मध्य प्रदेश
महाकाल के गर्भगृह में एंट्री बैन, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष अंदर पहुंचे,नियम तोड़कर परिवार के साथ की पूजा, कांग्रेस ने कहा-इन्हें रोकने वाला कोई नहीं
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हाल ही में गर्भगृह में प्रवेश को लेकर सख्त नियम बनाए गए थे, जिनके तहत आम भक्तों की गर्भगृह में एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस नियम का उद्देश्य मंदिर के गर्भगृह में भीड़ को नियंत्रित करना और सुरक्षा बनाए रखना है।
हालांकि, इस बीच एक विवाद तब उत्पन्न हुआ जब बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष ने इन नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने परिवार के साथ गर्भगृह में प्रवेश किया और पूजा की। इस घटना के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह विशेषाधिकार और शक्ति के दुरुपयोग का मामला है। कांग्रेस का कहना है कि आम भक्तों के लिए जो नियम लागू होते हैं, वे सभी के लिए समान रूप से लागू होने चाहिए, और किसी भी राजनीतिक नेता को इन नियमों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
कांग्रेस के नेताओं ने सवाल उठाया है कि जब आम भक्तों के लिए गर्भगृह में प्रवेश पर रोक है, तो फिर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष को किस आधार पर इस नियम का उल्लंघन करने दिया गया। उन्होंने इसे विशेषाधिकार का दुरुपयोग करार दिया और प्रशासन पर भी सवाल उठाए कि वह इसे रोकने में असमर्थ रहा।
इस घटना के बाद से राजनीतिक विवाद और बढ़ गया है, और लोग प्रशासन से इस मुद्दे पर स्पष्टता और समानता की मांग कर रहे हैं। यह मुद्दा अब सार्वजनिक चर्चा का विषय बन गया है, और प्रशासन के लिए इसे सही तरीके से संभालना महत्वपूर्ण हो गया है।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में पंडे-पुजारियों को छोड़कर सभी भक्तों के प्रवेश पर पिछले एक साल से प्रतिबंध लागू है। इस नियम का मकसद भीड़ को नियंत्रित करना और गर्भगृह में पूजा-अर्चना की प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाना है। हालांकि, हाल ही में इस नियम को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है, जब भाजपा नेताओं द्वारा कथित तौर पर नियमों का उल्लंघन कर गर्भगृह में प्रवेश किया गया।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा नेताओं ने एक बार फिर मंदिर के नियमों को तोड़ते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया और पूजा की। यह दस दिनों में दूसरी बार है जब कांग्रेस ने भाजपा नेताओं पर ऐसे आरोप लगाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि जब आम भक्तों के लिए गर्भगृह में प्रवेश पर रोक है, तो वीआईपी को इस विशेषाधिकार का लाभ क्यों मिल रहा है।
इस मुद्दे पर कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सत्ता और विशेषाधिकार का दुरुपयोग है। उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या नियम सिर्फ आम जनता के लिए हैं, जबकि वीआईपी और राजनीतिक नेताओं के लिए नहीं। कांग्रेस ने यह भी कहा है कि मंदिर प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को सभी के लिए समान नियम लागू करने चाहिए और किसी को भी नियमों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
इस घटना ने राजनीतिक विवाद को और बढ़ा दिया है, और मंदिर प्रशासन और सरकार पर दबाव है कि वे इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान करें और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में नियमों का उल्लंघन न हो।
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