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मणिपुर में सुरक्षाबलों पर फायरिंग,थाने से हथियार लूटने की कोशिश..

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मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा अब भी जारी है। शुक्रवार रात 5 बड़ी अलग-अलग घटनाएं हुईं।

इंफाल पश्चिम के इरिंगबाम थाने पर सैकड़ों लोगों की भीड़ ने हथियार लूटने की कोशिश की, हालांकि सुरक्षाबलों ने उन्हें खदेड़ दिया। इस दौरान भीड़ की ओर से फायरिंग भी की गई।

दूसरी घटना में भीड़ ने भाजपा के एक विधायक विश्वजीत के घर में आग लगाने की कोशिश की। इसे मणिपुर रैपिड एक्शन फोर्स की टीम ने नाकाम कर दिया।

तीसरी घटना खोंगमन और सिंजेमाई की है। दोनों जगहों पर भीड़ ने BJP ऑफिस पर हमला किया। हालांकि सेना के जवानों ने भीड़ को भगा दिया।

चौथी घटना राजधानी इंफाल के पोरमपेट की है। भीड़ ने शुक्रवार देर रात BJP की महिला अध्यक्ष शारदा देवी के घर में तोड़फोड़ की कोशिश की। सुरक्षाबलों ने युवकों को खदेड़ दिया।

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पांचवी घटना राजधानी इंफाल के पैलेस कंपाउंड की है। यहां करीब 1 हजार लोगों की भीड़ कंपाउंड को जलाने के लिए आई, लेकिन RAF के जवानों ने आंसू गैस के गोले दागे और रबर की गोलियां चलाईं, जिसके बाद भीड़ वहां से हटी।

पुलिस ने बताया कि शुक्रवार देर रात बिष्णुपुर जिले के क्वाकटा और चुराचंदपुर जिले के कंगवई ऑटोमेटिक हथियारों से गोलियां चली हैं। सेना, असम राइफल्स और मणिपुर रैपिड एक्शन फोर्स ने राजधानी इंफाल में आधी रात तक संयुक्त मार्च किया।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट बोले- हालात सीरिया जैसे, पूर्व आर्मी चीफ ने भी चिंता जताई
हिंसा के बीच पूर्व आर्मी चीफ वीपी मलिक ने PM मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से दखल देने की अपील की है। दरअसल, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एल निशिकांत सिंह ने गुरुवार सुबह ट्वीट करके राज्य के हालात सीरिया-लेबनान जैसे बताए थे। इसी को लेकर वीपी मलिक ने ऐसा बयान दिया है।

लेफ्टिनेंट जनरल ने लिखा- ‘मैं मणिपुर का एक साधारण भारतीय हूं, जो सेवानिवृत्त जीवन जी रहा है। राज्य अब स्टेटलेस है। जिंदगी और संपत्ति को कोई भी, कभी भी खत्म कर सकता है। जैसे लीबिया, लेबनान, नाइजीरिया, सीरिया में होता है। ऐसा लगता है कि मणिपुर को अपनी ही आग में उबलने के लिए छोड़ दिया गया है। क्या कोई सुन रहा है?’

इस पर चिंता जाहिर करते हुए वीपी मलिक ने कहा कि एक सैन्य अधिकारी का ऐसा कहना बहुत दुख की बात है। राज्य के हालात पर सरकार के टॉप लेवल को तुरंत ध्यान देना चाहिए।

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मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर चल रही जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी। इसी बीच इंटेलिजेंस ने दावा किया है कि कुछ लोग पुलिस की वर्दी में राज्य में दाखिल हो सकते हैं। इन लोगों ने एक दर्जी को वर्दी सिलने का ऑर्डर दिया है।

खुफिया एजेंसियों का कहना है कि कुछ लोगों ने पुलिस और कमांडो की वर्दी बनवाई है, ताकि हिंसा भड़काने के लिए उसका इस्तेमाल कर सकें। इस बात की जानकारी पुलिस को दे दी गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक IB की यह रिपोर्ट राज्य के सुरक्षा अधिकारियों भेजी गई थी, जिसमें बताया गया है कि बिष्णुपुर के मोइरांग में एक दर्जी को 15 जून तक मणिपुर पुलिस/कमांडो की 500 वर्दी सिलने का ऑर्डर दिया गया था।

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने का विकल्प भी है, पर इसे लेकर स्थिति साफ नहीं है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश राज्यपाल ने नहीं की है। मगर एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि मामले को हल करने के लिए अन्य विकल्प कारगर हो सकते हैं। राष्ट्रपति शासन से लोगों को ये भरोसा हो सकता है कि अब मामला निष्पक्ष हाथों में है।

कुछ लोगों ने भाजपा सांसद और केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह के इंफाल स्थित घर में आग लगा दी। 50 लोगों ने पेट्रोल बम फेंके। घटना के वक्त मंत्री केरल में थे। सिंह मैतेई समुदाय के हैं। राजकुमार रंजन सिंह ने कहा, ‘कल रात जो हुआ उसे देखकर बेहद दुख हुआ। मैं हिंसा की घटनाओं से हैरान हूं। मणिपुर में कानून-व्यवस्था पूरी तरह फेल हो चुकी है।’

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इंफाल का चूराचांदपुर, जहां से सरकार में 4-5 विधायक हैं। यहीं के टोरबुंग गांव से शुरू हुई हिंसा पूरे मणिपुर में फैली। यह इलाका अब पूरी तरह से कुकी-मिजो के कब्जे में है। यहां अब एक भी मैतेई नहीं है। सभी के घर जला दिए गए हैं। सालों पुरानी सड़कों और दुकानों के पोस्टर में लिखे चूराचांदपुर नाम पर कालिख पोती जा रही है, क्योंकि यह नाम मैतेई राजा पर रखा गया था।

दुकानों पर अंग्रेजी में लिखा गया है कि दिस पार्ट ऑफ इंडिया इज ट्राइबल लैंड (भारत का यह हिस्सा ट्राइबल लैंड है)। इस जिले में सरकार के सामने मांग रखने के लिए कुकी-मिजो ने एक संगठन बनाया है, जिसका नाम है- इंडिजेनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF)। यहां अभी इसी का दबदबा है।

ITLF अपना आंदोलन चलाने के लिए यहां लॉकडाउन लगाता है। ये लॉकडाउन हर दूसरे दिन होता है। इस दौरान सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक दुकानें, वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद रहती है। ITLF के एक सदस्य तो यहां तक दावा करते हैं कि यह हिस्सा मणिपुर का है ही नहीं। हमने इसे अलग कर लिया है। अब बस केंद्र की सहमति बाकी है।​​​​​​

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