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मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट बोला- कानून-व्यवस्था राज्य का मसला..

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मणिपुर हिंसा सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आदेश दिया कि मणिपुर सरकार हिंसा प्रभावित लोगों को दी जा रही राहत, सुरक्षा, पुनर्वास पर नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि भले ही सुरक्षा और कानून राज्य का विषय है, लेकिन सर्वोच्च अदालत के नाते यह देखना हमारी जिम्मेदारी है कि राजनेता आंखें ना मूंद लें।

मैतेई आदिवासियों को शेड्यूल ट्राइब (ST) लिस्ट में शामिल किए जाने के हाईकोर्ट के ऑर्डर पर भी सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- इस मामले पर हाईकोर्ट में याचिकाएं लगाई गई हैं। हम इस ऑर्डर पर स्टे नहीं ला रहे हैं, लेकिन जो लोग फैसले के खिलाफ हैं, वह हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में जा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर ट्राइबल फोरम और हिल एरिया कमेटी ने याचिकाएं दाखिल की हैं। अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की छुटि्टयां खत्म होने के बाद जुलाई में होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आरक्षण पर हाईकोर्ट का फैसला तथ्यात्मक रूप से गलत…2 टिप्पणियां

1. मणिपुर हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधरन का फैसला तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह गलत है। हमने जस्टिस मुरलीधरन को अपनी गलती सुधारने का समय दिया। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब हमें इसके खिलाफ कड़ा रुख अपनाना होगा। यह साफ है कि हाईकोर्ट के जज को संवैधानिक बेंच के फैसलों को फॉलो करना चाहिए। वो ऐसा नहीं करते हैं तो हम क्या कर सकते हैं…यह भी बहुत स्पष्ट है।

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2. हम मैईती को आरक्षण देने से जुड़े कानूनी मुद्दे पर सुनवाई नहीं करेंगे। हाईकोर्ट में याचिकाएं लगी हैं। कुकी सहित बाकी आदिवासी हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं।

3. कानून-व्यवस्था का मुद्दा राज्य का है। सुप्रीम कोर्ट के तौर पर हम यह निश्चित करेंगे कि राजनेता अपनी आंखें ना मूंद लें। आदिवासियों ने हमले की आशंका जाहिर की है। राज्य और सुरक्षा सलाहकार इस पर कदम उठाएं। हिंसा से प्रभावित लोगों को राहत, सुरक्षा और पुनर्वास के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। इस पर एक नई रिोपर्ट हमारे सामने पेश की जाए।

याचिकाकर्ताओं ने अप्रवासियों का मुद्दा उठाया, कहा- CM के ट्विटर हैंडल पर भड़काऊ बातें होती हैं

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा, “म्यांमार से अवैध अप्रवासी आ रहे हैं और मणिपुर आ रहे हैं। यहां अफीम उगाते हैं और इसी के चलते वहां पर आतंकियों के कैंप बढ़ रहे हैं। एडवोकेट निजाम पाशा ने कहा, “मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल से भड़काऊ ट्वीट किए जा रहे हैं। कुकी के बारे में बातें करते हैं। ईसाइयत और ऐसी ही तमाम चीजों के नाम पर मणिपुर को तबाह किया जा रहा है।”

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर राज्य सरकार की ओर से आए सॉलिसिटर जनरल से कहा, “संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ऐसे बयान देने से रोकना चाहिए। आप उन्हें नियंत्रित रहने की सलाह दीजिए।”

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पिछली सुनवाई में कहा था- यह हिंसा मानवीय संकट
8 मई को सुनवाई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा था कि यह मानवीय संकट है। विस्थापितों के पुनर्वास, राहत कैंपों में दवाओं और खाने-पीने जैसी जरूरी चीजों का इंतजाम हो। साथ ही राज्य में धार्मिक स्थलों की हिफाजत के लिए भी कदम उठाए जाएं।

गौरतलब है कि 3 मई को मैतेई समुदाय को ST का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में कुकी समुदाय की ओर से रैली निकाले जाने के साथ ही 10 पहाड़ी जिलों में हिंसा शुरू हो गई थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इसमें करीब 71 लोगों की मौत हो गई, जबकि 230 से अधिक घायल हो गए। करीब 1700 घरों को जला दिया गया।

  • कांग्रेस नेता और पूर्व CM ओकराम इबोबी सिंह ने मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। कांग्रेस पर्यवेक्षकों की एक टीम मणिपुर भेजेगी।
  • मणिपुर बार एसोसिएशन ने हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के नेतृत्व वाली जांच समिति बनाने की अपील की है।
  • BJP विधायक दिंगांगलुंग गंगमेई ने भी मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है।

