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‘NOTA के समर्थन में फोन कर रहे लोग, BJP ने जो किया…’, कांग्रेस प्रत्याशी के रण छोड़ने पर सुमित्रा महाजन हैरान..

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लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के इंदौर लोकसभा उम्मीदवार के अंतिम समय में नामांकन पर्चा वापस लेने पर हैरानी जताई। उन्होंने इस घटनाक्रम को अनुचित बताते हुए इस बात पर जोर दिया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतदाताओं को निर्णय लेने का अधिकार है। दरअसल इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम 29 अप्रैल को नामांकन वापस लेते हुए चुनाव से हट गए थे।

लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के इंदौर लोकसभा उम्मीदवार के अंतिम समय में नामांकन पर्चा वापस लेने पर हैरानी जताई। उन्होंने इस घटनाक्रम को अनुचित बताते हुए इस बात पर जोर दिया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतदाताओं को निर्णय लेने का अधिकार है।

दरअसल, इंदौर में कांग्रेस को तब बड़ा झटका लगा जब, पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार अक्षय कांति बम 29 अप्रैल को नामांकन वापस लेते हुए चुनाव से हट गए और भाजपा में शामिल हो गए।

समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में महाजन ने कहा, “मुझे इंदौर में कांग्रेस के उम्मीदवार के नामांकन वापस लेने के बारे में जानकर आश्चर्य हुआ… ऐसा नहीं होना चाहिए था। इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि दीवार पर लिखा था कि इंदौर में भाजपा को कोई नहीं हरा सकता।”

बता दें कि मध्य प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर भाजपा का गढ़ रही है। सुमित्रा महाजन यहां से 1989 से लगातार आठ बार सांसद रही हैं। उन्होंने कहा, “चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को ऐसा नहीं करना चाहिए था। एक तरह से उन्होंने अपनी पार्टी कांग्रेस को भी धोखा दिया, लेकिन मुझे ऐसे शब्दों का इस्तेमाल क्यों करना चाहिए?”

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पूर्व लोकसभा अध्यक्ष महाजन ने कहा कि वह परिस्थितियों और इस घटनाक्रम से अनजान थीं, जिसकी वजह से ऐसी स्थिति पैदा हुई। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि वास्तव में क्या हुआ था। अगर ये सब हमारे लोगों ने किया है तो ये गलत है। ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं थी। अगर कांग्रेस उम्मीदवार ने अपनी मर्जी से ऐसा किया है तो मैं भी उनसे कहूंगा कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।”

उन्होंने कहा कि अगर उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया है तो उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए। महाजन ने कहा कि इंदौर लोकसभा सीट के इतिहास में अपनी तरह के पहले चुनावी बदलाव के बाद, शहर के कुछ शिक्षित लोगों ने उन्हें फोन करके कहा कि वे नोटा विकल्प को दबाएंगे। लोगों ने इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा कि ‘बीजेपी ने जो किया उन्हें वह पसंद नहीं आया।’

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