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सुप्रीम कोर्ट बोला- चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना, डाउनलोड करना अपराध,मद्रास हाईकोर्ट का फैसला पलटा, कहा- अदालतें इस शब्द का इस्तेमाल भी न करें
सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना, डाउनलोड करना, और इसके साथ कोई भी जुड़ाव अपराध है। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के एक पुराने निर्णय को पलट दिया, जिसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखने या डाउनलोड करने को अपराध नहीं माना गया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह एक गंभीर अपराध है और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुख्य बिंदु:
- चाइल्ड पोर्नोग्राफी को अपराध माना गया: सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना, उसे डाउनलोड करना या इसके साथ किसी भी रूप में जुड़ना भारतीय कानून के तहत अपराध है। इस फैसले से मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को पलटा गया, जिसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखने को अपराध नहीं माना गया था।
- अदालतों के लिए निर्देश: सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अदालतें इस तरह के मामलों में शब्दों का चयन करते समय सावधानी बरतें और ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी’ जैसे संवेदनशील शब्दों का इस्तेमाल न करें, ताकि समाज में इसके प्रति गलत संदेश न जाए। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि इस तरह के मामलों को संवेदनशीलता के साथ संभालने की जरूरत है।
- आईटी एक्ट के तहत अपराध: यह फैसला सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एक्ट के सेक्शन 67B के तहत आता है, जो चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखने, संग्रहित करने, प्रसारित करने या प्रकाशित करने को अपराध मानता है। इस कानून के तहत कड़ी सजा का प्रावधान है।
- मद्रास हाईकोर्ट का फैसला पलटा: मद्रास हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखने और डाउनलोड करने को अपराध नहीं माना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि समाज के लिए भी हानिकारक है।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों के खिलाफ एक सख्त संदेश देता है। इससे यह सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी व्यक्ति जो इस तरह की गतिविधियों में लिप्त पाया जाएगा, उसे कानून के तहत सख्त सजा दी जाएगी। यह कदम बच्चों की सुरक्षा और डिजिटल स्पेस को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना और डाउनलोड करना एक गंभीर अपराध है, जिसे POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट और आईटी (Information Technology) एक्ट के तहत दंडनीय माना गया है।
प्रमुख बिंदु:
- मद्रास हाईकोर्ट का फैसला खारिज: सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला, और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे, ने मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें यह कहा गया था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना और डाउनलोड करना अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्पष्ट रूप से अपराध घोषित किया।
- POCSO और आईटी एक्ट के तहत अपराध: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना या डाउनलोड करना बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के रूप में देखा जाएगा, और इसके लिए POCSO एक्ट और आईटी एक्ट के प्रावधानों के तहत सजा का प्रावधान है।
- कोर्ट की कड़ी टिप्पणी: अदालत ने इस मामले में बेहद गंभीरता दिखाई और कहा कि ऐसे मामलों को संवेदनशील तरीके से निपटाया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे शब्दों का उपयोग करते समय अदालतों को सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि इसका समाज में गलत संदेश न जाए।
महत्व:
यह फैसला बच्चों की सुरक्षा के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों पर सख्त नियमों को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सुप्रीम कोर्ट का यह रुख यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति जो इस तरह के अपराधों में शामिल होता है, उसे कानून के तहत कठोर दंड दिया जाएगा।
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