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कोमा में डॉक्टर, पिता ने ₹75 लाख क्लेम मांगा: इंदौर कोर्ट ने माना कभी ठीक नहीं होंगे, राशि बढ़ाकर ₹81 लाख देने का आदेश
मामला क्या है?
इंदौर में एक डॉक्टर गंभीर हादसे के बाद कोमा में चले गए, जिसके बाद उनके पिता ने बीमा कंपनी से ₹75 लाख का क्लेम मांगा। इस मामले में कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए माना कि डॉक्टर अब कभी ठीक नहीं हो सकते। इसलिए कोर्ट ने बीमा कंपनी को मुआवजा राशि बढ़ाकर ₹81 लाख देने का आदेश दिया।
यह फैसला पीड़ित परिवार के लिए राहत लेकर आया है, लेकिन यह भी सवाल खड़ा करता है कि क्या बीमा कंपनियां अक्सर मुआवजे की उचित राशि देने से बचती हैं?
कैसे हुआ हादसा?
मिली जानकारी के अनुसार, डॉक्टर एक सड़क दुर्घटना के शिकार हुए थे, जिसके कारण उन्हें गंभीर सिर और रीढ़ की हड्डी में चोट आई। यह दुर्घटना इतनी भयावह थी कि उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के बावजूद वे कोमा में चले गए।
कोर्ट का फैसला और तर्क
- डॉक्टर के पिता ने बीमा कंपनी से ₹75 लाख के क्लेम की मांग की थी।
- बीमा कंपनी ने इसे कम राशि देने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पीड़ित की स्थिति गंभीर और स्थायी है।
- कोर्ट ने चिकित्सा विशेषज्ञों की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि डॉक्टर के ठीक होने की संभावना नहीं है।
- कोर्ट ने मुआवजा राशि बढ़ाकर ₹81 लाख करने का फैसला सुनाया।
बीमा कंपनियों की भूमिका पर सवाल
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि बीमा कंपनियां अक्सर पीड़ितों को उनका सही हक देने में आनाकानी क्यों करती हैं?
- पीड़ित परिवार को पहले कम राशि देने की पेशकश की गई।
- जब कानूनी कार्रवाई हुई, तो अदालत ने सही मुआवजा तय किया।
- यह दर्शाता है कि बीमा कंपनियां क्लेम में कटौती करने की प्रवृत्ति रखती हैं।
क्या इस फैसले का असर होगा?
इंदौर कोर्ट का यह फैसला भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल बन सकता है। अब अन्य पीड़ित परिवार भी अपना हक पाने के लिए कानूनी रास्ता चुनने के लिए प्रेरित होंगे।
पीड़ित परिवार की प्रतिक्रिया
डॉक्टर के पिता ने कोर्ट के फैसले पर संतोष व्यक्त किया लेकिन यह भी कहा कि यह एक लंबी कानूनी लड़ाई थी। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में बीमा कंपनियां पीड़ितों को जल्द और उचित मुआवजा देंगी ताकि परिवारों को न्याय के लिए लंबा इंतजार न करना पड़े।
निष्कर्ष
इंदौर कोर्ट का यह निर्णय बीमा कंपनियों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। यदि कोर्ट का हस्तक्षेप न होता, तो पीड़ित परिवार को कम मुआवजा ही मिल पाता। ऐसे मामलों में सही जानकारी और कानूनी सहायता बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है।
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- बीमा कंपनी ने कम क्लेम दिया
- मुआवजा केस इंदौर कोर्ट
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