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30 पीपा पुल, डेढ़ लाख टॉयलेट शीट का क्या होगा? नासिक कुंभ में प्रयागराज के टेंट–तंबू लगेंगे

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30 पीपा पुल, डेढ़ लाख टॉयलेट शीट का क्या होगा? नासिक कुंभ में प्रयागराज के टेंट–तंबू लगेंगे March 14, 2025

प्रयागराज से नासिक पहुंचेगी कुंभ मेले की सामग्री

भारत में कुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु एक साथ स्नान, पूजन और साधना के लिए आते हैं। वर्ष 2025 में प्रयागराज में संपन्न होने वाले महाकुंभ के बाद यह सवाल उठ रहा है कि इतने बड़े स्तर पर बनाए गए अस्थायी ढांचे और सुविधाओं का क्या होगा?

सरकार और प्रशासन ने इस मुद्दे का समाधान निकालते हुए तय किया है कि प्रयागराज कुंभ में इस्तेमाल किए गए टेंट, तंबू, टॉयलेट शीट और पीपा पुलों को 2027 में होने वाले नासिक कुंभ मेले में पुनः उपयोग किया जाएगा। इससे आर्थिक बचत होगी, संसाधनों का सही उपयोग होगा और पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

30 पीपा पुल, डेढ़ लाख टॉयलेट शीट का क्या होगा? नासिक कुंभ में प्रयागराज के टेंट–तंबू लगेंगे March 14, 2025

क्या-क्या भेजा जाएगा नासिक कुंभ के लिए?

1. 30 पीपा पुल होंगे गोदावरी नदी में स्थापित

प्रयागराज में कुंभ के दौरान गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम क्षेत्र में कई अस्थायी पीपा पुल बनाए गए थे, जो श्रद्धालुओं के आवागमन को आसान बनाते हैं।

  • कुंभ के समापन के बाद इन पीपा पुलों को अलग किया जाएगा और इन्हें नासिक में गोदावरी नदी में स्थापित किया जाएगा।
  • इससे नासिक कुंभ में भीड़ नियंत्रण और यातायात को सुगम बनाने में मदद मिलेगी।

2. डेढ़ लाख टॉयलेट शीट का पुनः उपयोग

कुंभ मेले में स्वच्छता एक महत्वपूर्ण विषय होता है। प्रयागराज कुंभ के दौरान लाखों टॉयलेट शीट्स बनाई गई थीं, ताकि श्रद्धालुओं को स्वच्छ और हाइजीनिक सुविधा मिले।

  • प्रशासन ने फैसला लिया है कि इन टॉयलेट शीट्स को नासिक भेजकर वहां पुनः उपयोग किया जाएगा।
  • इससे नासिक कुंभ में नए शौचालय बनाने की लागत बचेगी और साथ ही पर्यावरणीय अपशिष्ट भी कम होगा।

3. टेंट और तंबू भी होंगे उपयोग में

प्रयागराज कुंभ में हजारों साधु-संतों, श्रद्धालुओं और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए टेंट और तंबू लगाए गए थे।

  • इनमें से अच्छी स्थिति में बचे हुए तंबुओं और टेंटों को नासिक में स्थापित किया जाएगा।
  • इस कदम से सरकार को करोड़ों रुपये की बचत होगी।

दो महीने लगेंगे मेले को हटाने में

प्रयागराज कुंभ मेले के समापन के बाद पूरे क्षेत्र को खाली करने और अस्थायी ढांचों को हटाने में लगभग दो महीने का समय लगेगा।

  • पहले चरण में टेंट और तंबू हटाए जाएंगे।
  • दूसरे चरण में टॉयलेट शीट्स को हटाने और पुनः उपयोग के लिए भेजने का कार्य होगा।
  • अंतिम चरण में पीपा पुलों को अलग कर गोदावरी नदी में भेजने की योजना बनाई जाएगी।

नासिक कुंभ की तैयारियां होंगी आसान

  • प्रयागराज से मिली सामग्रियों का उपयोग नासिक में कुंभ मेला क्षेत्र के विस्तार और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को बेहतर बनाने में किया जाएगा।
  • सड़क, बिजली और पानी की व्यवस्था को पहले से ही कुंभ मेले के लिए उपयुक्त बनाया जा रहा है।

इस कदम से क्या फायदे होंगे?

1. आर्थिक बचत

  • कुंभ मेले के लिए नई सुविधाएं बनाने में करोड़ों रुपये का खर्च आता है। प्रयागराज की सामग्री को दोबारा उपयोग करने से यह खर्च काफी हद तक कम हो जाएगा।
  • सरकार और प्रशासन को इस फैसले से बड़ा वित्तीय लाभ होगा।

2. पर्यावरणीय संतुलन

  • अगर प्रयागराज कुंभ की सामग्री को फेंक दिया जाता या बेकार कर दिया जाता, तो इससे पर्यावरणीय कचरा बढ़ता।
  • पुनः उपयोग करने से अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या हल होगी और सतत विकास (Sustainable Development) को बढ़ावा मिलेगा।

3. प्रशासनिक सुगमता

  • नासिक प्रशासन को नई सुविधाओं के निर्माण में समय और श्रम बचाने का अवसर मिलेगा।
  • पहले से प्रयुक्त टेंट, टॉयलेट और पुलों का इस्तेमाल करके कम समय में बेहतर व्यवस्थाएं की जा सकेंगी।

निष्कर्ष

प्रयागराज कुंभ की सामग्री को नासिक में पुनः उपयोग करने का फैसला एक प्रभावी कदम है, जिससे आर्थिक, पर्यावरणीय और प्रशासनिक सभी स्तरों पर लाभ होगा।

  • इससे कुंभ मेले की तैयारी और आयोजन की लागत घटेगी।
  • नासिक कुंभ में श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
  • सरकार का यह निर्णय संसाधनों के पुनः उपयोग (Reuse) को बढ़ावा देगा, जिससे भविष्य में भी अन्य कुंभ मेलों के लिए यह एक मिसाल बनेगा।

आपका क्या कहना है?

आप इस कदम को कैसे देखते हैं? क्या यह प्रशासन का एक स्मार्ट निर्णय है? अपनी राय हमें कमेंट सेक्शन में बताएं! 😊


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