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ISRO का चंद्रयान-3 एक अगस्त की रात 12 से 1 के बीच धरती के चारों तरफ पांचवें ऑर्बिट से ट्रांस लूनर ट्रैजेक्टरी में डाला गया

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ISRO का चंद्रयान-3 एक अगस्त की रात 12 से 1 के बीच धरती के चारों तरफ पांचवें ऑर्बिट से ट्रांस लूनर ट्रैजेक्टरी (Trans Lunar Trajectory) में डाला गया. इस प्रक्रिया को ट्रांस लूनर इंजेक्शन (Trans Lunar Injection – TLI) कहते हैं. यानी धरती की सड़कों को छोड़ कर अब वो चंद्रमा की ओर जाने वाले हाइवे पर जा चुका है.वैसे इसरो ने इस काम के लिए चंद्रयान-3 के इंटिग्रेटेड मॉड्यूल के इंजन को करीब 20 से 26 मिनट के लिए ऑन किया था. प्लानिंग तो 12:03 से 12:23 बजे के बीच ये काम करने की थी. लेकिन इसरो वैज्ञानिक एक घंटे का मार्जिन लेकर चल रहे थे. ताकि किसी तरह की अनजान समस्या से निपटा जा सके.

चंद्रयान को चांद के हाइवे पर डालने के बाद अगला ऑर्बिट मैन्यूवर या ऑर्बिट इंजेक्शन 5 अगस्त को होगा. तब चंद्रयान को चांद के पहले बड़े ऑर्बिट में डाला जाएगा. ऐसे पांच ऑर्बिट मैन्यूवर होंगे. जो 6 अगस्त, 9 अगस्त, 14 अगस्त, 16 अगस्त और 17 अगस्त तक होते रहेंगे. 17 अगस्त को ही चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे.

आसान नहीं है चंद्रयान-3 का रास्ता

अलग होने से पहले दोनों मॉड्यूल चंद्रमा के चारों तरफ 100X100 किलोमीटर की दूरी वाले ऑर्बिट में चक्कर लगाएंगे. 18 अगस्त 2023 को शुरू होगी डीआर्बिटिंग यानी डीबूस्टिंग. लैंडर मॉड्यूल की गति को कम किया जाएगा. उसे 180 डिग्री का घुमाव देकर उलटी दिशा में घुमाएंगे. ताकि उसकी गति कम हो सके.

गति कम करना, दिशा पलटना मुश्किल काम

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इस ऑर्बिट से चांद की तरफ जाने के लिए गति को 2.38 किलोमीटर प्रतिसेकेंड से कम करके 1 KM प्रतिसेकेंड किया जाएगा. दूसरी डीऑर्बिटिंग 20 अगस्त को की जाएगी. तब चंद्रयान-3 के लैंडर को 100X30 किलोमीटर के लूनर ऑर्बिट में डाला जाएगा. इसके बाद 23 अगस्त की शाम 5 बजकर 47 मिनट पर चंद्रयान-3 का लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा.

अभी इतनी गति से जा रहा है चंद्रयान-3

फिलहाल चंद्रयान-3 की गति 1 किलोमीटर प्रति सेकेंड से 10.3 किलोमीटर प्रति सेकेंड के बीच रह रही है. यानी जब चंद्रमा धरती के नजदीक आता है, जिसे पेरीजी कहते हैं, तब उसकी गति 37,080 किलोमीटर प्रतिघंटा रहती है. जब वह एपोजी यानी दूर जाता है. तब उसकी गति 3600 किलोमीटर प्रतिघंटा रहती है. ट्रांस लूनर इजेक्शन के लिए गति को बढ़ाना होगा. साथ ही चंद्रयान-3 के एंगल को भी बदलना होगा. ये काम चंद्रयान के धरती के नजदीक यानी पेरीजी पर किया जाएगा.

लैंडर में लगे हैं ऐसे यंत्र जो खुद कराएंगे लैंडिंग

चंद्रयान-3 के लैंडर में लेजर एंड RF बेस्ड अल्टीमीटर्स, लेजर डॉपलर वेलोसिटीमीटर लगे हैं. ये उसके इंजन को यानी आगे बढ़ाने या फिर डिएक्सीलिरेट मतलब गति धीमी करने में मदद करेंगे. ऑनबोर्ड कंप्यूटर यह तय करेगा कि कौन सा इंजन किस समय कितनी देर के लिए ऑन किया जाएगा. यान किस दिशा में जाएगा. लैंडिंग की जगह चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने फिक्स कर दी है.लैंडिंग के समय धीरे-धीरे थ्रॉटल कम करेंगे. एक या दो किलोमीटर की ऊंचाई पर आने के बाद करीब 15 मीटर प्रति सेकेंड की गति से नीचे उतरेगा. लैंडर के लेग्स तीन किलोमीटर प्रति सेकेंड को बर्दाश्त कर लेंगे. इंजन से निकलने वाले धूल से बचने के लिए ऐसा किया जाएगा.

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