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महाकाल मंदिर समिति को हाईकोर्ट ले जाने की चेतावनी,प्रसादी पैकेट से नहीं हटाया ऊँ और मंदिर शिखर का फोटो..
उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में प्रसादी के पैकेट पर छपे ‘ऊँ’ और मंदिर के शिखर की तस्वीर को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। एक वकील ने महाकाल मंदिर समिति को चेतावनी देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की धमकी दी है। वकील ने इसे धार्मिक आस्था का अपमान बताते हुए प्रसादी के पैकेट से ‘ऊँ’ और मंदिर के शिखर की तस्वीर को हटाने की मांग की है।
विवाद की पृष्ठभूमि:
- प्रसादी के पैकेट पर विवाद: महाकाल मंदिर में दी जाने वाली प्रसादी के पैकेट पर ‘ऊँ’ और मंदिर शिखर की तस्वीर छपी हुई है। वकील का कहना है कि प्रसादी का पैकेट अक्सर फेंका जाता है, जिससे ‘ऊँ’ और मंदिर शिखर का अपमान होता है। उनका दावा है कि धार्मिक प्रतीकों को इस प्रकार पैकेट पर इस्तेमाल करना गलत है।
- वकील की चेतावनी: वकील ने मंदिर समिति को एक लेटर भेजकर इस मुद्दे को गंभीरता से लेने को कहा है और चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो वह इस मामले को हाईकोर्ट में लेकर जाएंगे। उनका कहना है कि इससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है और यह धार्मिक आस्थाओं का अपमान है।
मंदिर समिति का पक्ष:
अभी तक मंदिर समिति की ओर से इस मामले पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इस विवाद ने धार्मिक आस्थाओं और प्रतीकों के सम्मान को लेकर एक संवेदनशील बहस छेड़ दी है।
यह मामला धार्मिक संस्थानों और समाज में प्रतीकों के सही उपयोग को लेकर लोगों की भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता की आवश्यकता को भी दर्शाता है।
महाकाल मंदिर की लड्डू प्रसादी के पैकेट से मंदिर के शिखर की तस्वीर और ‘ऊँ’ को लेकर विवाद अभी तक जारी है। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने इस साल 24 अप्रैल को एक आदेश जारी किया था, जिसमें महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को निर्देश दिया गया था कि वे 90 दिनों के भीतर, यानी तीन महीने में, प्रसादी के पैकेट से मंदिर शिखर का फोटो और ‘ऊँ’ का चिन्ह हटा लें।
हालांकि, इस आदेश के बावजूद अब तक यह कार्रवाई पूरी नहीं हो पाई है, और प्रसादी के पैकेट पर अभी भी मंदिर शिखर और ‘ऊँ’ का चिन्ह मौजूद है। वकील द्वारा उठाए गए मुद्दे के अनुसार, इन धार्मिक प्रतीकों को प्रसादी के पैकेट पर इस्तेमाल करने से उन्हें फेंके जाने की संभावना होती है, जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है।
संभावित कानूनी परिणाम:
- हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना: मंदिर प्रबंध समिति द्वारा हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करने पर समिति के खिलाफ अवमानना का मामला उठ सकता है, और यह मामला फिर से अदालत में जा सकता है।
- धार्मिक भावनाओं का सम्मान: इस मुद्दे के कारण धार्मिक प्रतीकों के इस्तेमाल और उनके प्रति संवेदनशीलता को लेकर चर्चा तेज हो गई है। धार्मिक स्थलों पर प्रसादी के पैकेट्स में इस्तेमाल होने वाले प्रतीकों के प्रति लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सावधानी बरतने की जरूरत है।
इस मामले में अगली कार्रवाई क्या होगी, यह देखना महत्वपूर्ण होगा, खासकर जब हाईकोर्ट ने इस संबंध में स्पष्ट आदेश दिया था।
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