाधव अपने प्रिंसिपल के पास गए और उनसे नाम जुड़वाने की मांग की। प्रिंसिपल ने ट्रायल्स के बाद जाधव का नाम रेसलिंग टीम में जुड़वा दिया।
1948 में अगर उस प्रिंसिपल ने पहल न की होती तो आजाद भारत को रेसलिंग में पहला ओलिंपिक मेडल जीतने के लिए 56 साल और इंतजार करना पड़ जाता। जाधव 1952 ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले भारत के पहले रेसलर बने। उन्हें उसी प्रिंसिपल ने अपना घर बेचकर 7 हजार रुपए दिए थे, ताकि वह ओलिंपिक खेलने के लिए 1952 में हेलसिंकी जा सकें।
भारत का पहला ओलिंपिक मेडल हॉकी में था, और यह 1928 के एम्सटर्डम ओलिंपिक खेलों में आया था। इस मेडल की कई दिलचस्प कहानियाँ और पहलू हैं:
- स्वतंत्रता के संघर्ष के बीच जीत: 1928 में भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था, और इस समय भारत का पहला ओलिंपिक मेडल जीतना एक बड़ा ऐतिहासिक क्षण था। यह जीत स्वतंत्रता संग्राम के साथ एक महत्वपूर्ण प्रतीकात्मक जीत भी थी।
- अविश्वसनीय प्रदर्शन: भारतीय हॉकी टीम ने इस ओलिंपिक खेलों में अपनी शानदार प्रतिभा का प्रदर्शन किया। टीम ने पूरे टूर्नामेंट में एक भी गोल नहीं खाया और फाइनल में नीदरलैंड्स को 3-0 से हराया।
- स्वर्णिम भारतीय टीम: टीम के कप्तान महिंदर सिंह (कपिल देव) और कोच सैयद जफर अली खान के नेतृत्व में, भारतीय हॉकी टीम ने अपने खेल कौशल और समर्पण से सबको प्रभावित किया।
- इंग्लैंड का डर: भारत की विजय ने इंग्लैंड को चौकाया। इंग्लैंड की हॉकी टीम जो पहले भारतीय टीम को एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी मानती थी, अब उन्हें यह महसूस हुआ कि भारतीय हॉकी टीम एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गई है।
- लक्ष्मीपति बालासुब्रमण्यम का योगदान: इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम के गोलकीपर लक्ष्मीपति बालासुब्रमण्यम का प्रदर्शन भी बेहद शानदार था। उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट बचाव ने भारतीय टीम को अजेय बनाए रखा।
- फाइनल की जिंदादिली: फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम ने अपने शानदार खेल के साथ दर्शकों का दिल जीत लिया। उनके आत्मविश्वास और टीम वर्क ने उन्हें विजय दिलाई।
- पदोन्नति का प्रभाव: भारत की इस ओलिंपिक सफलता ने हॉकी को देश में एक प्रमुख खेल बना दिया और युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया।
- फाइनल की जिंदादिली: फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम ने अपने शानदार खेल के साथ दर्शकों का दिल जीत लिया। उनके आत्मविश्वास और टीम वर्क ने उन्हें विजय दिलाई।
- पदोन्नति का प्रभाव: भारत की इस ओलिंपिक सफलता ने हॉकी को देश में एक प्रमुख खेल बना दिया और युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया।
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