देश
अगले साल आटा महंगा हो सकता है,देश में गेहूं का रकबा 3% तक कम, चने की बुवाई ज्यादा, अल नीनो का असर भी
गेहूं के उत्पादन में 4% की गिरावट आ सकती है। देश में बुवाई का रकबा घटने के बाद गेहूं का उत्पादन करीब 10.64 करोड़ टन रह सकता है। पिछले साल (2022-23) में गेहूं का उत्पादन 11.05 करोड़ टन रहा था।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 3 नवंबर तक देश में गेहूं का रकबा पिछले साल के मुकाबले 12.6% तक कम था। जानकारों की मानें तो अभी कई जगह बुवाई जारी है। फिर भी इस साल बुवाई का रकबा 3% तक कम रह सकता है। यह करीब 3.04 करोड़ हेक्टेयर रह सकता है। पिछले साल यह 3.14 करोड़ हेक्टेयर था।
सीएमआईई की रिपोर्ट के मुताबिक, गेहूं की बुवाई कम होने के दो प्रमुख कारण हैं। पहला- इस बार किसानों को चने के दाम ज्यादा मिल रहे हैं, इसलिए चने की बुवाई ज्यादा हो रही है। चने के दाम 12.3% बढ़े हैं, जबकि गेहूं के दाम 6.6% बढ़े हैं। दूसरा- अल नीनो के चलते देश के मध्य और उत्तरी हिस्से में तापमान सामान्य से ज्यादा रहा।
इसके चलते गेहूं की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 1% घटकर 3,480 किग्रा प्रति हेक्टेयर रह गई। मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में गेहूं के उत्पादन में ज्यादा गिरावट की आशंका है। संभव है कि पंजाब और हरियाणा में उत्पादन पिछले साल के बराबर ही रहे।
गेहूं के उत्पादन में 4% की गिरावट आ सकती है। देश में बुवाई का रकबा घटने के बाद गेहूं का उत्पादन करीब 10.64 करोड़ टन रह सकता है। पिछले साल (2022-23) में गेहूं का उत्पादन 11.05 करोड़ टन रहा था।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 3 नवंबर तक देश में गेहूं का रकबा पिछले साल के मुकाबले 12.6% तक कम था। जानकारों की मानें तो अभी कई जगह बुवाई जारी है। फिर भी इस साल बुवाई का रकबा 3% तक कम रह सकता है। यह करीब 3.04 करोड़ हेक्टेयर रह सकता है। पिछले साल यह 3.14 करोड़ हेक्टेयर था।
सीएमआईई की रिपोर्ट के मुताबिक, गेहूं की बुवाई कम होने के दो प्रमुख कारण हैं। पहला- इस बार किसानों को चने के दाम ज्यादा मिल रहे हैं, इसलिए चने की बुवाई ज्यादा हो रही है। चने के दाम 12.3% बढ़े हैं, जबकि गेहूं के दाम 6.6% बढ़े हैं। दूसरा- अल नीनो के चलते देश के मध्य और उत्तरी हिस्से में तापमान सामान्य से ज्यादा रहा।
इसके चलते गेहूं की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 1% घटकर 3,480 किग्रा प्रति हेक्टेयर रह गई। मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में गेहूं के उत्पादन में ज्यादा गिरावट की आशंका है। संभव है कि पंजाब और हरियाणा में उत्पादन पिछले साल के बराबर ही रहे।
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