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मणिपुर

मणिपुर CM के घर पर हमले की कोशिश,पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को 500 मीटर पहले रोका..

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मणिपुर में दो लापता स्टूडेंट्स की हत्या को लेकर विरोध प्रदर्शन चार दिन से जारी है। गुरुवार को गुस्साई भीड़ इंफाल में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के निजी घर पर हमला करने पहुंची। हालांकि, पुलिस ने उनको घर से करीब 500 मीटर पहले ही रोक लिया। आंसू गैस के गोले दाग कर उन्हें खदेड़ दिया। फिलहाल CM के घर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

इससे पहले बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने थोबुल जिले में भाजपा कार्यालय में आग लगा दी। उधर, इंफाल में BJP स्टेट प्रेसिडेंट शारदा देवी के घर पर भी हमला किया गया। इसके अलावा इंफाल वेस्ट में डिप्टी कलेक्टर के घर में भी आगजनी की कोशिश की गई।

हैरान करने वाली बात ये है कि जिन इलाकों में हिंसा भड़की है, उन्हें मणिपुर सरकार ने ‘शांतिपूर्ण’ घोषित कर रखा है।

मृतक स्टूडेंट्स के घर के पास प्रदर्शन
इंफाल वेस्ट जिले के टेरा में गुरुवार को हजारों लोगों ने मृतक स्टूडेंट्स के घर के पास प्रदर्शन किया। उनकी मांग है कि छात्रों के हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। वहीं, पीड़ित लड़की की चाची ने दैनिक भास्कर से कहा कि उन्हें सिर्फ बच्चों की बॉडी चाहिए, ताकि वे उनका अंतिम संस्कार कर सकें। उन्होंने कहा कि हम किसी भी बात पर समझौता नहीं करेंगे, यहां तक कि जब तक शव उन्हें नहीं दिया जाता, तब तक आर्थिक मुआवजा भी स्वीकार नहीं किया जाएगा।

केंद्र सरकार ने श्रीनगर के SSP राकेश बलवाल को जम्मू-कश्मीर से मणिपुर ट्रांसफर किया है। राकेश 2012 बैच के IPS अफसर हैं। वे 2021 के अंत में श्रीनगर के SSP बनाए गए थे। हिंसा के बीच उन्हें मूल कैडर मणिपुर भेजा गया है। श्रीनगर SSP के रूप में कार्यभार संभालने से पहले राकेश साढ़े 3 साल तक NIA में बतौर SP रहे। वे उस टीम के मेंबर थे, जिसने 2019 पुलवामा आतंकी हमले की जांच की थी। इस हमले में 40 CRPF जवानों की जान चली गई थी।

न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने IPS राकेश बलवाल को AGMUT कैडर से मणिपुर कैडर में समय से पहले वापस भेजने के गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

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27 सितंबर को जारी नोटिफिकेशन में मैतेई बहुल 19 थानों को AFSPA कानून से दूर रखा गया है। यह 1 अक्टूबर से कुकी-नगा इलाकों में लागू होगा। जिन 19 थाना क्षेत्रों को AFSPA से अलग रखा गया है, उनमें इंफाल, लेंफेल, सिटी, सिंग्जमेई, सेकमई, लामसांग, पत्सोई, वांगोई, पोरोमपट, हेंगेंग, लामलाई, इरिलबुंग, लेमखोंग, थोबुल, बिष्णुपुर, नांबोल, मोइरोंग, काकचिंग और जिरिबम शामिल हैं। चौंकाने वाली बात है कि ये सभी मैतेई इलाके हैं। इन्हें छोड़कर राज्य के बाकी हिस्से को डिस्टर्ब एरिया घोषित किया गया है।

CM बीरेन सिंह और सरकार पर मैतेई समर्थक होने के आरोप
CM बीरेन सिंह और सरकार पर पहले ही मैतेई समर्थक होने के आरोप लगते रहे हैं। ये फैसला विवादों में इसलिए है क्योंकि शांतिपूर्ण घोषित किए गए इंफाल, थोबुल में ही मैतेई लोगों की भीड़ ने आगजनी की और BJP दफ्तर जला दिया।

स्कूल खुलने के बाद इन्हीं इलाकों में स्टूडेंट इकट्ठा हुए और प्रदर्शन किया। इसी के बाद हिंसा फिर भड़की और 50 लोग घायल हुए हैं। ऐसे में हिंसाग्रस्त इलाकों को शांतिपूर्ण बताकर AFSPA से दूर रखा जाना फिलहाल समझ से परे है।

जुलाई से लापता दो छात्रों की हत्या, शव अभी तक नहीं मिले
मणिपुर में 23 सितंबर को मोबाइल इंटरनेट से बैन हटने के बाद दो स्टूडेंट्स के शवों की फोटो सामने आई थी, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। फोटो में दोनों की बॉडी जमीन पर पड़ी हुई नजर आ रही है। साथ ही लड़के का सिर कटा हुआ है। हालांकि, दोनों के शव अभी तक नहीं मिले हैं।

जुलाई में दोनों स्टूडेंट्स एक दुकान में लगे CCTV कैमरे में दिखाई दिए थे, लेकिन उसके बाद से उनका पता नहीं चल सका है।

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