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मध्य प्रदेश

ये 5 पॉइंट इंदौर-भोपाल वंदे भारत के लिए चुनौती बनेंगे..

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इंदौर से भोपाल के बीच वंदे भारत ट्रेन की सौगात यात्रियों को मिल ही गई। पहले दिन यह ट्रेन 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से इंदौर आई। कई खूबियों और सुरक्षा के पैमानों पर खरी उतरती इस ट्रेन का किराया लोगों को ज्यादा लग रहा है। टाइमिंग को लेकर भी यात्रियों का कहना है कि इसका समय इंदौर-भोपाल इंटरसिटी से अलग रखना था। हालांकि] जानकार दावा कर रहे हैं कि जल्द ही इंटरसिटी का टाइम बदल जाएगा। संभव है कि दोनों ट्रेनों के बीच में एक घंटे का अंतर रखा जाए। रेलवे सूत्रों का यह भी दावा है कि इस ट्रेन को जल्द ही भोपाल के आगे ग्वालियर, नागपुर या खजुराहो तक बढ़ाया भी जा सकता है।

यह ट्रेन रविवार को छोड़कर इंदौर से हफ्ते में छह दिन चलेगी। बता दें कि वंदे भारत एक्सप्रेस को ट्रेन-18 के रूप में भी जाना जाता है। यह एक सेमी-हाई स्पीड ट्रेन है। इंदौर से भोपाल यात्रा के दौरान इसका केवल एक ही उज्जैन में स्टॉपेज है।

किराया

  • वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का किराया दूसरी ट्रेनों की तुलना में बेहद ज्यादा है। इंदौर से भोपाल का एसी चेयर कार (CC) का किराया 810 रुपए है। एग्जीक्यूटिव चेयर कार (EC) का किराया 1510 रुपए है। भोपाल से इंदौर वापसी में CC का किराया 910 और EC का किराया 1600 रुपए है। इस किराए में खाना भी शामिल है।
  • वंदे भारत एक्सप्रेस के 5 मिनट बाद जाने वाली इंदौर-भोपाल इंटरसिटी में सेकंड सिटिंग (नॉन एसी) का किराया 100 रुपए और एसी चेयर कार (CC) का किराया 360 रुपए है। इस किराए में किसी तरह का खाना शामिल नहीं है। यदि चार्टर्ड बस से जाना हो तो उसका किराया 435 रुपए है। इस किराए में भी खाना नहीं है।
  • ऐसे में इंटरसिटी एक्सप्रेस से वंदे भारत एक्सप्रेस को चुनौती मिल सकती है, क्योंकि एक घंटा अधिक समय के 500 रुपए से अधिक चुकाना होंगे। चार्टर्ड बस का किराया भी 375 रुपए कम है। लोगों का कहना है कि चार्टर्ड बस में स्टॉपेज की संख्या अधिक होने के कारण भी उससे जाना पसंद करते हैं।

टाइमिंग

  • वंदे भारत ट्रेन सुबह 6.30 बजे इंदौर से चलेगी जो 3 घंटे 5 मिनट में यानी 9.35 बजे सुबह भोपाल पहुंचाएगी। फतेहाबाद के रास्ते जाने वाली यह ट्रेन सुबह 7.15 बजे उज्जैन पहुंचेगी। इंदौर से रानी कमलापति स्टेशन के बीच यह ट्रेन केवल उज्जैन में ही रुकेगी।
  • इसके पांच मिनट बाद इंदौर से चलने वाली इंदौर-भोपाल इंटरसिटी सुबह 6.35 बजे इंदौर से रवाना होती है। जो 4 घंटे 20 मिनट में यानी सुबह 10.55 बजे भोपाल पहुंचती है।
  • इंदौर-भोपाल के बीच यह इंटरसिटी ट्रेन देवास, मक्सी, शुजालपुर, कालापीपल और संत हिरदाराम नगर में 2-2 मिनट रुकती है।
  • वहीं चार्टर्ड बस की बात करें तो यह नॉन स्टॉप चलते हुए 3 घंटे 30 मिनट में भोपाल के लाल घाटी बस स्टैंड पर पहुंचती है। यहां से यात्रियों को मिनी बस में पिकअप कर आईएसबीटी पहुंचाती है। बीच-बीच में यात्रियों को उतारती भी है।
  • वंदे भारत एक्सप्रेस के सामने टाइमिंग भी चुनौती है। हालांकि इंटरसिटी में एक घंटा ज्यादा लगता है, लेकिन वह भोपाल स्टेशन पर उतारती है। ऐसे में यात्रियों को भोपाल शहर के किसी भी कोने में जाने के लिए लोकल ट्रांसपोर्ट भी आसानी से मिल जाता है। इतना ही नहीं सरकारी और निजी दफ्तरों से टाइम एडजस्ट करने में भी दिक्कत नहीं आती।
  • हालांकि सूत्रों का दावा है कि इंटरसिटी एक्सप्रेस को और अधिक यात्री मिल सकें, इसलिए उसके टाइम को एडजस्ट किया जा सकता है। इसके लिए रेलवे बोर्ड टाइम टेबल को लेकर स्टडी भी कर रहा है।
  • रतलाम रेल मंडल पीआरओ खेमराज मीणा का कहना है कि किसी भी ट्रेन का समय रेलवे अपने चलने वाली ट्रेनों के ऑपरेशन और शेड्यूल के हिसाब से तय करता है।

