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रेप विक्टिम पर हाईकोर्ट की टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट में खारिज ..

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सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में, हाईकोर्ट की उस टिप्पणी को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस टिप्पणी को अनुचित बताते हुए न केवल इसे खारिज किया, बल्कि रेप के आरोपी की सजा को बहाल रखा। इस फैसले से यह स्पष्ट हुआ है कि न्यायपालिका यौन अपराधों के मामलों में संवेदनशीलता और निष्पक्षता बरतने के प्रति गंभीर है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नाबालिग से बलात्कार के आरोपी की सजा को बरकरार रखने का निर्णय लिया। इस मामले में, आरोपी को पहले ही सजा सुनाई जा चुकी थी, और सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को मान्यता दी। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट की एक टिप्पणी को खारिज कर दिया।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि किशोरियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और समाज की नजरों में उन्हें सिर्फ दो मिनट के सुख के लिए नहीं लाना चाहिए। इस टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट ने न केवल अस्वीकार किया बल्कि इसे पूरी तरह से निराधार और असंवेदनशील करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि नाबालिगों के प्रति यौन हिंसा के मामलों में अदालतों को बेहद संवेदनशील और तटस्थ रहना चाहिए, और किसी भी प्रकार की दोषारोपण की मानसिकता को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

इस निर्णय ने यह स्पष्ट कर दिया कि न्यायपालिका बलात्कार और यौन हिंसा के मामलों में पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, और कोर्ट की टिप्पणियों का समाज पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

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