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मणिपुर हिंसा के बीच राज्यपाल से मिलेंगे CM बीरेन..

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मणिपुर में 2 महीने से जारी हिंसा के बीच मुख्यमंत्री बीरेन सिंह शुक्रवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात करेंगे। राज्य की कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बीरेन सिंह हिंसा की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र ने उन्हें दो विकल्प दिए थे कि या तो वे इस्तीफा दे दें या फिर केंद्र हालात सुधारने के लिए खुद दखल देगा।

इन रिपोर्ट्स के सामने आने के बाद शुक्रवार को महिलाओं का एक दल इम्फाल में राजभवन के सामने प्रदर्शन करने पहुंचा। महिलाओं ने मांग की कि बीरेन सिंह इस्तीफा ना दें, बल्कि हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लें।

दौरे के दूसरे दिन राहुल मोइरांग रिलीफ कैंप पहुंचे
राहुल गांधी मणिपुर दौरे के दूसरे दिन मोइरांग रिलीफ कैंप पहुंचे। वे सिविल सोसाइटी के मेंबर्स से भी मुलाकात करेंगे। इससे पहले राहुल गुरुवार को मणिपुर पहुंचे। दौरे के पहले दिन राहुल ने चूराचांदपुर में रिलीफ कैंप में पीड़ितों से मिले थे। हालांकि, चूराचांदपुर पहुंचने से पहले राहुल का काफिला बिष्णुपुर में रोका गया था।

पुलिस ने कहा था कि हिंसा की आशंका के चलते काफिला रोका गया। इसके बाद राहुल हेलिकॉप्टर से चूराचांदपुर पहुंचे थे। यहां उन्होंने कहा था- मैं मणिपुर के अपने सभी भाई-बहनों को सुनने आया हूं। सभी समुदायों के लोग बहुत स्वागत और प्रेम कर रहे हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार मुझे रोक रही है।

पुलिस ने विष्णुपुर में रोका था राहुल का काफिला
इससे पहले गुरुवार को राहुल हिंसाग्रस्त चूराचांदपुर रिलीफ कैंप जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने करीब 34 किलोमीटर पहले विष्णुपुर में उनका काफिला रोक दिया था। पुलिस ने कहा था- रास्ते में हिंसा हो सकती है। इसके बाद वे इंफाल लौट आए थे।

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पुलिस अधिकारियों ने कहा कि बिष्णुपुर जिले में हाईवे पर टायर जलाए गए थे और काफिले पर कुछ पत्थर फेंके गए थे। इसलिए सावधानी रखते हुए काफिले को विष्णुपुर में रोका गया। राहुल का काफिला रोके जाने के बाद यहां एक गुट उनके समर्थन में जबकि दूसरा उनके विरोध में प्रदर्शन कर रहा है। उन्हें काबू करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े।

असम CM बोले- अगर सॉल्यूशन नहीं ला सकते, तो दूर रहें
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि अगर राहुल मणिपुर की समस्या के लिए कोई सॉल्यूशन नहीं ला सकते तो उन्हें इससे दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा- राज्य और केंद्र सरकार स्थिति को काबू में करने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में किसी नेता को वहां नहीं जाना चाहिए।

कांगपोकपी में दो की मौत, इंफाल में भीड़ हटाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे
सेना ने गुरुवार को बताया कि हथियार लिए दंगाइयों ने मणिपुर के कांगपोकपी जिले में सुबह 5:30 बजे गोलीबारी की। सेना ने इसका जवाब दिया। गोलीबारी में दो संदिग्ध दंगाई मारे गए और पांच घायल हो गए।

गोलाबारी में मारे गए लोगों के समुदाय के सदस्यों ने उनके शव लेकर इंफाल में CM हाउस तक जुलूस निकालने की कोशिश की। पुलिस ने उन्हें रोका तो जुलूस में शामिल लोग हिंसक हो गए। पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। कांगपोकपी में गुरुवार शाम को भी दंगाइयों और सेना के बीच गोलीबारी हुई।

हिंसा में 131 लोग गंवा चुके हैं जान
मणिपुर में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। हिंसा में अब तक 131 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 419 लोग घायल हुए हैं। 65,000 से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। आगजनी की 5 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। 6 हजार मामले दर्ज हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।

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हिंसा को देखते हुए राज्य में 30 जून तक इंटरनेट पर प्रतिबंध बढ़ा दिया गया है। राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 IPS तैनात किए गए हैं।

मणिपुर के थानों से लूटे गए हथियारों को बेच रहे उपद्रवी
मणिपुर में बीते महीने हिंसा के दौरान लूटे गए पांच हजार से अधिक हथियार उपद्रवियों की ओर से बेचे जा रहे हैं। इसका खुलासा सेना और पुलिस के जवानों द्वारा चार हथियार तस्करों की गिरफ्तारी से हुआ है। एक रिजर्व बटालियन के कुक को भी इस सिलसिले में पकड़ा गया है।

मणिपुर हिंसा के शुरुआती चरण में पुलिस थानों और सुरक्षा बलों से लूटे गए एक चौथाई हथियार वापस हासिल किए जा चुके हैं। अब तक 11,00 हथियार, 13,702 गोला-बारूद और विभिन्न प्रकार के 250 बम बरामद किए गए हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

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मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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