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छत्तिश्गढ़

बिना टेक्नीशियन के ‘वायरोलॉजी लैब’:कैसे जीतेंगे कोरोना से जंग…

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चीन, जापान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और ब्राजील जैसे देशों में कोरोना के मामलों के बढ़ने के बाद सरकार ने अलर्ट जारी किया है। लेकिन, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) में संचालित एकमात्र वायरोलॉजी लैब में पिछले तीन माह से स्टाफ ही नहीं है। ऐसे में सिर्फ दो टेक्नीशियन के भरोसे काम चल रहा है। दैनिक भास्कर की टीम हालात जानने के लिए के लिए वायरोलॉजी लैब पहुंची, तब वहां सन्नाटा पसरा हुआ था। इधर, डीन डॉ. केके सहारे का कहना है कि उन्होंने संविदाकर्मियों के एक्सटेंशन की फाइल तीन महीने पहले ही शासन को भेज दी है, जिस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के तेजी से फैलने की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने जहां तैयारियां करने के निर्देश दिए है। सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठकें ली जा रही है और अस्पतालों में ढांचागत सुविधाओं को तत्काल शुरू करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन, संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज सिम्स के एकमात्र वायरोलॉजी लैब बिना टेक्नीशियत के संचालित हो रहा है। दैनिकभास्कर की टीम जब यहां पहुंची, तब विभाग प्रमुख डॉ. रेखा बारपात्रे सहित स्टाफ नदारद मिले। हालांकि, एचओडी ने बताया कि वे जरूरी मीटिंग में है। इसलिए वे बाद में मिल पाएंगी।

सिम्स के माइक्रो बायलॉजी डिपार्टमेंट में संचालित वायरोलॉजी लैब में सन्नाटा पसरा हुआ था। यहां एक महिला और एक पुरुष स्टाफ मिले। उन्होंने बताया कि वे दूसरे विभाग से यहां अटैच हैं। एक आयुष्मान कार्ड का काम देखता है। अभी वायरोलॉजी लैब में एंट्री का काम देख रहा है। लेकिन, अभी गिने-चुने ही एंट्री हो रही है।

वायरोलॉजी लैब का नाम सुनकर जेहन में PPE कीट पहने स्टाफ का ख्याल आता है। हमें भी लगा कि लैब में कुछ इसी तरह का नजारा देखने को मिलेगा। लेकिन, यहां दो स्टाफ बिना किसी सुरक्षा के बैठे थे। उन्होंने बताया कि टेक्नीशियन जब RT-PCR सेंपल की जांच करते हैं, तब PPE कीट पहनते हैं। लेकिन, अभी कोई जांच नहीं हो रही है। जरूरी सेंपल आने पर ही जांच की जाती है।

दरअसल, सिम्स के वायरोलॉजी लैब के 21 कर्मियों की संविदा अवधि तीन माह पहले ही खत्म हो चुकी है। इसी तरह राजनांदगांव और अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के लैब में भी यही स्थिति है। इसके चलते कोरोना जांच ही नहं हो पा रही है। कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए सिम्स प्रबंधन ने यहां माइक्रो बायलॉजी डिपार्टमेंट व दूसरे डिपार्टमेंट से दो टेक्नीशियन की ड्यूटी लगाई है, जो जरूरत के मुताबिक कोरोना की जांच करते हैं।

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इधर, संविदा कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें संविदा अवधि बढ़ने की उम्मीद थी। इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से लेकर हेल्थ डायरेक्टर सहित मंत्रालय में चक्कर लगाया। लेकिन, उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा। इसके चलते अब उन्होंने भी उम्मीद छोड़ दी है। इस स्थिति में अब उनके सामने रोजगार का संकट है। उन्होंने बताया कि लैब में कोरोना सहित अन्य जांच प्रभावित हो रही है। संविदा अवधि न बढ़ाने का असर लैब में दिखने लगा है। कर्मचारियों की कमी के कारण कोरोना आरटीपीसीआर जांच पूरी तरह से प्रभावित है।

