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राजस्थान में पूरी हुई वन्यजीव गणना,1000 से ज्यादा मचानों पर वनकर्मियों के साथ वॉलिंटियर्स ने गिने वन्यजीव

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राजस्थान में हाल ही में वन्यजीव गणना संपन्न हुई, जिसमें वनकर्मियों के साथ वॉलिंटियर्स ने भी भाग लिया। इस गणना के लिए 1000 से ज्यादा मचानों पर तैनात किया गया था, जहाँ से वन्यजीवों की गिनती की गई।

गणना 23 और 24 मई को की गई और इसमें वन विभाग के कर्मचारियों के साथ स्थानीय वॉलिंटियर्स ने भी भाग लिया। यह गणना वाटर होल पद्धति से की गई, जिसमें वन्यजीवों के पानी पीने के स्थानों पर निगरानी रखी गई। गणना के दौरान मांसाहारी, शाकाहारी और रेप्टाइल्स तीन श्रेणियों में विभाजित करके वन्यजीवों की संख्या दर्ज की गई【27†source】【28†source】।

इस प्रक्रिया का उद्देश्य वन्यजीवों की सही संख्या और उनकी स्थिति की जानकारी प्राप्त करना था, ताकि उनके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकें। वन विभाग ने इस काम के लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए थे,

राजस्थान में अब तक की सबसे बड़ी वन्यजीव गणना का समापन हो गया है। इस गणना के दौरान प्रदेशभर के जंगलों में 1000 से ज्यादा वाटर पॉइंट्स पर मचानों का उपयोग किया गया। वनकर्मियों और वॉलिंटियर्स ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर इस व्यापक गणना में भाग लिया। इसके अतिरिक्त, लगभग 2000 से अधिक वाटर पॉइंट्स का निरीक्षण किया गया।

इस गणना में वन्यजीवों की विविध प्रजातियों की गिनती की गई, जिसमें बाघ, जरख, सियार, जंगली बिल्ली, लोमड़ी, चौसिंगा, जंगली सुअर, उड़न गिलहरी, सेही, सारस, गिद्ध, और उल्लू जैसी प्रजातियां शामिल थीं【27†source】【28†source】।

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गणना का मुख्य उद्देश्य वन्यजीवों की सटीक संख्या और उनकी स्थिति का पता लगाना था, ताकि उनके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकें। इस कार्य में शामिल वनकर्मियों और वॉलिंटियर्स को पहले से ही विशेष प्रशिक्षण सत्रों के माध्यम से​ ​की गई थी ।

इस प्रकार की व्यापक वन्यजीव गणना से न केवल वन्यजीवों की सही स्थिति का पता चलता है, बल्कि इनके संरक्षण के​ प्रयासों को भी सशक्त बनाने में मदद मिलती है।​

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