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महाशिवरात्रि 2025: दुर्लभ ज्योतिषीय योग और उनका महत्व

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महाशिवरात्रि 2025 का पर्व 26 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा। इस वर्ष की महाशिवरात्रि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि 60 वर्षों बाद एक दुर्लभ ग्रह संयोग बन रहा है, जो भक्तों और ज्योतिष प्रेमियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण

दुर्लभ ग्रह संयोग: सूर्य और शनि का कुंभ राशि में मिलन

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य को पिता और शनि को पुत्र का प्रतीक माना जाता है। इस महाशिवरात्रि पर, सूर्य और शनि दोनों कुंभ राशि में स्थित होंगे, जिससे एक शक्तिशाली और अद्वितीय योग का निर्माण होगा। ऐसा ग्रह संयोग दशकों में एक बार ही बनता है और इसे विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है।

चतुर्ग्रही योग: चार ग्रहों का महासंयोग

महाशिवरात्रि 2025 पर, कुंभ राशि में चार प्रमुख ग्रहों—सूर्य, चंद्रमा, बुध, और शनि—का संयोग होगा, जिसे चतुर्ग्रही योग कहा जाता है। यह महासंयोग विशेष रूप से कर्क, सिंह, और मिथुन राशि के जातकों के लिए लाभदायक माना जा रहा है। इस योग के प्रभाव से इन राशियों के लोगों को करियर, धन, और व्यापार में बड़ी सफलताएँ मिल सकती हैं।

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श्रवण नक्षत्र और त्रिग्रही योग का महत्व

इस महाशिवरात्रि पर, श्रवण नक्षत्र सुबह से शाम 5:08 बजे तक प्रभावी रहेगा। साथ ही, बुध, शनि, और सूर्य तीनों ग्रह कुंभ राशि में स्थित रहेंगे, जिससे त्रिग्रही योग का निर्माण होगा। ये योग भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं और भक्तों को विशेष फल प्रदान कर सकते हैं।

इन दुर्लभ योगों का भक्तों पर प्रभाव

इन दुर्लभ ग्रह संयोगों के कारण, महाशिवरात्रि 2025 भक्तों के लिए विशेष फलदायी हो सकती है। शिव भक्तों को इस अवसर पर रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, और शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


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