शहर में कोविड-19 के नियंत्रण और बचाव की सभी सुविधाएं पिछले कई महीनों से बंद पड़ी हैं। स्वास्थ्य विभाग ने सैंपल लेने के लिए अलग-अलग छह जगहों पर सैपलिंग के लिए छह सेंटर बनाए थे, जो पिछले छह महीने से बंद हैं। यहां तक सिम्स और जिला अस्पताल में भी कोरोना टेस्ट नहीं हो पा रहा है।

टीकाकरण में भी अभियान में भी अफसरों ने लापरवाही बरती। विदेशों के साथ-साथ अब भारत में भी कोविड के नए केस मिलने लगे हैं। चीन जैसे बड़े देशों में कोरोना की जो तस्वीर सामने आ रही, वह भयावह और चिंता बढ़ाने वाली है। फिर भी कोरोना से निपटने टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है। फिर भी स्वास्थ्य विभाग के अफसर इसमें गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।

जिले की जनसंख्या 16 लाख है। इसमें 14 लाख लोगों को पहली डोज लगी है। 97 प्रतशित लोगों ने दूसरी डोज लगवाई और तीसरी डोज सिर्फ 43% आबादी को ही लग पाई है। ऐसे में कोरोना का संक्रमण बढ़ा तो खतरा हो सकता है। इधर, स्वास्थ्य विभाग के पास बड़ों के लिए वैक्सीन की डोज सिर्फ एक हजार मौजूद है। फिलहाल इसकी सप्लाई भी ठप है।

सिम्स में कोविड-19 को लेकर फिर से नया आदेश जारी हुआ है। अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में मास्क और सैनेटाइजर इस्तेमाल करने वालों को ही प्रवेश देने के आदेश दिए गए हैं। ऐसा नहीं करने वाले किसी भी शख्स के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही स्टाफ को भी मास्क लगाना जरूरी है। डीन डॉ. केके सहारे ने दूसरे देशों के अलावा देश और राज्य में इस संक्रमण के फैलाव को देखते हुए भी यह आदेश जारी किया है। इससे पहले अस्पताल में मरीज मास्क और दूसरी गाइडलाइन का पालन किए बगैर ही आना-जाना कर रहे थे। जिन्हें कोई रोक-टोक करने वाला नहीं था लेकिन अब ऐसे लोगों पर अस्पताल प्रबंधन और मेडिकल कॉलेज दोनों जगह निगरानी रखी जाएगी।सिम्स की वायरोलाजी लैब ने एक नई उपलब्धि प्राप्त की थी। डेढ़ साल में लैब ने तीन लाख 60 हजार कोरोना जांच कर रिकार्ड बनाया था। कोरोना वायरस के प्रकोप से पूरी दुनिया परेशान थी, तब वायरोलॉजी लैब के संविदा स्टाफ ने जानजोखिम में डालकर टेस्टिंग की थी। जिस गति से देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रहा था, वैसे-वैसे संक्रमण की जांच के लिए किए जाने वाले टेस्ट की संख्या भी बढ़ रही थी।

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कोरोना संक्रमण की शुरुआत जब प्रदेश में हुई, तब वायरोलाजी जांच के लिए एकमात्र रायपुर एम्स में ही जांच हो रही थी। बाद में बिलासपुर समेत पूरे संभाग में जब संक्रमण बढ़ने लगा तो लैब की मांग होने लगी और बिलासपुर में भी वायरोलाजी लैब की स्थापना की मांग की जाने लगी। इसके लिए प्रक्रिया शुरू की गई और फिर जल्द ही सिम्स में इसकी स्थापना कर कोरोना की जांच शुरू हुई। इससे इसके रोकथाम में काफी हद तक मदद भी मिली थी।

सिम्स के डीन डॉ. केके सहारे का कहना है कि वायरोलॉजी लैब में संविदा कर्मचारियों के एक्सटेंशन के लिए तीन माह पहले फाइल शासन के पास भेजी गई है। इसके साथ ही उन्होंने कई बार रिमाइंडर लेटर भी दिया है। फाइल फाइनेंस डिपार्टमेंट में अटका है। फिलहाल, अभी बिलासपुर में हालात सामान्य है। गिने-चुने लोगों की ही जांच चल रही है। शासन के निर्देश पर सिम्स में तैयारियां की जा रही है। अभी कोई मरीज भर्ती नहीं है। जरूरी होने पर ही कोरोना जांच की जा रही है।।

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