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मध्य प्रदेश

शिवराज बोले- MP के सरकारी स्कूलों में पढ़ाएंगे गीता-रामायण..

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मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूल में अब गीता और रामायण भी पढ़ाई जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी घोषणा की। CM आज भोपाल में विद्या भारती के कार्यक्रम ‘सुघोष दर्शन’ में शामिल हुए। उन्होंने कहा, हम सरकारी स्कूलों में हमारे धर्म ग्रंथों की शिक्षा देंगे। गीता का सार, रामायण, रामसेतु और महाभारत के प्रसंग पढ़ाएंगे। ऐसे लोग, जो महापुरुषों का अपमान करते हैं, उनको सहन नहीं किया जाएगा। मध्यप्रदेश में इन ग्रंथों की शिक्षा देकर हम बच्चों को नैतिक शिक्षादेंगे।

CM ने कहा- इस काम में विद्या भारती ने जो योगदान दिया है, इसके लिए मैं उन्हें प्रणाम करता हूं। शिक्षा के तीन उद्देश्य होते हैं – ज्ञान देना, कौशल देना और नागरिकता के संस्कार देना। विद्या भारती प्रारंभ से ही इन तीनों उद्देश्यों को पूरा कर रही है। भारत अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है। ये वो देश है, जहां तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालयों में दुनियाभर से लोग ज्ञान प्राप्त करने आते थे। इसी परंपरा को विद्या भारती आगे बढ़ा रही है। हम व्यवहारिक और बेहतर शिक्षा देने के लिए काम कर रहे हैं।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर भोपाल के ओल्ड कैम्पियन ग्राउंड पर ‘सुभाष दर्शन’ कार्यक्रम हुआ। जिसमें प्रदेश के 75 सरस्वती शिशु मंदिरों के 1500 छात्र-छात्राओं ने घोष वादन किया।

CM शिवराज ने कहा- आजादी के बाद अंग्रेज तो चले गए, लेकिन हम पर अंग्रेजी लाद दी गई। स्कूलों में कहा जाने लगा कि अंग्रेजी पढ़ाओ, नहीं तो कुछ नहीं हो सकता है। अंग्रेजी जानने वाले विद्वान हों, यह जरूरी नहीं है। मेरे मन में अफसोस होता है, जब मैं देखता हूं कि जगह-जगह अंग्रेजी बोलना गर्व का विषय माना जाता है।

अब नई शिक्षा नीति में यह तय किया गया है कि मातृभाषा में शिक्षा दी जाएगी। हमने मध्यप्रदेश में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी मीडियम में करने की व्यवस्था की है। शिक्षा वो है, जो मनुष्य को मनुष्य बना दे। नैतिक शिक्षा और आध्यात्मिक शिक्षा जरूरी है। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि नैतिक शिक्षा जरूरी है। यह नैतिक शिक्षा विद्या भारती देती है।

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CM ने आगे कहा- मुझे यह कहते हुए दुख होता है, लेकिन देश में कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें हमारी संस्कृति, परंपरा, जीवनदर्शन, महापुरुष, अध्यात्म और धर्म की आलोचना करने में आनंद आता है। ऐसे लोग गूढ़ हैं। वे ये नहीं जानते कि वे देश का कितना नुकसान कर रहे हैं। राम के बिना यह देश जाना नहीं जाता है। राम हमारे रोम-रोम में बसे हैं। इस देश में जब सुख होता है, तो राम का नाम लिया जाता है और दुख होता है तो भी राम का नाम लिया जाता है। जब अंतिम संस्कार में जाते हैं, तब भी यही कहते हैं कि राम नाम सत्य है।

मुख्यमंत्री के अनुसार- भारत को आजादी अंग्रेजों ने चांदी की तश्तरी में रखकर भेंट नहीं की थी, इसके लिए असंख्य क्रांतिवीरों ने अपनी शहादत दी। आज मन में तकलीफ होती है, आजादी के बाद लंबे कालखंड तक ऐसे शहीदों का स्मरण नहीं किया गया। मैं विद्या भारती को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने आज ये कार्यक्रम आयोजित किया। आजादी का श्रेय केवल एक खानदान को दिया गया, जबकि इस लड़ाई में नेताजी सुभाष चंद्र बोस, खुदीराम बोस, दुर्गा भाभी, सरदार पटेल सहित कई लोगों ने अपना योगदान दिया। मैं नेताजी के चरणों में बारंबार प्रणाम करता हूं। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने ऐसे क्रांतिवीरों को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। आज ‘सुघोष दर्शन’ के माध्यम से नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई है।

ओल्ड कैम्पियन ग्राउंड पर दो घंटे तक चले ‘सुघोष दर्शन’ कार्यक्रम के पहले भाग में छात्र- छात्राओं के घोष वादन की प्रस्तुति हुई। इनमें बांसुरी वादन, शंख (बिगुल) वादन, आनक (साइड ड्रम), पणव (बॉस ड्रम), त्रिभुज (ट्रायंगल) सहित अन्य वाद्ययंत्रों का वादन घोष दलों ने प्रदर्शन किया। घोष वादन करते हुए छात्र- छात्राओं ने ॐ, स्वास्तिक चिन्ह सहित सुघोष दर्शन की आकृति बनाकर प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम के दूसरे और अंतिम भाग में ओल्ड कैम्पियन ग्राउंड से विद्यार्थी घोष संचलन करते हुए सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय के सामने स्थित नेताजी सुभाष चन्द्र बोस प्रतिमा स्थल पर गए और घोष वादन करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस मौके पर नेताजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया गया। विद्या भारती के घोष दल में पहली बार पाइपर वादन भी हुआ। प्रांत के 125 विद्यार्थियों के दल ने अलग से पाइपर वादन कर विशेष प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में विद्या भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री गोविंद चंद्र महंत विशिष्ट अतिथि और रिटायर्ड मेजर जनरल टीपीएस रावत विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल हुए।

मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने माता सीता के जीवन की तुलना तलाकशुदा की जिंदगी से कर दी। मोहन यादव रविवार को उज्जैन के नागदा में कारसेवक सम्मान समारोह में बोल रहे थे। मंत्री ने कहा कि मर्यादा के कारण राम को सीता को छोड़ना पड़ा। उन्होंने वन में बच्चों को जन्म दिया। कष्ट झेलकर भी राम की मंगलकामना करती रहीं। आज के दौर में ये जीवन तलाक के बाद की जिंदगी जैसा है।

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मंत्री मोहन यादव ने कहा, जिस सीता माता को राम इतना बड़ा युद्ध करके लाए, उन्हें गर्भवती होने पर भी राज्य की मर्यादा के कारण छोड़ना पड़ा। उस सीता माता के बच्चों को जंगल में जन्म लेना पड़े, वह माता इतने कष्ट के बावजूद भी पति के प्रति कितनी श्रद्धा करती है कि वह कष्टों को भूल कर भगवान राम के जीवन की मंगल कामना करती है। भगवान राम के गुणों को बताने के लिए उन्होंने बच्चों को भी संस्कार दिए। आमतौर पर आज का समय हो, तो यह तलाक के बाद का जीवन समझ लो आप। किसी को घर से निकाला दे दो, तो ये और क्या है। ऐसे कष्ट के बाद भी संस्कार कितने अच्छे कि लव-कुश ने राम को दोबारा रामायण याद दिलाई।

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