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छत्तिश्गढ़

MBBS फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स की अनोखी परंपरा,शव के सम्मान में करते हैं पूजा…

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कैडवेरिक ओथ मेडिकल पढ़ाई की पहली सीढ़ी यानी कि MBBS फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स की अनोखी परंपरा है। पढ़ाई शुरू करने से पहले स्टूडेंट्स शव की पूजा कर शपथ लेते हैं। सिम्स में भी सोमवार को इस परंपरा के साथ स्टूडेंट्स के लिए कैडवेरिक ओथ का आयोजन किया गया। डीन डॉ. केके सहारे ने कहा कि प्रत्येक डॉक्टर के लिए मानव शरीर को ही पहला टीचर माना जाता है। इसलिए उसकी पूजा कर शपथ ली जाती है।

छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (CIMS ) में सोमवार को एमबीबीएस फर्स्ट ईयर के 2022-23 बैच के स्टूडेंट्स की व्हाइट कोट सेरेमनी हुई। इस दौरान एनाटॉमी विभाग के हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में डीन डॉ. केके सहारे के साथ टीचर्स और स्टूडेंट्स ने डिपार्टमेंट में रखे शव का विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और फूल-मालाएं भी चढ़ाई। कार्यक्रम में डीन डॉ सहारे ने सबसे पहले कैडवेर दान करने वाले के परिजनों के लिए कहा कि वे सब महान हैं, जिन्होंने मानव कल्याण के लिए इतना बड़ा योगदान दिया। उपस्थित डॉक्टर्स ने नए छात्र-छात्राओं को सफेद एप्रीन पहनाकर व्हाइट कोट सेरेमनी का आगाज किया। इसके बाद एनॉटॉमी की एचओडी डॉ शीक्षा जांगड़े ने एमबीबीएस के नए स्टूडेंट्स को कैडवेर के प्रति मान सम्मान और आदर की शपथ दिलाई।

डीन बोले- एमबीबीएस की पहली सीढ़ी है एनाटॉमी
डीन डॉ. केके सहारे ने कहा कि शरीर रचना (एनाटॉमी) ही एमबीबीएस की प्रथम सीढ़ी है, जिससे होकर एक अच्छा चिकित्सक बना जा सकता है। उन्होंने कहा कि नए छात्र-छात्राओं को देह दान करने वाले लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए कि उन्होंने किस तरह से त्याग किया है।

मानव शरीर से ही मिलता है चिकित्सकीय ज्ञान
उन्होंने कहा कि मानव शरीर की पूजा कर शपथ इसलिए ली जाती है, क्योंकि इसके माध्यम से ही मेडिकल छात्रों को पेशेवर सिद्धांत, ज्ञान, आचरण और परोपकारी व्यवहार की जानकारी मिलती है। इस शपथ में छात्रों ने मानव शव का सर्वोच्च सम्मान के साथ व्यवहार करने, शव की गोपनीयता का सम्मान करने और मृतक और उनके परिवार के इस महान बलिदान से प्राप्त ज्ञान का उपयोग समाज की सेवा में लगाने के लिए शपथ लिया जाता है।

डीन डॉ. सहारे ने कहा कि आज इस कैडवेर ओथ के माध्यम से हम उस शरीर को नमन करते हैं, जो नए छात्रों को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाता है और उन्हें एक अच्छा डॉक्टर बनने की प्रेरणा देता है। इस कार्यक्रम में एनाटॉमी विभाग की एचओडी शीक्षा जांगड़े, सहायक प्राध्यापक डॉ. अमित कुमार, सहायक पाध्यपक डॉ. शशि पैकरा और डिमास्ट्रेटर डॉ कमलजीत बासन सहित स्टूडेंट्स मौजूद रहे।

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क्या है कैडवेर सेरेमनी
कैडवेर सेरेमनी (Cadaver Ceremony) यानी शव की पूजा। एमबीबीएम प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले छात्र के जीवन का यह सबसे अहम पड़ाव होता है। पहले साल वह शरीर संरचना विज्ञान की पढ़ाई करता है। यह वह वक्त होता है जब वह पहली बार किसी शरीर को हाथ लगाता है। कैडवेर सेरेमनी यानी पूजा इसलिए की जाती है, क्योंकि वह मानव सेवा जैसे महान कार्य के लिए एक शरीर के कई हिस्सों के बारे में जानने जा रहा है। वह भविष्य में मानवीय मूल्यों की रक्षा करते हुए अनेक मानव जीवन को बचाने में सहायक बनेगा।

इसलिए भी खास होता है यह सेरेमनी
एमबीबीएस प्रथम वर्ष के स्टूडेंट्स के लिए कैडवेर सेरेमनी इसलिए भी खास माना जाता है, क्योंकि वे एक शिक्षक से (मानव शरीर) की संरचना समझेंगे। जीवन भर समाज को शिक्षित करने के लिए दिन रात एक करने वाला शिक्षक (शव) अपनी मौत के बाद भी समाज को ‘धरती का भगवान’ दे रहा है। इस एक मानव शरीर से हर साल सैकड़ों स्टूडेंट्स पढ़ाई कर डॉक्टर्स बनते हैं। जिसमें उनके अहम योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

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