मणिपुर
मणिपुर में इंटरनेट बैन के बीच SMS रिपोर्टिंग,हिंसा और फायरिंग जारी..
3 मई को हिंसा शुरू होने के बाद पूरे मणिपुर में इंटरनेट बंद कर दिया गया। 83 दिन बाद 25 जुलाई को कुछ इलाकों में ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू हुई। अब मोबाइल डेटा बंद हुए 93 दिन गुजर चुके हैं। www.indiacensus.net के मुताबिक, मणिपुर की मौजूदा आबादी करीब 34 लाख है। ये 34 लाख लोग सिर्फ फोन कर सकते हैं या फिर टेक्सट मैसेज यानी SMS भेज सकते हैं।
फोटो-वीडियो भेजना है तो इंफाल के DIPR (Directorate of Information and Public Relations) ऑफिस पहुंचकर भेजना होगा। घर जल रहे हों, गोलियां चल रही हों, गैंगरेप हों, मर्डर हो या फिर औरतें निर्वस्त्र घुमाई जाएं, ये खबर तभी बाकी दुनिया तक पहुंच सकती है, जब आप खुद सुरक्षित इंफाल पहुंच सकें।
पूरा मणिपुर 3 महीने से इसी अंधेरे में डूबा है। 4 मई को तीन महिलाओं को निर्वस्त्र कर एक भीड़ परेड कराती है, लेकिन बाकी देश-दुनिया को ये बात 19 जुलाई को पता चलती है। 3 अगस्त को एक बार फिर बिष्णुपुर के पास हिंसा भड़की।
3 अगस्त को देर शाम तक भास्कर रिपोर्टर कुकी इलाके में जाने की कोशिश में मोइरांग में रुका रहा, लेकिन सेंट्रल फोर्सेज ने किसी को जाने नहीं दिया। वो 4 अगस्त को इंफाल लौटकर ही इस पूरी घटना के फोटो-वीडियो हमें भेज सकेंगे। न्यूज एजेंसी के कुछ रिपोर्टर इंफाल लौटे, तो उन्होंने शाम में कुछ वीडियो-फोटो भेजे हैं, जो हम नीचे आपको दिखा रहे हैं।
न्यूज एजेंसी ने जो बताया…
बिष्णुपुर जिले में गुरुवार को सेना और RAF जवानों के साथ लोगों की झड़प हो गई। सुरक्षाबलों ने भीड़ को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। इसमें 19 लोग घायल हो गए। कुकी समुदाय ने हिंसा में मारे गए लोगों के शव चुराचांदपुर के टोइबुंग शांति मैदान में दफनाने की बात कही थी। मैतेई समुदाय ने इसका विरोध किया।
थोरबुंग में कुकी और मैतेई इलाके के बीच का बफर जोन है। मैतेई महिलाओं ने बफर जोन पार कर कुकी इलाके में जाने की कोशिश की। सुरक्षाबलों ने उन्हें रुकने के लिए कहा। मैतेई महिलाएं नहीं मानीं, भीड़ को हटाने के लिए असम राइफल्स ने हवाई फायरिंग की और आंसू गैस के गोले दागे।
फिलहाल मणिपुर का सच यही है, वो इंफाल आने तक बिना तस्वीरों वाला है। सिर्फ लिखकर और बोलकर ही बताया जा सकता है
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