छत्तिश्गढ़
5 घंटे सड़क जाम..और फिर आदिवासियों का हंगामा, आरक्षण मसले पर CM आवास घेरने निकले प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने रोका तो हुआ बवाल…
रायपुर की सड़क पर करीब 5 घंटे तक आदिवासी समुदाय के लोगों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। आरक्षण के मसले पर गाेंडवाना गणतंत्र पार्टी के बैनर तले धरना दिया गया। इसके बाद बड़ी तदाद में आदिवासी प्रदर्शनकारी जुलूस निकालकर CM आवास घेरने निकले। पुलिस ने इन्हें रोक दिया। प्रदर्शनकारी बैरीकेड पर चढ़कर लाठियां चलाने लगे।
बूढ़ापारा की सड़क पर काफी देर तक यूं ही बवाल चलता रहा। पुलिस के साथ धक्का-मुक्की होती रही। जब आगे जाने में प्रदर्शनकारी कामयाब नहीं हो सके, तो सड़क को जामकर बैठ गए। घंटों तक इनका धरना सड़क पर चलता रहा। पुलिस भी इन्हें नहीं हटा सकी। देर शाम होने के बाद प्रदर्शनकारी नए सिरे से प्रदर्शन करने की चेतावनी के साथ लौटने लगे।
उप चुनाव में पता चलेगा
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय कमरू ने कहा – 32 प्रतिशत आरक्षण को कम कर दिया गया। बुधवार को इसी वजह से यहां लोग आए, समाज में नाराजगी है। 2012 में आरक्षण का हक मिला था। अब वर्तमान में ये आरक्षण कम कर दिया गया। कोर्ट में जो बात आरक्षण को लेकर रखी जानी चाहिए थी नहीं रखी गई और इसे गैर संवैधानिक घोषित किया गया।
संजय कमरू ने आगे कहा- इसकी वजह से जो बस्तर और सरगुजा संभाग में स्थानीय लोगों को चतुर्थ श्रेणी की नौकरी में प्राथमिकता मिलती थी। वो खत्म हो गई। अब उप चुनाव में इसका नतीजा दिखेगा। हम गांवों में जाकर लोगों को सब कुछ बताएंगे। ये आदिवासियों की जीवन से जुड़ी चीजें हैं। समाज के लोग समझ रहे हैं। 2023 में भी भाजपा-कांग्रेस को इसका असर देखने को मिलेगा।
एक दिन पहले ही पूरे प्रदेश में हुआ था चक्काजाम
मंगलवार को प्रदेशव्यापी आंदोलन किया गया। मुद्दा आरक्षण ही था। इस आंदोलन की अगुवाई सर्व आदिवासी समाज ने की। बालोद और कबीरधाम जिले में भी आदिवासियों ने सड़क और रेल मार्ग को जाम कर दिया। इससे आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। आदिवासी समाज के लोगों ने बालोद जिले के दल्लीराजहरा-राजनांदगांव मुख्य मार्ग मानपुर चौक को भी जाम कर दिया, रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर में भी बड़े स्तर विरोध प्रदर्शन हुए।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद बढ़ी नाराजगी
बिलासपुर हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर सुनावाई के बाद विवाद उपजा। पहले जो व्यवस्था थी उसके तहत प्रदेश में 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण विशेष वर्गों को मिलने लगा था, इसे असंवैधानिक बताते हुए आरक्षण को रद्द कर दिया गया। इसी वजह से आदिवासियों का आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया है। इसलिए आदिवासी समाज नाराज है।
आरक्षण पर क्या कहती है सरकार
सरकारी विभागों में आरक्षण रोस्टर के मुताबिक काम हो रहा है या नहीं यह जांचने के लिए सरकार अलग प्रकोष्ठ-सेल का गठन करेगी। आदिवासी समाज के प्रतिनिधियाें की शिकायत पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसकी घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने 32% आदिवासी आरक्षण को दोबारा बहाल करने के लिए हर संभव कदम उठाने का भरोसा भी दिलाया है। उच्च न्यायालय के फैसले की वजह से आरक्षण की व्यवस्था उलट गई है। छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र 1 और 2 दिसंबर को बुलाया गया है। इस दौरान आरक्षण पर चर्चा होगी।
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