छत्तिश्गढ़
CG में बाघों की दहाड़ सुन जंगल से भागे लोग…
छ्त्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित इंद्रावती टाइगर रिजर्व में वन विभाग के कैमरे में बाघ की तस्वीर कैद हुई है। तस्वीर में बाघ दहाड़ता हुआ नजर आ रहा है। बाघ की उम्र करीब 5 से 6 साल बताई जा रही है। इंद्रावती टाइगर रिजर्व के उप निदेशक धमशील गणवीर ने बाघ होने की पुष्टि की है। उन्होंने तस्वीर को भी जारी किया है।
दरअसल, इंद्रावती टाइगर रिजर्व बाघों के रहवास के लिए काफी अनुकूल माना जाता है। इससे पहले भी यहां बाघ होने की पुष्टि हो चुकी है। लेकिन, इस बार जो बाघ दिखा है, उसकी तस्वीर पहली बार सामने आई है। महाराष्ट्र-तेलंगाना से लगा इंद्रावती टाइगर रिजर्व करीब 2799.086 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। वन विभाग के अफसरों का कहना है कि, यहां बाघ के अलावा और भी कई वन्य जीव हैं। राजकीय पशु वन भैंसा, नीलगाय और तेंदुए की संख्या ज्यादा है।
शिकार की संभावना
इंद्रावती टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों का शिकार भी लगातार हो रहा है। तेंदुए का शिकार कर खाल बेचना तो आम बात हो गई है। कुछ महीने पहले शिकारियों ने एक बाघ का शिकार किया था। खाल बेचने जा रहे आरोपियों को पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। शिकारियों के मुताबिक, इंद्रावती टाइगर रिजर्व में ही उन्होंने बाघ को मारा था।
इधर कुछ प्रकृति और वन्य जीव प्रेमियों ने कहा कि, देश में बाघों की संख्या घटती जा रही है। बीजापुर में बाघ की मौजूदगी अच्छी खबर है। उनकी माने तो बाघ की तस्वीर को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। इसकी वजह है कि शिकारी इनका शिकार करने की कोशिश करेंगे।
इंद्रावती टाइगर रिजर्व में हैं 8 रेंज, 2 में दिखे थे टाइगर
इंद्रावती टाइगर रिजर्व में कुल 8 रेंज हैं। टाइगर को ट्रैप करने के लिए इन इलाकों में कैमरे लगाए गए थे। इनमें से दो रेंज में लगाए गए कैमरों में अलग-अलग लोकेशन में कुछ महीनों पहले 5 बाघ की तस्वीर कैद हुई थी। फिलहाल इसी के आधार पर 5 बाघ होने की पुष्टि हुई थी। हालांकि, सुरक्षा की दृष्टि से लोकेशन सार्वजनिक नहीं किया गया था।
सोमनपल्ली में ग्रामीणों ने सुनी थी बाघ की दहाड़
बीजापुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाके सोमनपल्ली के ग्रामीणों ने बताया कि, वे कुछ दिन पहले जंगल में बांस लेने गए हुए थे। इसी बीच जंगल में 2 बाघों की दहाड़ सुनाई दी थी। दहाड़ सुनकर ग्रामीण फौरन जंगल से घर की ओर भाग आए। ग्रामीणों के अनुसार केवल सोमनपल्ली ही नहीं इसके आस-पास के क्षेत्रों में भी बाघ की दहाड़ सुनाई देती है। हालांकि, अब तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में आना-जाना करते हैं टाइगर
बीजापुर छत्तीसगढ़ राज्य का अंतिम जिला है। इसके आगे महाराष्ट्र की सीमा लगती है। दोनों राज्यों के बीच घनघोर जंगल और पहाड़ी वाला इलाका है। इंद्रावती टाइगर रिजर्व के बाघ छत्तीसगढ़ से महाराष्ट्र के इलाकों में पहुंच जाते हैं। हालांकि, कुछ समय बाद वे वापस छत्तीसगढ़ लौट जाते हैं।
गणना में चौंकाने वाले आंकड़े आए थे सामने.. यहां पढ़िए
छत्तीसगढ़ में कुछ माह पहले बाघों की गणना पूरी होने के साथ ही कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए थे। अचानकमार टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में लगे कैमरों में 300 जगहों पर बाघ की तस्वीरें मिली थी तो उदंती सीतानदी में 55 स्पॉट पर बाघ कैमरा ट्रैप में फंसे थे। धुर नक्सली इलाके के इंद्रावती टाइगर रिजर्व में भी ढाई सौ से ज्यादा जगहों पर बाघों की तस्वीरें मिली थी।
बिलासपुर के अचानकमार टाइगर रिजर्व में सर्वाधिक बाघों की उपस्थिति के दावे किए जाते रहे हैं। 2010 से 2014 के बीच तो वहां 20 से 25 बाघ होने का दावा हुआ। उदंती-सीतानदी के टाइगर रिजर्व में भी 8 से 10 तक बाघों की संख्या के दावे कर दिए गए।
14 साल में 60 करोड़ फूंके, फिर भी टाइगर सुरक्षित नहीं
बाघों के संरक्षण और सुरक्षा में पिछले 14 साल में 40 करोड़ से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं। 2007-08 में बिलासपुर के अचानकमार और उदंती सीतानदी को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। 2009 में बस्तर के इंद्रावती नेशनल पार्क को भी टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। बिलासपुर और उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद से अब तक हर साल औसतन 3 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं।
इसके बावजूद यहां बाघों की संख्या बढ़ना तो दूर, सुरक्षा तक नहीं मिल पा रही है। पिछले एक साल में अचानकमार में ही दो बाघ के शव मिल चुके हैं। इंद्रावती में भी अलग-अलग मद से खर्च किया जा रहा है। पिछले साल इस रिजर्व को ढाई करोड़ रुपए अतिरिक्त मिले। इस तरह, तीनों रिजर्व फॉरेस्ट में पिछले 14 साल में करीब 60 करोड़ से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं।
गिनती का फार्मूला
- पहले फेस में बाघ की दहाड़ कहां गूंजी, मल और पंजों के निशान का पता लगाया जाता है।
- दूसरे फेस में ये पता लगाया जाता है कि कहां कहां पेड़ की छाल में नाखून के निशान मिले।
- तीसरे फेज में जहां दहाड़ सुनी गई और नाखून के निशान मिले, वहां 21 दिन कैमरा लगाते हैं।
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