खाने का इंतजाम

वंदे भारत ट्रेन में फूड का ऑप्शन भी दिया गया है। यह पूरी तरह से ऑप्शनल है। जिसे आप टिकट बुकिंग के समय सिलेक्ट कर सकते हैं। फूड सिलेक्शन में आप वेज और नॉन-वेज को सिलेक्ट कर सकते हैं। यदि आप नो फूड ऑप्शन चुनते हैं तो एसी चेयर कार के 810 रुपए के किराए में कैटरिंग चार्ज 142 रुपए और एग्जीक्यूटिव एसी चेयर कार के 1510 रुपए के किराए में कैटरिंग चार्ज में 175 रुपए कम हो जाएगा। रेलवे सूत्रों के मुताबिक खाने के मेन्यू में रोजाना बदलाव किया जाएगा। यह खासतौर पर उनके लिए जो डेली अपडाउन करते हैं।

यानी बिना फूड के एसी चेयर कार का किराया 668 रुपए और एग्जीक्यूटिव चेयर क्लास का किराया 1335 रुपए रहेगा। वहीं इंदौर-भोपाल इंटरसिटी और चार्टर्ड बस में किसी भी प्रकार के फूड की सुविधा नहीं है। हालांकि, कोविड के पहले तक चार्टर्ड बस में पानी की बॉटल जरूर फ्री में दी जाती थी।

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एक्सपांशन

इंदौर से भोपाल के लिए महीने भर पहले वंदे भारत ट्रेन की घोषणा हुई थी, उसी दिन से इस ट्रेन को भोपाल से आगे ले जाने की बातें होने लगीं। रेलवे सूत्रों का कहना है कि भोपाल से जबलपुर के लिए चलने वाली वंदे भारत को आने वाले समय में इंदौर से भोपाल होते हुए जबलपुर तक चलाया जा सकता है। जबकि इंदौर से भोपाल चलने वाली वंदे भारत को ग्वालियर या नागपुर या खजुराहो तक बढ़ाया जा सकता है।

एक्सपांशन को लेकर सांसद शंकर लालवानी का कहना है कि ट्रेन को आगे बढ़ाना की पूरी संभावना है। हम रेल मंत्री से मिलकर जनता की बात रखेंगे। लोकसभा के सत्र में इस पर चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा। वहीं इंदौर क्षेत्र क्रं. 3 के भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय ने कहा कि इस ट्रेन को जबलपुर तक बढ़ाया जाना चाहिए।

सुविधाएं

वंदे भारत ट्रेन में वातानुकूलित चेयर कार वाले ही कोच लगे हैं। जिनमें बैठने के लिए 2 ऑप्शन है। पहला इकॉनामी और दूसरा एग्जीक्यूटिव क्लास। इकॉनामी नॉर्मल चेयर कार की तरह है। जबकि एग्जीक्यूटिव क्लास में रिवॉल्विंग चेयर दी गई है। जो 180 डिग्री तक घूम जाती है।

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वापसी

वंदे भारत ट्रेन भोपाल से वापसी में रात को 7.25 बजे इंदौर के लिए कमलापति स्टेशन चलेगी। इससे फायदा उन यात्रियों को होगा जो अपना काम रात 7 बजे के पहले पूरा कर इंदौर या उज्जैन आना चाहते हैं। वहीं जो लोग 5 बजे भोपाल से चलने वाली इंटरसिटी में नहीं बैठ पाएंगे वे इस ट्रेन से लौट सकेंगे। वहीं भोपाल से रात को आने वाली ट्रेन में यात्री वेज या नॉन वेज खाना ले सकेंगे। इससे घर आकर खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

दूसरा, यह ट्रेन उन यात्रियों को लिए ज्यादा फायदेमंद है जो भोपाल से महाकाल के दर्शन करने जाएंगे। ऐसे श्रद्धालु यात्री भोपाल से 7.25 बजे वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन से चल कर और रात 9.30 बजे उज्जैन पहुंच सकेंगे। ये श्रद्धालु सुबह भस्म आरती में शामिल होने के बाद इंदौर से सुबह 6.30 बजे चलने वाली वंदे भारत में उज्जैन से सुबह 7.15 बजे बैठ कर भोपाल लौट सकेंगे।

बड़ी उम्मीदों से शुरू हुई डबल डेकर भी इन कारणों से बंद हुई

इंदौर-भोपाल-हबीबगंज रूट की डबल डेकर ट्रेन को 9 साल पहले बंद कर दिया गया था। यह ट्रेन सितंबर 2013 में शुरू हुई थी, जिसे 2014 में बंद कर दिया गया था। वहीं जब यह शुरू हुई थी तब यह 10 कोच से चलती थी, जिसे कम यात्री होने पर 3 कोच कर दिया गया था और आखिरी में बंद करना पड़ा।

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4 कारण जिसके वजह से बंद हुई थी डबल डेकर

1. किराया ज्यादा: भोपाल तक चलने वाली डबल डेकर ट्रेन का किराया 445, जबकि हबीबगंज तक जाने वाली का 395 रुपए।
2. देरी: सफर साढ़े तीन घंटे में पूरा होना चाहिए, लेकिन ज्यादातर समय यह 30 मिनट से 1 घंटे लेट चली। वॉल्वो बस कम किराए में तय समय पर पहुंचाती थी।
3. शताब्दी ट्रेन से लिंक नहीं: ट्रेन को सुबह 10 बजे इंदौर से चलाने का एक मकसद था कि यात्री ढाई बजे भोपाल पहुंच जाएं। वहां से जिन्हें दिल्ली जाना है, वह शताब्दी एक्सप्रेस से रात तक वहां पहुंच जाएं। हालांकि देरी के कारण ऐसा नहीं हुआ।
4. अपडाउनर ने बनाई दूरी: अपडाउनर और देवास-उज्जैन के यात्री ज्यादा किराए की वजह से इस ट्रेन में नहीं बैठते थे।

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