मध्य प्रदेश
भोपाल निगम में 838 शब्दों की पाबंदी पर तकरार..
विधानसभा की तर्ज पर भोपाल नगर निगम परिषद की मीटिंग में कुल 838 अभद्र या अमर्यादित शब्द कहने पर पाबंदी लगाई गई है। ऐसा करने वाली भोपाल देश की पहली नगर निगम है। अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने कहा कि संसदीय परंपरा को लेकर यह बड़ा कदम है। इसी मुद्दे पर अब तकरार भी देखने को मिल रही है। जिन शब्दों पर पाबंदी लगाई गई है, उनमें ‘पप्पू’ और ‘पप्पू पास हो जाएगा’ भी शामिल हैं। जिसे लेकर निर्दलीय पार्षद पप्पू विलास राव घाड़गे ने आपत्ति ली है।
पार्षद घाड़गे ने इसे लेकर एक वीडियो भी जारी किया है। जिसमें आपत्ति जताई गई है। उन्होंने कहा कि मेरा नाम पप्पू विलास राव घाड़गे हैं। मैं तीन बार इसी नाम से पार्षद पद के लिए निर्वाचित होकर आया हूं और तीनों बार परिषद की मीटिंग में शामिल हुआ हूं। अब आने वाले समय में मेरा नाम किस प्रकार से लिया जाएगा? अधिकारी-कर्मचारी, महापौर और अध्यक्ष मुझे पप्पू भाई ही कहते हैं, क्योंकि मैं सीनियर पार्षद हूं। अब यदि कोई मेरा नाम पप्पू लेंगे तो अध्यक्ष टोकेंगे कि यह तो अमर्यादित शब्द है। मेरे सामने प्रश्न खड़ा हो गया है कि अब मेरा नाम किस प्रकार से लिया जाएगा। मेरे माता-पिता ने मेरा नाम पप्पू रखा था, लेकिन अब मीटिंग में यह नाम लेने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। इस पाबंदी को तुरंत हटाया जाए।
नेता प्रतिपक्ष बोलीं-अब हम क्या बोलेंगे
नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी ने कहा कि कोई भी प्रस्ताव लाने से पहले उसकी विधिक प्रक्रिया देखी जाती है। नियम देखे जाते हैं। अध्यक्ष को क्या नगर निगम अधिनियम की धारा-33 के अधीन यह शक्ति प्राप्त है अथवा नहीं। नगर निगम की कामकाज संचालन प्रक्रिया में यह लागू होता है अथवा नहीं। भोपाल शहर में 85 पार्षद है। सभी को अपने अधिकारों का प्रयोग करने की शक्ति है। आप प्रस्ताव को परिषद में विधिवत लाते, चर्चा कराते और फिर परिषद से अनुमोदन होकर संकल्प पारित कराते। आप एक अकेले इस पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं रखते। मेयर इन काउंसिल एवं 85 पार्षद इस परिषद का मुख्य अंग है।
इन शब्दों पर पाबंदी
जिन 838 शब्दों पर पाबंदी लगाई गई हैं, उनके प्रमुख रूप से ससुर, गंदी सूरत, 420, उल्लू का पठ्ठा, बुद्धी मारी गई है, झूठा, बेशर्म, एक ही थैली के चट्टे-बट्टे, गरीब सदस्य बेचारे, जंगली सुअर, पागलखाना, निक्कमे, पागल, चोर, सड़क छाप, बदमाश, बूढ़ा शेर, लफंगे लोग, शेखी बघारना, कम अकल, भ्रष्ट, शैतान, लफंगा, दो-दो कौड़ी के लोग, उचक्का, नंगा घूमना, बेशर्म लोग हैं गुंडागर्दी कर रहे हैं, सावन के अंधों को हरा ही दिखता है।
- ढोंगी, पाखंडी, चुड़ैल, टुच्चा, टुच्चों, मैं पांव पकड़कर समय मांगता हूं, पापी, नमक हराम, चोरी और सीनाजोरी, भ्रष्टाचारियों की पार्टी, रंगरूठ, गुंडों को संरक्षण देना, बेईमानों की पार्टी है, मंद दिमाग, बंधुआ मजदूर, निक्कमी सरकार, गुलाम, जूते लगाएंगे, अप्पू महाराज, चमचे, लानत, आदमखोर, लालच, घूस, मुर्ख आदमी, गेंडे की खाल ओढ़े बैठे हैं, तुमको शर्म आनी चाहिए, खलनायक, रंगा-बिल्ला, चंगु-मंगु, आपकी औकात क्या है, आपको शर्म आना चाहिए, बेचारा, पप्पू पास हो जाएगा, मजाक उड़ाएंगे, नौटंकी जैसे शब्द, कुकर्म।
- 900 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली, यह सदन के ठेकेदार हैं, सबमें कमीशन बंटा हुआ है या बंधा हुआ है, आपकी सोच शर्मनाक है, घड़ियाली आंसू, लूटपाट, आपके लोगों ने लूटा है, बूचड़खाना, माई का लाल, सांप बनकर, देशद्रोही हो तुम, बड़ा हेडमास्टर बनता है, थोड़ी तो शर्म करों, बिल्कुल कीड़े पड़ेंगे, मगरमच्छ अधिकारी, मगरमच्छ अधिकारी बैठे हैं, चमचागिरी, पाप का घड़ा।
- क्या अध्यक्ष मनमानी करेंगे, क्यों मिर्ची लग रही है, गुलछर्रे उड़ाना, अंधा अंधे को रेवड़ी बांटे, झूठ का पुलिंदा, ढोंग, बंदरबाट, अधिकारी डाकू है, बेचारा, आप तो लाफिंग बुद्धा हो, चोर की दोढ़ी में तिनका आदि।
महापौर को लेकर ये नहीं कह सकेंगे
- महापौर आप इस तरह से जवाब देती हैं कि ऐसा लगता है, जैसे वे हिल स्टेशन से लौट रही है।
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