फिल्म जगत
रश्मिका मंदाना के डीपफेक वीडियो पर सरकार सख्त, IT मिनिस्टर ने दी चेतावनी.
रश्मिका मंदाना के वायरल डीपफेक वीडियो के बाद इस पर खूब चर्चा हो रही है. इस वीडियो को लेकर सरकार सख्त कदम उठा रही है. IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस मामले में इंटरमीडिएटरी यानी सोशल मीडिया कंपनियों को चेतावनी दी है और उन्हें नियमों का पालन करने के लिए कहा है. आइए जानते हैं पूरा मामला.
रश्मिका मंदाना के Deepfake वीडियो वायरल होने के बाद सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं. IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने इस मामले में इंटरमीडिएटरी प्लेटफॉर्म्स को चेतावनी दी है. उन्होंने बताया कि सभी इंटरमीडिएटरीज को डीपफेक मामले में नोटिस जारी किया गया है और उन्हें नियमों का पालन करने को कहा गया है.
अगर कोई प्लेटफॉर्म ऐसा नहीं करता है तो वो कानूनी सुरक्षा खो देगा. IT एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत इंटरमीडिएटरी प्लेटफॉर्म्स को नोटिस भेजा गया है. इसमें 66D, कम्प्यूटर रिसोर्सेस का उपयोग करके दूसरे का वेश बनाकर धोखा देना शामिल है. इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की सजा और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना है.
IT नियमों के तहत हो सकती है कार्रवाई
इसके अलावा IT इंटरमीडिएटरी नियम 3(1)(b)(vii) के तहत सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म नियमों का ध्यान रखना होगा कि किसी दूसरे व्यक्ति की नकल न हो. Rule 3(2)(b) कहता है कि किसी की नकल के बारे में आए किसी भी कंटेंट की शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर इंटरमीडिएटरीज को ऐसे कंटेंट हटाने होंगे या इस तक पहुँच का निष्क्रिय करने के लिए कदम उठाना होगा.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का एक डीपफेक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में किसी और लड़की के चेहरे पर रश्मिका के चेहरे को मॉर्फ किया गया है. इसके बाद से डीपफेक पर बवाल मचा हुआ है. वैसे डीपफेक का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस तरह के तमाम वीडियोज मौजूद हैं.
इस टेक्नलॉजी में AI और मशीन लर्निंग की मदद से किसी के चेहरे, हावाभाव और दूसरी डिटेल्स की नकल किसी दूसरे शख्स के वीडियो के साथ किया जाता है. आसान भाषा में कहें, तो किसी शख्स के चेहरे, आवाज और दूसरी तमाम डिटेल्स का इस्तेमाल गलत तरीके से वीडियो क्रिएट करने के लिए किया जाता है.
कैसे दिया जाता है अंजाम?
रिवेंज पॉर्न और दूसरे गैरकानूनी कामों में इसका कई बार इस्तेमाल हो चुका है. इस तरह के वीडियोज क्रिएट करने के लिए यूजर की हाईक्वालिटी फोटोज और वीडियो चाहिए होते हैं. इनकी मदद से एक एल्गोरिद्म को ट्रेन किया जाता है और फिर उसका इस्तेमाल फेक वीडियो क्रिएट करने में होता है.
इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल फिल्मों में किया जाता है. मसलन किसी को यंग दिखाना हो या फिर बॉडी डबल के साथ इसका इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, पिछले कुछ वक्त में इसका काफी ज्यादा गलत इस्तेमाल होने लगा है. इंटरनेट ऐसे वीडियो से भरा पड़ा है, जिसमें वॉयस क्लोनिंग से लेकर फेस मॉर्फिंग तक की गई है.
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