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मध्य प्रदेश

MP के 3 हजार से ज्यादा डॉक्टर हड़ताल पर,जूडा ने कहा-डॉक्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट लागू करें; भोपाल के जीएमसी में छुटि्टयां रद्द

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मध्य प्रदेश में 3,000 से अधिक डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं, जिससे राज्य के चिकित्सा सेवाओं पर गहरा असर पड़ा है। जूडा (जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन) ने इस हड़ताल का नेतृत्व किया है, और उनका मुख्य मांग डॉक्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करना है।

1. डॉक्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट की मांग

  • मुख्य मुद्दा: डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जूडा की प्रमुख मांग है कि राज्य में डॉक्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट को तुरंत लागू किया जाए। उनका कहना है कि अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में डॉक्टरों के साथ हो रही हिंसक घटनाओं में वृद्धि हो रही है, और इस कानून के लागू होने से उन्हें सुरक्षा मिलेगी।
  • जूनियर डॉक्टर्स की चिंताएं: जूनियर डॉक्टर विशेष रूप से चिंतित हैं, क्योंकि वे फ्रंटलाइन पर काम करते हैं और अक्सर उन्हें मरीजों और उनके परिजनों के साथ तनावपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ता है।

2. भोपाल के जीएमसी में प्रभाव

  • छुट्टियां रद्द: भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) सहित राज्य के कई प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। इससे अस्पताल प्रशासन को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि चिकित्सा सेवाओं पर कम से कम प्रभाव पड़े।
  • चिकित्सा सेवाओं पर असर: हड़ताल के कारण ओपीडी सेवाएं, आपातकालीन सेवाएं, और अन्य नियमित चिकित्सा कार्य बाधित हो रहे हैं। हालांकि, नर्सिंग स्टाफ और अन्य मेडिकल स्टाफ ने कई जगहों पर स्थिति को संभालने की कोशिश की है, लेकिन डॉक्टरों की अनुपस्थिति से सेवाओं में बाधा आ रही है।

3. सरकार की प्रतिक्रिया

  • राज्य सरकार ने स्थिति को गंभीरता से लिया है और डॉक्टरों की मांगों पर विचार करने के लिए बातचीत के संकेत दिए हैं। हालांकि, अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है, और डॉक्टरों की हड़ताल जारी है।

इस हड़ताल ने राज्य के स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर डाला है, और यदि जल्दी ही समाधान नहीं निकला तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है। सरकार और डॉक्टरों के बीच बातचीत का मार्ग इस संकट को हल करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

कोलकाता में 8 अगस्त को एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या की घटना के विरोध में देशभर के डॉक्टरों में भारी आक्रोश है। इस घटना के विरोध में भोपाल के एम्स के बाद अब हमीदिया अस्पताल के 250 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर्स ने भी गुरुवार रात 12 बजे से काम बंद कर दिया है।

1. प्रदर्शन का कारण

  • कोलकाता की घटना: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई इस भयावह घटना ने मेडिकल समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। डॉक्टरों का मानना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानूनों और डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठाए जाने चाहिए।
  • सुरक्षा की मांग: डॉक्टरों का कहना है कि अस्पतालों में उनकी सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि वे बिना किसी डर के अपनी सेवाएं प्रदान कर सकें। इसके अलावा, दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग भी की जा रही है।

2. भोपाल में हड़ताल

  • हमीदिया अस्पताल: हमीदिया अस्पताल के 250 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर्स ने इस घटना के विरोध में और अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर काम बंद कर दिया है। इससे अस्पताल की सेवाओं पर गहरा असर पड़ रहा है। इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी सेवाएं बाधित हो गई हैं।
  • एम्स भोपाल: इससे पहले, एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने भी इसी कारण से हड़ताल की थी, जिससे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। हालांकि, नर्सिंग स्टाफ और अन्य चिकित्सा कर्मियों ने सेवाओं को बनाए रखने की कोशिश की है, लेकिन डॉक्टरों की अनुपस्थिति ने स्थिति को गंभीर बना दिया है।

3. डॉक्टर्स का आक्रोश

  • देशव्यापी प्रदर्शन: कोलकाता की इस घटना के खिलाफ देशभर के डॉक्टर एकजुट हो गए हैं और लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। वे न केवल दोषियों को सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं, बल्कि अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने की भी मांग कर रहे हैं।
  • सरकार से अपील: डॉक्टरों ने राज्य और केंद्र सरकार से अपील की है कि वे डॉक्टरों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कानून बनाएं।

इस हड़ताल और प्रदर्शन ने देशभर के अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं पर गहरा असर डाला है। यदि जल्दी ही डॉक्टरों की मांगों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह संकट और भी बढ़ सकता है।

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