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महाकाल की शाही सवारी के 5 किरदार,भगवान चंद्रमौलेश्वर में प्राण डालते हैं पुजारी; कहार-रस्सा पार्टी, कड़ाबीन-बैंड पार्टी, इनमें सीनियर पुलिस अफसर भी

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उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की शाही सवारी एक प्राचीन परंपरा है, जिसमें भगवान महाकालेश्वर को उनकी शाही सवारी के रूप में नगर भ्रमण कराया जाता है। इस सवारी के दौरान कुछ विशेष किरदार और पार्टीयाँ इस परंपरा का हिस्सा बनते हैं। इनमें से पांच प्रमुख किरदारों का उल्लेख नीचे किया गया है:

  1. भगवान चंद्रमौलेश्वर में प्राण प्रतिष्ठा: इस शाही सवारी के दौरान महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी भगवान चंद्रमौलेश्वर की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा करते हैं। यह एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें भगवान की मूर्ति में जीवन का संचार किया जाता है। इसके बाद ही मूर्ति को नगर भ्रमण के लिए निकाला जाता है।
  2. कहार पार्टी: कहार पारंपरिक रूप से पालकी उठाने का काम करते हैं। महाकालेश्वर की शाही सवारी में भगवान की पालकी को उठाने और उसे नगर में घुमाने की जिम्मेदारी कहार पार्टी की होती है। यह पार्टी बेहद सम्मानित मानी जाती है क्योंकि वह भगवान की सेवा करती है।
  3. रस्सा पार्टी: रस्सा पार्टी का काम पालकी को खींचने का होता है। यह एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि रस्सा पार्टी ही सुनिश्चित करती है कि सवारी के दौरान पालकी संतुलित रहे और ठीक दिशा में जाए।
  4. कड़ाबीन पार्टी: कड़ाबीन पार्टी सवारी के दौरान पारंपरिक ध्वज और प्रतीकों को ले जाती है। इस पार्टी के सदस्य विशेष पोशाक पहनते हैं और महाकाल की शोभायात्रा को और भी भव्य बनाते हैं।
  5. बैंड पार्टी: बैंड पार्टी सवारी के दौरान धार्मिक और पारंपरिक संगीत बजाने का काम करती है। इस पार्टी में शामिल बैंड वादक पूरे मार्ग में भक्तिमय संगीत बजाते हैं, जिससे वातावरण और भी श्रद्धामय हो जाता है। इसमें सीनियर पुलिस अफसर भी शामिल होते हैं, जो सवारी के साथ चलते हैं और व्यवस्था बनाए रखने का काम करते हैं।

इन सभी किरदारों और पार्टियों के साथ महाकालेश्वर की शाही सवारी एक भव्य और धार्मिक अनुभव बन जाती है, जिसमें श्रद्धालु भगवान महाकालेश्वर के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करते हैं।

उज्जैन में भगवान महाकाल की शाही सवारी का आयोजन भादो महीने के अंतिम सोमवार को होता है, जो साल की सबसे भव्य और महत्वपूर्ण सवारी मानी जाती है। इस शाही सवारी में कई खास बातें और तत्व शामिल होते हैं, जो इसे विशेष बनाते हैं:

  1. भव्य स्वरूप: भादो महीने की अंतिम सवारी का स्वरूप अन्य सवारियों से कहीं अधिक भव्य और विशाल होता है। इस सवारी में भगवान महाकाल के पांचों स्वरूपों को विशेष रूप से सजाकर नगर भ्रमण कराया जाता है।
  2. भजन मंडलियां और बैंड: सवारी के दौरान करीब 70 भजन मंडलियां भाग लेती हैं, जो पूरे मार्ग में भक्ति संगीत प्रस्तुत करती हैं। इनके साथ ही चार बैंड भी होते हैं, जो धार्मिक और पारंपरिक धुनें बजाते हैं। यह संगीत भक्तों को भगवान की भक्ति में लीन कर देता है।
  3. झांकियां और लोक कलाकार: सवारी के दौरान विभिन्न झांकियां भी शामिल होती हैं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक कथाओं को प्रदर्शित करती हैं। इसके अलावा, जनजातीय लोक कलाकारों के दल भी अपनी पारंपरिक नृत्य और कला का प्रदर्शन करते हैं, जिससे सवारी और भी आकर्षक बनती है।
  4. CISF की सशस्त्र टुकड़ी: सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सवारी के साथ CISF की सशस्त्र टुकड़ी भी शामिल होती है। यह सवारी की शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करती है, जिससे श्रद्धालु निर्बाध रूप से भगवान के दर्शन कर सकें।
  5. सवारी की लंबाई: इस शाही सवारी की लंबाई लगभग दो किलोमीटर होती है। यह सवारी उज्जैन के विभिन्न प्रमुख मार्गों से होकर गुजरती है, और हजारों श्रद्धालु इसका हिस्सा बनते हैं।

यह शाही सवारी केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भगवान महाकाल के प्रति श्रद्धा और आस्था का प्रतीक भी है। हर साल, भादो महीने की इस अंतिम सवारी का श्रद्धालु बेसब्री से इंतजार करते हैं, और इसे देखने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से लोग उज्जैन आते हैं।

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