10 जिले हिंसा पीड़ित, ड्रोन से हो रही निगरानी

मणिपुर के 16 में से 10 जिले हिंसा से पीड़ित हैं। भारत-म्यांमार सीमा की ड्रोन निगरानी तेज कर दी गई है। पहाड़ी इलाकों में खोजी कुत्तों की मदद ली जा रही है। उधर असम राइफल्स ने सोमवार को एयर रेस्क्यू ऑपरेशन में भारत-म्यांमार सीमा के पास हिंसा प्रभावित मणिपुर में फंसे 100 से ज्यादा लोगों को बचाया।

मिजोरम के 6 जिलों में 6000 कुकी-चिन-मिजो ने ली है शरण
मणिपुर के विभिन्न इलाकों से चिन-कुकी-मिजो जनजातीय समुदाय के करीब 6000 लोग मिजोरम पहुंचे हैं। इनके लिए राज्य के 6 जिलों में कैंप बनाए गए हैं। इनमें से आइजोल जिले में 2021, कोलासिब में 1,847 और सैतुअल में 1,790 लोगों ने शरण ली है। मिजोरम के एक अफसर ने बताया कि राहत शिविरों में 5822 लोग रह रहे हैं।

शाह से मुलाकात के बाद CM बीरेन ने ठुकराई अलग प्रशासन की मांग

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CM एन बीरेन सिंह नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री को राज्य के हालात की जानकारी देकर इंफाल लौट गए। उन्होंने 10 विधायकों की मणिपुर से अलग प्रशासन की मांग ठुकरा दी है। CM ने कहा कि यह तय करने के उपाय किए जा रहे हैं कि उग्रवादी, जिन्होंने एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, अपने निर्धारित स्थानों पर लौटें। शाह की देखरेख में सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन के तहत उग्रवादी समूहों को वापस लाने और सामान्य स्थिति बहाली के उपाय किए जा रहे हैं।

अब जानिए क्या थी हिंसा की वजह…
मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं। मणिपुर के लगभग 10% क्षेत्रफल में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि मैतेई समुदाय की डिमांड पर विचार करे और 4 महीने के भीतर केंद्र को रिकमेंडेशन भेजे।

इसी आदेश के बाद मणिपुर में मैतेई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) मणिपुर ने एक रैली निकाली। जो बाद में हिंसक हो गई।

मैतेई क्यों आरक्षण मांग रहे: मैतेई समुदाय के लोगों का तर्क है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पूर्व उन्हें रियासतकाल में जनजाति का दर्जा प्राप्त था। पिछले 70 साल में मैतेई आबादी 62% से घटकर लगभग 50% के आसपास रह गई है। अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए मैतेई समुदाय आरक्षण मांग रहा है।

कौन हैं विरोध में: मणिपुर की नगा और कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। राज्य के 90% क्षेत्र में रहने वाले नगा और कुकी राज्य की आबादी का 34% हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीटें पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं।

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राजनीतिक रूप से मैतेई समुदाय का पहले से ही मणिपुर में दबदबा है। नगा और कुकी जनजातियों को आशंका है कि एसटी वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा होगा। मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है।

नाराजगी की एक और वजह- मणिपुर में हालिया हिंसा का कारण मैतेई आरक्षण को माना जा सकता है, लेकिन पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार ने चूराचांदपुर के वनक्षेत्र में बसे नगा और कुकी जनजाति को घुसपैठिया बताते हुए वहां से निकालने के आदेश दिए थे। इससे नगा-कुकी नाराज चल रहे थे। मैतेई हिंदू धर्मावलंबी हैं, जबकि एसटी वर्ग के अधिकांश नगा और कुकी ईसाई धर्म को मानने वाले हैं।

ग्रामीणों ने कहा कि वे सरकार से हथियार देने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि सुरक्षा बल उनकी और उनकी संपत्तियों की सुरक्षा करने में नाकाम हैं। ऐसे में वे सुरक्षाबलों के भरोसे रहने के बजाय हमलावरों से खुद निपट लेंगे। उन्होंने इलाके से केंद्रीय सुरक्षा बलों को हटाने की मांग भी की है। वहीं, मैतेई समुदाय चाहता है कि राज्य में अवैध घुसपैठियों की पहचान कर उनको निकालने के लिए असम की तर्ज पर मणिपुर में भी राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (NRC) की प्रक्रिया शुरू हो।

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