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छत्तिश्गढ़

एनआरआई कोटे की एमबीबीएस सीट एक साल में 3 लाख महंगी, प्रदेश के 3 निजी कॉलेजों की 66 सीटों पर होना है एडमिशन…

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एनआरआई कोटे की एमबीबीएस सीट एक साल में 3 लाख महंगी, प्रदेश के 3 निजी कॉलेजों की 66 सीटों पर होना है एडमिशन... June 24, 2025

डॉलर की लंबी छलांग के कारण एनआरआई कोटे से एमबीबीएस करने वाले छात्रों को इस साल सालाना 3 लाख रुपए ज्यादा फीस देनी होगी। कई साल बाद डॉलर के मुकाबले रुपए के लगातार टूटने के कारण ऐसा हुआ है। एमबीबीएस के लिए जारी काउंसिलिंग में प्रदेश के तीन निजी मेडिकल कॉलेजों में 15 फीसदी सीटें एनआरआई कोटे के लिए आरक्षित हैं। एक कॉलेज में 22 सीटों के हिसाब से 66 एनआरआई सीटें हैं। इन सीटों पर एडमिशन भी हो रहे हैं।


वर्तमान में एक डॉलर की कीमत 81.93 रुपए है। एमबीबीएस में एनआरआई कोटे की सालाना फीस 35 हजार अमेरिकी डॉलर है। इस हिसाब से एडमिशन लेने वाले छात्रों को एक साल की फीस 28.67 लाख रुपए देनी होगी। साढ़े 4 साल के कोर्स की पूरी फीस 1.29 करोड़ है। पिछले साल एडमिशन के समय एक डॉलर की कीमत 74.50 रुपए थी। इसलिए छात्रों को एक साल की फीस 26.07 लाख व साढ़े 4 साल की फीस 1.17 करोड़ रुपए देनी पड़ी थी। अधिकारियों का कहना है कि एनआरआई कोटे के छात्रों को डॉलर के वर्तमान रेट के अनुसार ही फीस देनी होती है।

एडमिशन के लिए वेटिंग नीट क्वालिफाइड जरूरी
एनआरआई कोटे से एडमिशन के लिए लंबी वेटिंग चल रही है। नीट क्वालिफाइड छात्र ही इस कोटे में एडमिशन के लिए पात्र होते हैं। सीमित सीटें होने के कारण सभी एनआरआई को एडमिशन नहीं मिल पाता। यही कारण है कि नीट यूजी में कम स्कोर होने के बावजूद उनका एडमिशन मेडिकल कॉलेजों में हो जाता है। इसके लिए पासपोर्ट, विदेश के बैंक अकाउंट आदि की डिटेल देनी पड़ती है।

श्री बालाजी मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. देवेंद्र नायक व रिम्स मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. गंभीर सिंह के अनुसार पहले चरण की काउंसलिंग में एनआरआई कोटे की सीटों का आवंटन किया गया है। छात्र इस कोटे से एडमिशन के लिए लगातार आ रहे हैं।

नियमों में बदलाव से प्रवेश का दायरा बढ़ा
एनआरआई कोटे के लिए पुराने क्राइटेरिया में बदलाव किया गया है। पहले केवल माता-पिता के विदेश में रहने पर छात्र एनआरआई कोटे के लिए पात्र होते थे। लेकिन अब नाना-नानी, चाचा-चाची, ताऊ, मामा-मामी या दूसरे रिश्तेदारों के भी विदेश में होने पर एनआरआई कोटे के लिए पात्र हो जाते हैं। यही कारण है कि ये सीटें हर साल भर जाती हैं। एनआरआई कोटे की सीटें केवल निजी मेडिकल कॉलेजों में ही होती हैं।

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